साल 2019 क्रिकेट जगत के लिए काफी अहम है। इस साल 12वें क्रिकेट विश्व कप का आगाज होना है। जिसमें 10 टीमें शामिल होंगी। विश्व कप के खेल में भारत-पाकिस्तान का मुकाबला हमेशा से ही रोमांचक रहा है। इस विश्व कप में भारत-पाकिस्तान का मुकाबला 16 जून 2019 को होना है। हालांकि फिलहाल भारत में पुलवामा हमले को लेकर पाकिस्तान पर आक्रोश देखा जा रहा है। जैश-ए-मोहम्मद के जरिए कराए गए इस आतंकी हमले में भारतीय सेना के 40 जवान शहीद हो गए थे। जिसके बाद विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैदान में उतरने को लेकर कई क्रिकेट खिलाड़ी बयान दे चुके हैं। कई क्रिकेट खिलाड़ियों का कहना है कि भारत को विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच का बहिष्कार कर देना चाहिए। भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय सीरीज काफी सालों से नहीं खेली जा रही है। वहीं अब विश्व कप जैसे अहम इवेंट में पाकिस्तान के खिलाफ न खेलने की बात कहां तक जायज है?

पुलवामा हमले के विरोध में भारत में जहां पाकिस्तान से बदला लेने की गूंज सुनाई दे रही है तो वहीं पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन का कहना है कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ न सिर्फ विश्व कप के मुकाबले में बल्कि कहीं भी नहीं खेलना चाहिए। हालांकि मोहम्मद अजहरुद्दीन का ये बयान काफी विरोधाभासी मालूम होता है क्योंकि साल 1999 में मई से जुलाई के बीच भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल की लड़ाई हुई थी। उस जंग में भारत ने फतह तो हासिल की लेकिन भारतीय जवानों की काफी शहादत भी झेलनी पड़ी।

उसी दौरान क्रिकेट विश्व कप भी खेला गया और मोहम्मद अजहरुद्दीन 1999 विश्व कप में कप्तानी की भूमिका अदा कर रहे थे। कारगिल युद्ध के दौरान ही इंग्लैंड में 8 जून 1999 की तारीख को भारत-पाकिस्तान के बीच मुकाबला हुआ। वहीं पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने पुलवामा आतंकी हमले के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ सभी खेल रिश्ते तोड़ने की मांग की है। 1999 विश्व कप में गांगुली भी टीम इंडिया का हिस्सा रहे हैं हालांकि पाकिस्तान के खिलाफ उस मैच में वो प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं रहे थे, लकिन पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने भारत के मैच न खेलने को लेकर कुछ नहीं कहा था। भारत ने उस मैच में जीत दर्ज की थी लेकिन आखिर कारगिल युद्ध के वक्त मोहम्मद अजहरुद्दीन और सौरव गांगुली की देशभक्ति कहां गई थी? क्या उस जंग में इन क्रिकेटर्स को भारतीय जवानों का ख्याल नहीं आया? क्या अब पुलवामा हमले के बाद मैच का बहिष्कार कर देना ही एक तरीका है?

वहीं स्पिनर हरभजन सिंह ने क्रिकेट के मैदान पर पूरी तरह से पाकिस्तान का बहिष्कार करने की मांग की थी। हालांकि इससे पहले 2 जनवरी 2016 को आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला कर दिया था। इसमें 7 जवान शहीद हो गए थे। 80 घंटे तक चली भीषण मुठभेड़ के बाद चार आतंकियों को मार गिराया गया था। वहीं साल 2016 में 19 मार्च को भारत-पाकिस्तान के बीच टी20 विश्व कप में मुकाबला खेला जाना था। इस विश्व कप की टीम में हरभजन भी शामिल थे। उस दौरान भारत-पाकिस्तान के धर्मशाला में मैच को लेकर पूर्व सैनिकों ने अपना विरोध जताया था। जिस कारण 19 मार्च 2016 को धर्मशाला में होने वाला मैच कोलकाता शिफ्ट करवाना पड़ा। लेकिन तनाव के उस हालात में हरभजन सिंह की शायद आंखें बंद थी। उस दौरान पाकिस्तान से मैच न खेलने को लेकर शायद ही हरभजन ने अपना आक्रोश दिखाया हो। भारत ने उस मुकाबले में जीत हासिल की थी।

हालांकि एक बात फिर भी समझ नहीं आती की देशभक्ति क्या खेल का बहिष्कार करने से ही जाहिर होगी या खेल में विरोधी टीम का सामना न करने से बदला लिया जा सकेगा? एक तरफ भारतीय क्रिकेटर्स पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में न खेलने की बात करते हैं और दूसरी तरफ इतिहास कुछ और ही दिखाई पड़ता है। खुद हरभजन सिंह की पाकिस्तान के क्रिकेटर शाहिद अफरीदी के साथ कई बार गले लगने की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। मैदान के बाहर अफरीदी और भज्जी दोनों काफी अच्छे दोस्त माने जाते हैं। क्या हरभजन को उस वक्त शहीद जवानों की याद नहीं आती?

सिर्फ क्रिकेट न खेलकर ही देशभक्ति जाहिर नहीं की जा सकती है। अगर जवानों की शहादत का बदला लेना ही है तो असली बदला होगा कि मैदान पर विरोधी को पीठ न दिखाकर सीना चौड़ाकर उसका सामना किया जाए। मैदान पर दुश्मन देश का खेल के बहाने ही सामना कर उसे सही मायनों में जवाब दिया जा सकता है। भारत-पाकिस्तान के मैच में हार-जीत मायने रखती है। लेकिन हार-जीत से भी ज्यादा मायने रखता है विरोधी का सामना करना। भारत-पाकिस्तान के बीच जंग भले ही युद्ध के मैदान पर खेली जाए या खेल के मैदान पर, मायने रखता है आखिरी सांस तक मैदान पर कौन टिका है। ऐसे में भारत को पाकिस्तान के खिलाफ क्रिकेट विश्व कप में मैदान पर उतरकर जीत के साथ पाकिस्तान के नापाक इरादों को एक करारा जवाब देना चाहिए।

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