मुंबई (Mumbai) में इस सीजन के मुंबई-सौराष्ट्र रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy 2022-23) मैच के स्कोर कार्ड पर नजर डालें, तो न किसी बल्लेबाज के 200-300 के स्कोर नजर आएंगे और न ही किसी गेंदबाज के 7-8 विकेट पर, ये मैच मुंबई के एक परिवार के लिए बड़ा ख़ास है। मुंबई के मैदानों के मशहूर कोच नौशाद खान (जिनके ट्रेनी में वसीम जाफर, अरमान खान और पृथ्वी शॉ भी हैं) के दोनों बेटे इस मैच में मुंबई टीम में थे। सरफराज ने अपना 34वां रणजी मैच खेला और छोटे भाई मुशीर खान ने रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया। कई क्रिकेट जानकार आज भी ये मानते हैं कि मुंबई रणजी ट्रॉफी टीम में जगह कोई आसान बात नहीं, नौशाद खान के दो बेटे उस टीम में हैं।
मुंबई रणजी टीम में जगह मुश्किल होती है, तभी तो एक मुकाम ऐसा भी आया जब नौशाद ने निराशा में सरफराज को मुंबई से ट्रांसफर लेकर उत्तर प्रदेश के लिए खेलने भेज दिया। इससे और कुछ नहीं, उसके करियर के दो कीमती साल खराब हुए- एक उत्तर प्रदेश के लिए खेलने में और दूसरा मुंबई वापस लौटने पर, फिर से क्वालीफाई करने के इंतजार में। आज उन्हें भारत की घरेलू क्रिकेट में रन मशीन कहा जा रहा है और वे सीनियर क्रिकेट के दरवाजे को लगातार खटखटा रहे हैं।
नौशाद खान की ज्यादा मशहूरी बल्लेबाज प्रोड्यूस करने में है पर छोटे बेटे मुशीर अलग हैं- वे उपयोगी बल्लेबाज के साथ-साथ गेंदबाज भी हैं। नौशाद ने उन्हें कभी गेंदबाजी से नहीं रोका और आज वे खुद को दुनिया का सबसे खुशनसीब पिता मानते है, ‘मेरे बेटों ने मुझे मेरे जीवन का सबसे खुशी का दिन दिया।’ वे मैच देखने हर रोज बीकेसी ग्राउंड में मौजूद थे।
यह भी पढ़ें – भारतीय क्रिकेट की नई चयन समिति को कौन-कौन सी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?
सरफराज (25) तो कम उम्र में ही मुंबई टीम में सीनियर बन चुके हैं और उन्हीं की तरह मुशीर को भी बचपन से ही मुंबई क्रिकेट सर्कल में एक शानदार टैलेंट माना गया। उनके सामने अपने भाई की कामयाबी एक प्रेरणा थी और पर जोश उनसे ज्यादा। मुशीर अभी 18 साल के भी नहीं और मुंबई क्रिकेट में ढेरों रिकॉर्ड हैं उनके नाम। इस साल वह अंडर 25 मैचों में मुंबई के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। हाल ही में दोनों ने मुंबई के लिए मैन ऑफ मैच अवार्ड लगभग साथ-साथ जीता- सीनियर्स के लिए सरफराज ने और एक अंडर 25 मैच में मुशीर ने।
संयोग ये भी है कि सरफराज की तरह मुशीर ने भी इस छोटे करियर में झटका झेल लिया है। ये तब की बात है जब मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने अनुशासनहीनता के लिए मुशीर पर तीन साल का प्रतिबंध लगा दिया था। तब दोनों बेटे क्रिकेट खेलने के मौके के इंतजार में अपने अब्बा के साथ शहर-शहर घूम रहे थे स्थानीय क्लब मैचों में खेलने ताकि, मुकाबले वाले क्रिकेट को खेलने का मिजाज बना रहे। वह मेहनत बेकार नहीं गई, मुशीर पर प्रतिबंध ‘माफी’ मांगने के साथ 11 महीने बाद ख़त्म कर दिया और सरफराज का भी कूलिंग ऑफ दौर ख़त्म हुआ।
यह भी पढ़ें – अलविदा 2022: इस साल के 7 सबसे यादगार मैच, जिसने बनाई फैंस के दिल में जगह
कांगा लीग और स्थानीय क्लब क्रिकेट ने, तो मैचों में न सिर्फ सरफराज और मुशीर को साथ में नौशाद खान को भी खेलते देखा है। अब नौशाद खान उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब रणजी ट्रॉफी में उनके दोनों बेटों का जिक्र उसी तरह से साथ-साथ होगा जैसे बंगाल के गांगुली, बड़ौदा के पांड्या और पठान और तमिलनाडु के बाबा भाइयों का होता है। टीम इंडिया के लिए खेलना इससे अगला मुकाम है। नौशाद खान ने कहा, “मैं बहुत आगे नहीं देख रहा हूं। ज्यादा की उम्मीद में, निराशा हाथ लग सकती है। वे जहां भी खेलें, बस सही और अच्छा खेलें।”