सनस्क्रीन त्वचा को धूप से बचाने का सबसे बेहतरीन विकल्प है. सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर त्वचा को सनबर्न और स्किन कैंसर जैसी घातक बीमारियों से बचाया जा सकता है. इसमें एसपीएफ मौजूद होता है, जो सूरज की किरणों से त्वचा की सुरक्षा करने में सनस्क्रीन की दक्षता के बारे में बताता है.
एसपीएफ क्या है?
एसपीएफ यानी सन प्रोटेक्शन फैक्टर, जो सनस्क्रीन में अलग-अलग मात्रा में मौजूद होता है. हम जानते हैं कि सूरज की किरणों के संपर्क में आने से हमें सनबर्न हो सकता है या फिर स्किन कैंसर की समस्या हो सकती है. हालांकि एसपीएफ के बारे में जानने वाले कई लोगों को ऐसा लगता है कि सनस्क्रीन का एसपीएफ जितना ज़्यादा होगा, उससे हमें उतनी ही सुरक्षा मिलेगी.
उदाहरण के तौर पर अगर किसी को एक घंटा धूप में रहने से सनबर्न होता है तो एसपीएफ 15 उन्हें 15 घंटे धूप में रहने की आजादी देगा, मतलब सनबर्न होने में 15 गुना अधिक समय लगेगा. मगर ऐसा तभी हो सकता है, जब इन पूरे 15 घंटों में धूप का असर एक सा हो, जो कि संभव नहीं है. मसलन, सुबह के समय धूप का असर कम होता है, दोपहर में काफी ज्यादा.
एसपीएफ का मूल्यांकन कैसे किया जाता है?
एसपीएफ़ (SPF) 15- 93% यूवीबी किरणों को ब्लॉक करता है
एसपीएफ़ (SPF) 30- 97% यूवीबी किरणों को ब्लॉक करता है
एसपीएफ़ (SPF) 50- 98% यूवीबी किरणों को ब्लॉक करता है
एसपीएफ़ (SPF) 70- 98.5% यूवीबी किरणों को ब्लॉक करता है
एसपीएफ़ (SPF) 100- 99% यूवीबी किरणों को ब्लॉक करता है
तो इस तरह हमने पाया कि एसपीएफ30 और एसपीएफ 15 सनस्क्रीन का आवश्यकतानुसार इस्तेमाल किया जाता है. आमतौर पर एक गलत धारणा है कि जितना अधिक एसपीएफ़, उतनी ही बेहतर सुरक्षा, लेकिन त्वचा विशेषज्ञ एसपीएफ 15 या एसपीएफ 30 का उपयोग करने की सलाह देते हैं. जानकारों के अनुसार किसी भी सनस्क्रीन का सर्वश्रेष्ठ परिणाम पाने के लिए इसे दो घंटे के बाद फिर से लागू करना चाहिए.