कभी-कभी, फॉर्म में न होना तो खिलाड़ी की जिंदगी का हिस्सा है और इससे प्रदर्शन पर असर आएगा ही, पर जब ये सिलसिला लंबा खिंच जाए तो वह निराशा में बदल जाता है। बड़े नाम जब ऐसा प्रदर्शन करें, उनकी तरफ से कोशिश में कमी महसूस हो या यूं लगे कि अब करियर पर आख़िरी लाइन खींचने का वक्त आ गया तो इशारा समझ जाना चाहिए। ऐसा नहीं कि 2022 में हर कोई कामयाब रहा, कुछ बड़े नाम ऐसे हैं, जिन्होंने निराश भी किया। ऐसे कुछ ख़ास :
केएल राहुल (भारत) : बीसीसीआई या सलेक्टर्स की तरफ से क्या सपोर्ट नहीं मिली राहुल को? ओपनर बल्लेबाज जो बांग्लादेश में टेस्ट में स्टैंड-इन कप्तान थे यानि कि आगे के लिए नियमित कप्तान बनने की लिस्ट में ख़ास नाम पर नौबत यहां तक पहुंच गई कि उन्हें कहीं ‘पनौती’ कहा गया तो कहीं उनके शादी के लिए न खेलने को, टीम के लिए अच्छी खबर। 2022 में 4 टेस्ट में, 19.28 औसत से सिर्फ 135 रन और 2022 की फ्लॉप टेस्ट इलेवन में जगह मिलना तय है। लगभग यही हाल वनडे और टी20 में रहा। इसीलिए साल ख़त्म होते-होते कप्तानी की दावेदारी भी गई।
विराट कोहली (भारत) : बहुत बड़ा नाम और साल में कुछ ऐसा भी किया, जिससे उनकी तारीफ़ हुई यहां तक कि इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 का सूखा भी खत्म हुआ पर खेल की स्टाइल का बदलाव निराशा बन गया। विराट कोहली के रन टीम को नुकसान पहुंचाने वाले बन रहे हैं लगातार गिरते स्ट्राइक रेट की वजह से। टीम इंडिया उन्हें एंकर के तौर पर बोझ बनाकर नहीं झेल सकती। अफगानिस्तान (टी20) और बांग्लादेश (वनडे) के विरुद्ध डेड मैचों में 100 किसी काम नहीं आए। यहां तक कि स्लिप में खराब फील्डिंग भी कर रहे हैं अब।
डेविड मालन (इंग्लैंड) : वे 2021 में, 3 साल के वनवास के बाद टेस्ट टीम में वापस लौटे थे और 5 टेस्ट में 43.5 औसत से 308 रन बनाए लेकिन निराशाजनक रहा 2022, ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 2 टेस्ट में सिर्फ 10.5 के औसत से 42 रन। इसीलिए टीम से निकाल दिए गए। इंग्लैंड ने उनके साथ लंबा भविष्य देखा था।
साजिद खान (पाकिस्तान) : स्पिनर साजिद खान ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 3 टेस्ट में 119.25 के बड़े औसत से 3 टेस्ट में सिर्फ 4 विकेट लिए, जिसमें दूसरे टेस्ट में कराची में 2/167 की गेंदबाजी और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने उनके विरुद्ध जिस आराम से रन बनाए वह किसी निराशा से कम नहीं था। सोचा तो ये गया कि उन जैसा टीम में आ कैसे गया?
रोहित शर्मा (भारत) : विराट कोहली के बाद भारत ने रोहित को तीनों फॉर्मेट का कप्तान बनाने का जो सम्मान दिया वह शायद आगे किसी भी भारतीय क्रिकेटर को न मिले पर रोहित ने इसका फायदा नहीं उठाया। उनकी खराब फिटनेस और ख़राब फार्म एक निराशा बन गई और इसने टीम की लय बिगाड़ने में बहुत बड़ा रोल निभाया। 2022 में 2 टेस्ट में 90 रन, 8 वनडे में 249 रन 114 के स्ट्राइक रेट से और 29 टी 20 में 656 रन 134 के स्ट्राइक रेट गिनती में भले अच्छे हैं पर हर बड़े मौके पर निराश किया।
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राहुल द्रविड़ (भारत के कोच) : बड़ी उम्मीद से किसी ‘ख़ास’ को कोच बना रहे हो और वे पूरी होती नजर न आएं तो निराशा होगी ही, जब बीसीसीआई ने राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया का कोच बनाया, तो सभी ने कहा ये मास्टर स्ट्रोक फैसला है और टीम इंडिया की क्रिकेट बदल जाएगी इससे।
आज हालत ये है कि उनकी सोच आज की क्रिकेट की जरूरत में ‘अनफिट’ नजर आ रही है और सच तो ये है कि ऐसा लग ही नहीं रहा कि वे टीम के साथ हैं भी। एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि कोच के तौर पर उनकी मौजूदगी से फायदा हो रहा है।
अगर बड़ा नाम या कॉन्ट्रैक्ट न होता, तो अब तक हटा दिए गए होते। अधूरे फिट जसप्रीत बुमराह को खिलाना, स्पिनर युजवेंद्र चहल का सही उपयोग न करना और स्पिनर कुलदीप यादव को फॉर्म में होने के बावजूद टीम से बाहर करना उनकी क्रिकेट समझ पर सवाल हैं। क्या वे सिर्फ जूनियर क्रिकेट के लिए सही थे?