ये खबर आग की तरह सुर्खियों में है कि सऊदी अरब की इंडियन प्रीमियर लीग में हिस्सेदारी पर नजर है। यहां तक कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सलाहकारों ने आईपीएल को 30 अरब डॉलर (लगभग 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये) की वैल्यू वाली एक होल्डिंग कंपनी में ट्रांसफर करने के बारे में भारत सरकार और बीसीसीआई के अधिकारियों से बात भी की है। क्राउन प्रिंस सितंबर में भारत आए थे G20 के दौरान और तब बातचीत हुई थी और अगर इस होल्डिंग कंपनी की बात पर सहमति हो जाती है तो वे आईपीएल पर 5 अरब डॉलर इनवेस्ट करने के लिए तैयार हैं यानि कि 1/6 हिस्सा उनका। सिर्फ पैसा नहीं देंगे आईपीएल को अन्य देशों तक पहुंचाने में मदद करेंगे। सूत्रों के मुताबिक़, भारत के अगले साल के आम चुनाव से पहले इस प्रस्ताव पर फैसले की कोई उम्मीद नहीं।
आईपीएल को जब बीसीसीआई ने 2008 में शुरू किया था तो कोई नहीं जानता था कि ये प्रयोग कितना कामयाब रहेगा पर आईपीएल ने न सिर्फ भारत में, पूरी दुनिया में क्रिकेट की तस्वीर बदल दी। हर टॉप खिलाड़ी और कोच की नजर आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट पर है। नतीजा आईपीएल के मौजूदा आंकड़े ही बड़े आकर्षक और दिल लुभाने वाले हैं।आईपीएल के ब्रॉडकास्ट अधिकार पिछले साल 6.2 बिलियन डॉलर में बिके यानि कि प्रति मैच 15.1 मिलियन डॉलर- एक मैच की कीमत पर इंग्लिश प्रीमियर लीग से ज्यादा और यूएस नेशनल फुटबॉल लीग से थोड़ा कम।
इस सऊदी प्रोपोजल के दो पहलू हैं। बीसीआई के नजरिए से देखें तो क्या उन्हें इस बड़ी रकम और आईपीएल को अन्य दूसरे देशों में ले जाने के लिए किसी और देश की इनवेस्टमेंट की जरूरत है? जवाब है नहीं। आईपीएल से पहले से कई स्पांसर जुड़े हैं- यहां तक कि सऊदी से अरामको और सऊदी टूरिज्म अथॉरिटी भी इनमें शामिल हैं।
बीसीसीआई के पास अपना पैसा है, जरूरत हो तो आईपीएल जैसी प्रॉपर्टी में बड़ी रकम इनवेस्ट करने के लिए भारत में भी इनवेस्टर मिल जाएंगे और होल्डिंग कंपनी बनाकर बीसीसीआई खुद आईपीओ ला सकता है तो क्यों वे किसी दूसरे देश को हर फैसले में दखल/हर मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट को बदलने का अधिकार दे दें? आज अगर बीसीसीआई चाहे तो ऑफिशियल तौर पर कोई भी देश आईपीएल को अपने देश में आयोजित करने के लिए तैयार हो जाएगा। इसलिए हाल फिलहाल तो सऊदी प्रस्ताव में ऐसी कोई बात नजर नहीं आ रही कि मुंह में पानी आने लगे। सऊदी की तरफ से इनवेस्टमेंट की ऐसी बात के पीछे उनकी असल चाह क्या है? पिछले लगभग एक साल से खेल की दुनिया में सऊदी खलबली मचाए हुए हैं पर इन खबर की भारत में कोई ख़ास चर्चा नहीं हुई शायद उन्हें भारत के नजरिए से बड़ा नहीं माना गया।
शुरुआत फुटबॉल से हुई और सऊदी के फुटबॉल क्लब, अल-हिलाल ने, पीएसजी से किया एम्बाप्पे (दुनिया के सबसे बेहतरीन फुटबॉलर में से एक) के ट्रांसफर के लिए 259 मिलियन पाउंड (लगभग 2737 करोड़ रुपये) खर्चने का ऑफर दे दिया- इसमें खिलाड़ी के लिए एक साल में, 600 मिलियन पाउंड की कमाई यानि कि हर सेकंड में 19 पाउंड और तब भी एम्बाप्पे नहीं माने।
गोल्फ में पूरा पेशेवर कंट्रोल पीजीए के पास था- पीजीए टाइटल जीतना सबसे ख़ास था। इसे एलआईवी गोल्फ नाम की एक लीग ने चुनौती दी (जैसे कल को कोई आईपीएल को टक्कर दे भारत में) और पैसा फेंका, खिलाड़ियों को पीजीए से छीना, ग्लेमर ले आए सुंदर लड़कियां, खेल के दौरान म्यूजिक और डीजे और वे कई पेशेवर गोल्फर ले गए। ये नई लीग सऊदी अरब के पैसे से बनी थी। कोर्ट पहुंच गए पर अचानक ही दोनों लीग में ‘दोस्ती’ हो गई और सऊदी अरब गोल्फ की दुनिया का मालिक बन गया। इसके बाद फ़ुटबाल खिलाड़ी भी लालच में पड़ गए और आज कई बड़े खिलाड़ियों के पास सऊदी कॉन्ट्रैक्ट हैं। वे अपने पैसे के दम पर 2034 के फीफा वर्ल्ड कप का आयोजन ले गए सामने कोई दावेदार भी नहीं और जिस ऑस्ट्रेलिया को ये वर्ल्ड कप मिलना पक्का था, उसे दावेदार तक नहीं रहने दिया।
तो ये है सऊदी अरब के पैसे की ताकत और वे खेल की दुनिया पर छा रहे हैं। खेलों में पैसे से, अपने देश की छवि बदलने की कोशिश में लगे हैं। टूरिज्म में ‘विज़न 2030’ तैयार है इसमें सबसे बड़ा जरिया है खेल। इतना सब कुछ हो और क्रिकेट बच जाए ये नहीं हो सकता।
वे तो वास्तव में दुनिया की सबसे आकर्षक और बड़ी टी20 क्रिकेट लीग आयोजित करना चाहते थे आईपीएल से भी बड़ी। इसके लिए वे आईपीएल में ही आ गए आईपीएल 2023 में, बल्लेबाज के छक्का लगाते ही ‘विजिट सऊदी’ का एड सामने आता था। वे इसके लिए सीधे आईपीएल से टकराव नहीं, आईपीएल का ‘साथ’ चाहते थे। आईपीएल खिलाड़ी वहां आएं भारत के खिलाड़ी भी और इसके आईपीएल टीमों के मालिकों से बात की पर बात बनी नहीं।
कई दिक्कतें हैं अपनी लीग में और भारत के खिलाडियों के वहां खेले बिना ये बड़ा इरादा पूरा हो नहीं सकता। जब अपनी नई लीग न शुरू कर पाए तो अब, आईपीएल में हिस्सेदार बनकर अपने, सऊदी को ‘एक ग्लोबल क्रिकेट डेस्टिनेशन’ बनाने के इरादे में आईपीएल को ही शामिल करना चाहते हैं। ये इरादा भी पूरा होने वाला नहीं लगता।