एमएस धोनी की जो ‘येलो आर्मी’ जो अब तक आईपीएल में अपने प्रोफेशनल अंदाज के लिए चर्चा में थी- इस सीजन में अंदरूनी कलह के ऐसे चक्कर में फंसी कि इस सीजन को रिकॉर्ड से निकालने की वकालत करते नजर आएं तो कोई हैरानी नहीं होगी। वे खेलों की दुनिया में ऐसी पहली चैंपियन टीम नहीं जो अचानक ही खराब खेले और हारे पर एक अच्छी टीम की पहचान ये है कि वह हार में भी टूटती नहीं- तभी तो अगले सीजन में बेहतर मुकाबले के साथ वापस लौटेंगे। क्या चेन्नई सुपर किंग्स ने ऐसा किया है?
इस साल के आईपीएल मेगा नीलाम से ही चेन्नई टीम के लिए गलत चर्चा का जो सिलसिला शुरू हुआ वह टीम को और दबाव में लाता गया। सुरेश रैना को न लेने का सवाल आज तक ख़त्म नहीं हुआ है। उस पर सीजन के पहले मैच से कुछ ही घंटे पहले, अचानक ही रवींद्र जडेजा को कप्तान बना दिया- ये साफ़ नजर आ रहा था कि वे इस जिम्मेदारी को लेने के लिए दिमागी तौर पर तैयार नहीं थे। पहेली ये कि टीम मैनेजमेंट ने कहा कि ये तो अंदरूनी तौर पर पिछले सीजन के आखिर में ही तय हो गया था कि जडेजा को नया कप्तान बनाएंगे। अगर ऐसा था तो जडेजा को शुरू से टीम तैयार करने का मौका क्यों नहीं दिया?
इस सब से कितना गलत माहौल बना ये टीम के पहले 8 मैच के रिकॉर्ड ने बता दिया। यहीं एक और तमाशा- अचानक रवींद्र जडेजा से कप्तानी की बागडोर एमएस धोनी ने वापस संभाल ली ये कहकर कि कप्तानी का दबाव जडेजा पर ‘असर’ डाल रहा है। टीम का रिकॉर्ड कुछ बेहतर हुआ पर अन्य दूसरी टीमों को झटका दे सकें- इसमें बहुत पिछड़ गए थे। ये साफ़ नजर आ रहा था कि इस ‘बदलाव ‘से जडेजा खुश नहीं थे और कप्तानी के इस तमाशे ने सबसे ज्यादा नुक्सान जडेजा का किया-
- ये बता दिया कि वे कप्तानी का दबाव नहीं झेल सकते। कभी टीम इंडिया का कप्तान बन पाने का उनका मौका ख़त्म कर दिया।
- एक क्रिकेटर के तौर पर भी जडेजा का सीजन का रिकॉर्ड बेकार हो गया। जैसा खेल रहे थे और टीम इंडिया के ‘सबसे बेहतर फील्डर’ के टैग के बावजूद जो घटिया फील्डिंग कर रहे थे- उससे तो उनका रिकॉर्ड ही ख़राब हो गया।
अगर ये सब कम था तो उनकी खराब फिटनेस की दलील पर उन्हें सीजन के बीच में ही ‘घर वापस भेजना’ और भी बड़ा रहस्य बन गया। सोशल मीडिया पर एक दूसरे को ‘अनफ़ॉलो’ करने की जडेजा और टीम की आपसी होड़ को देखकर, अगर आकाश चोपड़ा और केविन पीटरसन जैसे इस सीजन की क्रिकेट को नजदीक से देख रहे पंडित ये घोषणा कर रहे हैं कि जडेजा की ‘येलो आर्मी’ में इनिंग्स ख़त्म तो कोई हैरानी की बात नहीं। जिस रवींद्र जडेजा को रिटेंशन लिस्ट में टीम ने धोनी से बेहतर ग्रेड का कॉन्ट्रैक्ट दिया- उसके साथ आखिरकार समीकरण ऐसा क्यों बिगड़ा कि नौबत यहां तक पहुंच गई?
टीम के लिए बदनामी की बाकी की कसर, अंबाती रायुडू के, अपना आख़िरी सीजन खेलने के ट्वीट ने पूरी कर दी- अभी ये ट्वीट सही तरह पढ़ा भी नहीं गया था कि रायुडू ने इसे डिलीट भी कर दिया- उन कुछ मिनट के अंदर टीम मैनेजमेंट ने उन्हें अपने करियर में रिटायर होने के एक और ‘यू-टर्न’ के लिए तैयार कर लिया। इस तमाशे में सोचने वाली बात ये है कि आम तौर पर खिलाड़ी इस तरह के बड़े फैसले पहले टीम मैनेजमेंट को बताते हैं और उसकी बाद पब्लिक में घोषणा करते हैं- इस मामले में रायुडू का टीम मैनेजमेंट को न बताना इस बात का सबूत है कि उनका गुस्सा किस तरफ था।
इससे पहले कि जडेजा टीम में रह कर कोई बम फोड़ते- उन्हें घर भेज दिया। इससे पहले कि ‘रिटायर’ रायुडू टीम में रह कर छटपटाते रहते, उन्हें फैसला बदलने के लिए तैयार कर लिया। अगर आप ये समझ रहे हैं कि इससे चेन्नई टीम के विवाद खत्म हो गए तो गलत सोच रहे हैं- ये तो आईपीएल में इस टीम के ‘सीजन 2’ की स्टोरी होगी- श्रीनिवासन मामा ऐसे तमाशों को जल्दी नहीं भूलते और जो उनकी सोच से अलग चलता है- उसे माफ़ नहीं करते। सुरेश रैना की मिसाल सामने है। अब तो ‘सीजन 2’ की स्टोरी का इन्तजार है। दोनों जडेजा और रायुडू होशियार रहें।