विश्व क्रिकेट जगत में कई ऐसे खिलाड़ी भी होते हैं, जो खेल और ज़िन्दगी की पिच पर बराबर सफल रहते हैं. आज हम ऐसे ही कुछ खिलाड़ियों के बारे में चर्चा करने वाले हैं, जिन्होंने अपनी परेशानियों को दूर करते हुए क्रिकेट के मैदान पर फिर से वापसी की और लिख डाली नई इबारत.
मार्टिन गप्टिल- (पैर की उंगलियों का ना होना)
न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के दाएं हाथ के बल्लेबाज़ मार्टिन गप्टिल हमेशा अपनी आक्रमण बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उन्होंने बचपन में एक ऐसे हादसे का सामना किया था, जिससे उनकी जान भी जा सकती थी. इसके कारण डॉक्टर को उनके बाएं पैर का अंगूठा और दो उंगलियां काटनी पड़ी थीं. दरअसल, मार्टिन गप्टिल जब 13 वर्ष के थे तो फोर्क लिफ्ट यानी सामान उठाने वाली लिफ्ट के नीचे उनका पैर आ गया था, वहीँ उनकी तीन उंगलियाँ बुरी तरह से चोटिल हो गई थीं. इसके बाद उनके चलने को लेकर चिंता पैदा हो गई थी. मगर उन्होंने हार ना मानते हुए क्रिकेट की दुनिया में जगह बनाई.
वसीम अकरम- (डाइबिटीज़)
पाकिस्तान के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ और रिवर्स स्विंग के बादशाह वसीम अकरम के एक समय टाइप 1 मधुमेह बीमारी से पीड़ित होने का खुलासा हुआ था. इस दौरान उनके शरीर ने इंसुलिन बनाना बंद कर दिया था. मगर इस पूर्व तेज़ गेंदबाज़ ने अपनी बीमारी से हार ना मानते हुए दवाई लेना शुरू किया, साथ ही वो जमकर वर्जिश भी करते रहे. इससे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वो लंबे समय तक बने रहे.
ब्रायन लारा- (हेपेटाइटिस बी)
वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज़ ब्रायन लारा अपने समय के सबसे खतरनाक और प्रतिभावान खिलाड़ियों में से एक थे. 2002 में ब्रायन लारा जब श्रीलंका में खेल रहे थे, तब उन्हें हेपेटाइटिस बी बीमारी का पता चला था. इलाज के बाद लारा का लौटना पक्का था, लेकिन इस बात का संश्य था कि वो दोबारा शानदार फॉर्म में लौट पाएंगे या नहीं. इसके बाद उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर वापसी करते हुए टेस्ट में 400 का नाबाद स्कोर बनाया. यहां तक की इस स्कोर को आजतक कोई भी बल्लेबाज़ नहीं तोड़ पाया है.
जोंटी रोड्स- (मिरगी)
अपने समय के दुनिया के सबसे बेहतरीन फील्डरों में शुमार दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज़ जोंटी रोड्स को मिरगी की बीमारी थी. ये खिलाड़ी इस बीमारी से खूब लड़ा और एक समय ऐसा आया जब उन्होंने इस बीमारी को पराजित किया. आपको बता दें कि उस समय क्रिकेट के मैदान में जोंटी की गेंद रोकने की कला और रनआउट करने की दक्षता का कोई सानी नहीं था. वो आज भी युवाओं को फील्डिंग के गुण सिखाते हैं.
.