विराट कोहली के सरे काउंटी क्रिकेट क्लब के साथ औपचारिक कॉन्ट्रेक्ट से पहले ही यह चर्चा शुरू हो गई कि इस साल इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले विराट कोहली को इंग्लैंड में प्रेक्टिस के लिए कुछ मैच क्यों खेलने चाहिए? यहां खास बात यह है कि किसी ने जबर्दस्ती नहीं की थी, विराट कोहली ने खुद कहा था कि प्रेक्टिस के लिए वे काउंटी चैंपियनशिप में खेलेंगे।
2014 की इंग्लैंड में टैस्ट सीरिज के 1, 8, 25, 0, 32, 23, 0, 7, 6 और 20 जैसे स्कोर वे भूले नहीं हैं। आज भी यह माना जाता है कि इंग्लैंड में अच्छा प्रदर्शन किसी भी क्रिकेटर के लिए बहुत जरूरी है- इंग्लिश पिचों पर अच्छी बल्लेबाजी, किसी बल्लेबाज को जो चर्चा दिलाती है उसका जवाब नहीं।
अब जबकि यह तय हो गया है कि विराट कोहली जून के महीने में सरे के लिए नहीं खेलेंगे तो सवाल ये है कि इससे उनके टैस्ट सीरिज में प्रदर्शन पर क्या असर आएगा?
सबसे पहले 2014 के इंग्लैंड टूर पर लौटते हैं। 16 अप्रैल से आईपीएल शुरू हुई और 1 जून तक चली यानि कि लगभग डेढ़ महीने तक सभी टॉप क्रिकेटर ट्वंटी20 के मूड में थे। इंग्लैंड टूर 26 जून से शुरू हुआ और प्रेक्टिस के लिए 3 दिन वाले सिर्फ 2 मैच मिले तथा उसके बाद सीधे टैस्ट।
भारतीय क्रिकेटरों को प्रेक्टिस की कितनी स त जरूरत थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लेस्टरशायर के विरुद्ध पहले 3 दिन के मैच में भारत के 18 खिलाड़ी खेल सकते थे, भले ही बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में 11-11 खिलाड़ी खेल सकते थे। अगला मैच 1 जुलाई से डर्बी में डर्बीशायर के विरुद्ध था। इसमें डर्बीशायर ने 12 खिलाड़ियों को खिलाया तो भारत ने फिर से 18 खिलाड़ियों को।
9 जुलाई से पहला टैस्ट शुरू हो गया यानि कि अभी क्रिकेटर न मौसम समझे थे और न पिच, एकदम टैस्ट शुरू हो गए। 2018 के दक्षिण अफ्रीका टूर के दौरान भी यही महसूस हुआ कि अगर टैस्ट सीरिज से पहले कुछ दिन और मिल जाते पिचों को समझने के लिए तो शायद इस सीरिज का नतीजा कुछ और होता।
किसी ने ध्यान नहीं दिया। पिछले दिनों भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने एक पालिसी बनाई जिसमें कहा था कि जहां तक संभव हो किसी भी विदेशी टूर में एकदम शुरू में टैस्ट नहीं खेलेंगे। अगर पूरी सीरिज है तो पहले सीमित ओवर वाले मैच खेलेंगे।
2018 के इंग्लैंड टूर का प्रोग्राम भी इसी तरह बना। आयरलैंड में दो ट्वंटी20 के साथ इंग्लिश मौसम को समझने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इसके बाद इंग्लैंड में 3, 6 और 8 जुलाई को ट्वंटी20 अंतर्राष्ट्रीय है तथा 12, 14 एवं 17 जुलाई को 3 ओडीआई। 25 से 28 जुलाई तक एसैक्स के विरुद्ध प्रथम श्रेणी मैच है।
इसका मतलब है कि 1 अगस्त से एजबेस्टन में पहला टैस्ट शुरू होने से लगभग एक महीना पहले से भारत की टीम इंग्लैंड में खेलना शुरू कर देगी और अब तक मौसम और पिच के मिजाज को क्रिकेटर अच्छी तरह समझ चुके होंगे। यह ठीक है कि टैस्ट से पहले ज्यादा प्रेक्टिस सीमित ओवर के मैचो में मिलेगी लेकिन इंग्लैंड में खेलते हुए मौसम को समझना बहुत जरूरी है और उसका पूरा मौका मिल रहा है।
आज के क्रिकेटर यह शिकायत नहीं कर सकते कि एक तरह की क्रिकेट से दूसरी तरह की क्रिकेट के मिजाज में कैसे आएं? इसलिए विराट कोहली अपने अनुभव का फायदा उठा कर टैस्ट सीरिज में खेलने के लिए पूरी तरह तैयार होंगे। सरे के लिए नहीं खेले तो क्या हुआ इंग्लैंड के गेंदबाज होशियार रहें।