क्रिकेट का जो सफर सदियों पहले टेस्ट मैचों से शुरू हुआ था, वह बीतते समय के साथ वनडे मैचों से होता हुआ टी-20 मैचों तक पहुंच गया। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में तो ये 3 प्रारूप ही शामिल हैं, लेकिन इनके अलावा भी हांग कांग क्रिकेट सिक्सेज, टी-10 लीग, बीच क्रिकेट, इंडोर क्रिकेट जैसे कई अन्य प्रारूप भी लगातार चर्चाओं में बने रहते हैं।

पिछले दिनों इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष कोलिन ग्रेव्ज ने बताया कि चूंकि नई पीढ़ी क्रिकेट के प्रति ज्यादा आकर्षित नहीं हो रही है तो क्रिकेट में उनकी रुचि जगाने के लिए एक 100-100 गेंदों वाले मैचों का टूर्नामेंट आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है। इसे 100-बॉल कम्पीटिशन का नाम दिया गया है। इसमें मैच की प्रत्येक पारी में 15 ओवर तो 6 गेंदों वाले ही फेंके जाएंगे, जबकि आखिरी 16वां ओवर 10 गेंदों का होगा। इस प्रकार ये मैच टी-20 मैचों की 120 गेंदों की पारी से 20 गेंदें कम वाली पारियों के होंगे।

कोलिन ग्रेव्स का कहना है कि जो भी सर्वे, शोध इत्यादि करवाए गए हैं, उनमें यही बात निकलकर सामने आ रही है कि नई पीढ़ी को परम्परागत क्रिकेट ज्यादा पसंद नहीं आ रही है और उन्हें कुछ नया व अलग चाहिए। वे ज्यादा रोमांच चाहते हैं और इसके लिए क्रिकेट मैच छोटे व आसानी से समझ में आ जाने वाले होने जरूरी हैं।

पिछले दिनों जब इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड की तरफ से इस 100-बॉल क्रिकेट का प्रस्ताव आया था तो इंग्लैंड के ही काफी मौजूदा और भूतपूर्व क्रिकेटरों ने इस प्रारूप की कड़ी आलोचना की थी। यह 100-बॉल कम्पीटिशन इंग्लैंड में 2020 में शुरू किए जाने की योजना है, जिसका मकसद बच्चों और उनके अभिभावकों को छुट्टियों में खेल से जोड़ना होगा।

कहा जा रहा है कि भारत के कई बड़े खिलाड़ी भी इस टूर्नामेंट में खेलते दिख सकते हैं। इन बड़े खिलाड़ियों में विराट कोहली, महेन्द्र सिंह धोनी और रोहित शर्मा जैसे नाम शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि इन खिलाड़ियों को इस टूर्नामेंट में खेलने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से मान्यता भी मिल सकती है, क्योंकि आईपीएल के अपने बाजार को बचाने के लिए विदेशी लीगों में अपने खिलाड़ियों को भेजने वाला भारतीय बोर्ड इस 100-बॉल कम्पीटिशन में भी भारतीय खिलाड़ियों को खेलने की अनुमति दे सकता है। वैसे भारतीय खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में खेलेंगे, इसकी ज्यादा संभावनाएं नजर नहीं आती। भारतीय क्रिकेटरों का पूरे साल का क्रिकेट कार्यक्रम काफी व्यस्तता भरा होता है और ऐसे में वे किसी नए प्रारूप वाली विदेशी लीग में खेलने के लिए समय निकाल पाएंगे, ऐसा लगता नहीं है।

क्रिकेट का पहला प्रारूप टेस्ट था। फिर संयोगवश वनडे क्रिकेट की शुरुआत हुई, जिसे काफी पसंद किया गया। हालात ने कुछ ऐसी करवट ली कि वनडे क्रिकेट जब शुरू हुआ तो टेस्ट मैचों की लोकप्रियता निरंतर घटती गई, जबकि वनडे क्रिकेट की लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई। इसके बाद शुरुआत हुई टी-20 क्रिकेट की। इस प्रारूप ने टेस्ट और वनडे की लोकप्रियता को भी पीछे छोड़ दिया। दुनिया भर में टी-20 मैचों की पेशेवर लीग शुरू हुईं और असंख्य क्रिकेटरों को इन लीगों में खेलकर पैसा कमाने का मौका मिला।

टेस्ट, वनडे और टी-20 को चूंकि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का भी दर्जा प्राप्त है, इसलिए दर्शकों में इन प्रारूपों में विशेष रुचि है। इन 3 प्रारूपों के अलावा समय-समय पर क्रिकेट के अन्य जितने भी प्रारूप शुरू हुए हैं, उन्हें न तो ज्यादा सफलता मिली है और न ही वे लोकप्रिय हुए हैं। हांग कांग क्रिकेट सिक्सेज को हांग कांग से बाहर के कितने क्रिकेट प्रेमी देखना चाहते हैं? अभी कुछ महीने पहले दिसम्बर, 2017 में यूएई में खेली गई टी-20 लीग को आखिर दुनिया के कितने क्रिकेट प्रेमियों ने पसंद किया?

जब 120 गेंदें प्रति पारी वाले टी-20 मैचों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है तो फिर 100 गेंदें प्रति पारी वाले मैच क्रिकेट को नई पीढ़ी में ज्यादा लोकप्रिय कैसे बना सकते हैं? होना तो यह चाहिए कि क्रिकेट के कर्ता-धर्ता खेल के मुख्य 3 प्रारूपों को ही लोकप्रिय बनाने के लिए परिश्रम करें, न कि नए-नए अनर्गल प्रारूपों की शुरुआत करके खेल को नुकसान पहुंचाएं। इसे तो हास्यास्पद विचार ही कहा जाएगा कि 100-बॉल क्रिकेट के एक मैच में 15 ओवर तो 6 गेंदों वाले होंगे, जबकि पारी का आखिरी 16वां ओवर 10 गेंदों वाला होगा। आशा की जानी चाहिए कि ऐसी योजनाएं बनाने वालों को सद्बुद्धि मिले।

Leave a comment

Cancel reply