कुछ महीने के अंदर लोकेश राहुल ने अपनी बल्लेबाजी की पहचान को एकदम बदल दिया है, जिन राहुल के बारे में हर विशेषज्ञ और जानकार यह कहता था कि उन्होंने अपने टैलेंट की सही कद्र नहीं की, अपने विकेट की कीमत को नहीं पहचाना और बार-बार मौका दिए जाने के बावजूद चयनकर्ताओं और कप्तान के भरोसे को सही नहीं ठहराया, वही अब ऐसे बल्लेबाज नजर आ रहे हैं मानो भारत को बैट के साथ एक और ‘विराट कोहली’ मिल गया हो!

बिल्कुल आखिरी सीरीज से शुरू करते हैं। न्यूजीलैंड के विरूद्ध 5 फरवरी के हैमिल्टन वन डे इंटरनेशनल में 88* और भारत के स्कोर को तेजी से बढ़ाया, न्यूजीलैंड के विरूद्ध पांच टी 20 अंतर्राष्ट्रीय में 56, 57*, 27, 39 और 45 रन। ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध तीन वन डे इंटरनेशनल में 47, 80 और 19 रन। श्रीलंका के विरूद्ध दो टी20 अंतर्राष्ट्रीय में 45 और 54 रन। वेस्टइंडीज के विरूद्ध तीन वन डे इंटरनेशनल में 6, 102 और 77 रन। वेस्टइंडीज के विरूद्ध तीन टी20 अंतर्राष्ट्रीय में 62, 11 और 91 रन। बांग्लादेश के विरूद्ध तीन टी20 अंतर्राष्ट्रीय में 15, 8* और 52 रन। बैट के साथ ऐसी स्थिरता किसी को भी हैरान कर देगी।

बांग्लादेश के विरूद्ध 52 का स्कोर 10 नवंबर 2019 को बनाया और अगर उसी तारीख से हिसाब लगाएं तो वन डे इंटरनेशनल में विश्व में राहुल के 7 मैच में 419 रन से ज्यादा रन सिर्फ रोहित शर्मा (429) ने बनाए। विराट कोहली ने 7 मैच में 323 रन बनाए। इस तरह टी20 अंतर्राष्ट्रीय में लोकेश ने 11 पारी में 147.67 स्ट्राइक रेट से 539 रन बनाए। इस दौर में और किसी ने तो 400 रन भी नहीं बनाए। विराट कोहली ने 9 पारी में 344 रन बनाए। श्रेयस अय्यर ने 11 पारी में 267 रन बनाए।

लोकेश राहुल ने इस दौर में टी 20 में 50 वाले 6 स्कोर बनाए। उसके बाद सिर्फ रोहित शर्मा ने 3 ऐसे स्कोर बनाए। बात यहीं खत्म नहीं होती। राहुल ने 7 कैच लपके और एक बल्लेबाज को स्टंप किया। बल्लेबाजी का नंबर तय नहीं था। टीम की जरूरत में बल्लेबाजी का नंबर बदलता रहा। तब भी टी 20 हों या वन डे इंटरनेशनल, वे रन बनाते रहे और टीम की जरूरत को महत्व दिया, न कि अपने रिकॉर्ड को।

जब एरोन फिंच की ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत में थी तो राहुल ने तीनों मैच में अलग-अलग नंबर पर बल्लेबाजी की। न्यूजीलैंड भी टी20 में अगर ओपनर के तौर पर रन बनाए तो पहले वन डे में मिडिल ऑर्डर में खेले। इस तरह का बल्लेबाजी का बदलता नंबर किसी भी बल्लेबाज की बल्लेबाजी की लय बिगाड़ देता है। राहुल ने इसका असर अपनी बल्लेबाजी पर नहीं आने दिया। न ही विकेट कीपिंग की थकान दिखाई। तो वे बने न कमाल के क्रिकेटर।

एक बहुत बड़ा फर्क हाल फिलहाल बन गया है। विराट कोहली तीनों तरह की क्रिकेट खेलते हैं, राहुल इस अच्छी फॉर्म के बावजूद, टेस्ट क्रिकेट के लिए चयनकर्ताओं की स्कीम में नहीं हैं। हालांकि वे कई दिनों से न्यूजीलैंड की पिचों पर रन बना रहे हैं, पिच और मौसम के मिजाज को अच्छी तरह से समझ चुके हैं, तब भी उन्हें इस टूर में टेस्ट सीरीज के लिए टीम में शामिल नहीं किया। रोहित शर्मा के चोटिल होने पर उनकी जगह के सबसे जोरदार दावेदार राहुल ही थे पर ऐसा हुआ नहीं।

जिस तरह से विराट कोहली की क्रिकेट की सबसे बड़ी खूबी है सही फोकस, वही अब राहुल की क्रिकेट में नजर आ रहा है। कॉफ़ी वाले विवाद को अब वे पीछे छोड़ आए हैं और इस समय पूरा ध्यान करियर पर है। अभी टेस्ट टीम में जगह नहीं मिली तो क्या हुआ, अगर अपने क्रिकेट पर राहुल का फोकस ऐसा ही रहा तो टेस्ट सीरीज तो आगे और भी आएंगी। भारतीय क्रिकेट के बेहतर हो रहे ग्राफ में एक नहीं, कई ‘पूरे’ बल्लेबाज का योगदान है और राहुल इनमें से एक हैं।

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