प्रो कबड्डी लीग सीज़न 6 का आगाज़ 19 अक्टूबर से होगा और इसके लिए सभी टीमें अपनी-अपनी तैयारियों में लगी हैं. यूपी योद्धास, जयपुर पिंक पैंथर्स, पुणेरी पलटन आदि टीमें हमेशा की तरह इस बार भी प्रो कबड्डी लीग का आकर्षण होंगी। मुंबई में इसको लेकर 30 और 31 मई को नीलामी हुई, जिसमें कई खिलाड़ियों को फ्रेंचाइजियों द्वारा खरीदा गया. उनमें कई खिलाड़ियों को इस बार किसी भी टीम में जगह नहीं मिल पाई. अब हम वीडियो द्वारा उन टॉप-5 खिलाड़ियों की सूची पर प्रकाश डालेंगे, जो बिकने के हक़दार थे लेकिन नाकामयाब रहे.
नितिन मदने: मुंबई में जन्मे नितिन मदने की गिनती कबड्डी के उन बेहतरीन खिलाड़ियों में की जाती है, जो खेल में अपनी कुशलता और होशियारी का इस्तेमाल कर विपक्षियों को चित करने का माद्दा रखते हैं. नितिन मदने 2014 में आयोजित एशियाई खेलों में गोल्ड मैडल जीतने वाली भारतीय कबड्डी टीम का हिस्सा रह चुके हैं. एक राष्ट्रीय खिलाड़ी को प्रो कबड्डी लीग की किसी टीम में जगह ना मिल पाना एक हैरानी वाली बात है.
कुलदीप सिंह: प्रो कबड्डी लीग में अपने पहले ही मैच में सब का ध्यान अपनी ओर केंद्रित करने वाले कुलदीप सिंह जयपुर पिंक पैंथर्स और पटना पाइरेट्स टीमों का हिस्सा रह चुके हैं. सीज़न एक में कुलदीप सिंह को पटाना की टीम ने 4.20 लाख में खरीदा था। कुलदीप सिंह भारतीय रेल्वे में टीटी की नौकरी किया करते थे. वो हरियाणा के रोहतक के रहने वाले हैं। इस बार वो प्रो कबड्डी लीग का हिस्सा नहीं बन पाए.
सोमवीर शेखर: पुणेरी पलटन, बेंगलुरु बुल्स और पटना पाइरेट्स के हिस्सा रह चुके कबड्डी के प्रतिभावान खिलाड़ी सोमवीर सिंह इस बार फ्रेंचाइजियों पर ख़ास छाप नहीं छोड़ पाए. उन्होंने सीज़न एक में पटना पाइरेट्स की तरफ से अपने प्रो कबड्डी लीग करियर की शुरुआत की थी. सोमवीर को सीज़न 6 में किसी भी टीम में जगह ना मिल पाना काफी दुर्भाग्य वाली बात है.
गुरविंदर सिंह: प्रो कबड्डी लीग के सीज़न पांच में 16.2 लाख रुपये में हरियाणा टीम का हिस्सा रहे गुरिंदर सिंह एक अनुभवी कबड्डी खिलाड़ी हैं. उन्होंने पीकेएल लीग में हमेशा बेहतरीन प्रदर्शन किया है लेकिन कई मौकों पर उन्होंने फैंस को निराश भी किया है. इस बार भी वो शायद किसी टीम के लिए फायदे का सौदा हो सकते थे.
राकेश कुमार: भारतीय राष्ट्रीय टीम के पूर्व कप्तान और पीकेएल सीज़न एक में पटना पाइरेट्स टीम की कमान संभालने वाले राकेश कुमार इस बार प्रो कबड्डी लीग में खेलते नज़र नहीं आएंगे। वो विश्वकप 2004 और 2006 एशियाई खेलों की विजयी भारतीय टीम का हिस्सा थे। इतना ही नहीं राकेश कुमार 2007 की वर्ल्डकप टीम के उपकप्तान भी रहे। इतने प्रतिभावान और दिग्गज खिलाड़ी का प्रो कबड्डी लीग में हिस्सा नहीं बन पाना किसी के लिए भी हैरानी वाली बात है.