विश्व कप एक बड़ा टूर्नामेंट है। हर चार साल बाद नंबर आता है विश्व कप में अच्छी क्रिकेट की बदौलत वन डे इंटरनेशनल में बादशाहत साबित करने का। मैदान में मैच के दिन क्या होगा यह तो उसी दिन पता लगेगा पर उससे पहले हर टीम मैनेजमेंट कम से कम यह तो चाहेगी कि जिन 15 को विश्व कप में खेलने के लिए चुना है वे पूरी तरह फिट हों, थके न हों और उनका पूरा ध्यान विश्व कप में अपनी सबसे बेहतरीन क्रिकेट पर हो।

भारत इस विश्व कप को जीतने के सबसे जोरदार दावेदारों में से एक है पर सवाल ये है कि लगातार खेल रहे क्रिकेटर क्या विश्व कप के समय थके हुए नहीं होंगे? मैन इन ब्लू लगातार खेल रहे हैं पिछले कुछ महीने से। अंतर्राष्ट्रीय मैचों का सीजन मार्च में खत्म हो जाएगा तो भी क्या फर्क पड़ेगा क्योंकि बोर्ड ने आईपीएल का पहले दो हफ्ते का जो प्रोग्राम घोषित किया है उसके हिसाब से 23 मार्च को चेन्नई में आईपीएल का पहला मैच (चेन्नई सुपर किंग्स-रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर) है।

उसके बाद तो टी 20 की आंधी आ जाएगी। आईपीएल के आगे के प्रस्तावित प्रोग्राम के हिसाब से फाइनल 12 मई को होगा। विश्व कप 30 मई को शुरू है। भारत के लिए एक फायदे की बात ये है कि विश्व कप में पहला मैच 5 जून को खेलना है यानि कि कुछ और दिन मिल जाएंगे आईपीएल के मिजाज से निकलकर विश्व कप के मूड में आने के लिए।

इस कैलेंडर को देखते हुए यह सोचना जरूरी है कि क्या लगातार खेलने वाले भारत के क्रिकेटर विश्व कप के लिए फिट होंगे? सबसे ज्यादा चिंता गेंदबाजों जसप्रीत बुमराह, मौहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार को लेकर है। आईपीएल में भले ही एक गेंदबाज एक मैच में सिर्फ 4 ओवर फैंकेगा पर बात सिर्फ ओवर की गिनती की नहीं है – पूरा मैच खेलना, मैचों के लिए एक शहर से दूसरे शहर भागते रहना, कुछ मैचों का आधी रात के बाद तक चलना और वास्तव में जब तक खिलाड़ी होटल लौटकर सोने की तैयारी करेंगे – रात खत्म होने में ज्यादा देर नहीं होती, लगातार पार्टियां जो आधी रात तक चलना एक आम बात है, टीम के प्रायोजकों की जरूरत पूरी कर तरह-तरह के प्रोमोशन प्रोग्राम में हिस्सा लेना – ये सब 4 ओवर फैंकने से कहीं ज्यादा है।

फिर भी बोर्ड ने उम्मीद लगाई कि आईपीएल टीमों की मैनेजमेंट/कोचिंग स्टाफ इन बातों का ध्यान रखेंगे और खिलाड़ी पर खेलने का भार कम करेंगे – जिनके विश्व कप टीम में आने की चर्चा है उन्हें लगातार खिला खिलाकर थकाएंगे नहीं। सबसे बड़ी बात ये सवाल है कि क्या भारतीय क्रिकेट बोर्ड खुद इस जरूरत के प्रति जागरूक है? ऐसा होता तो 2018-19 के सीजन में ढेरों और लगातार टेस्ट/वन डे/टी 20 प्रोग्राम न बनाते। एक तरफ चयन समिति के चेयरमैन एमएसके प्रसाद ने कहा कि बोर्ड संपर्क में है अलग-अलग आईपीएल टीम मैनेजमेंट के कि विश्व कप जाने वाले क्रिकेटरों पर लगातार और हर मैच में खेलने का दबाव न डाला जाए। इसके कुछ ही घंटे बाद कोलकाता नाइट राइडर्स के सीईओ वैंकी मैसूर ने कह दिया कि उन्हें बोर्ड की तरफ से ऐसा कोई संदेश नहीं मिला। कौन सच बोल रहा है?

भुवनेश्वर कुमार ने कहा कि आईपीएल के पहले हाफ में हर टीम अपने बेहतरीन खिलाड़ियों के साथ खेलेगी पर दूसरे हाफ में टीम मैनेजमेंट सोचेगी कि किसे और कब कब आराम दें? विराट कोहली की चिंता आईपीएल मैच में फैंके 4 ओवर नहीं है – उन्हें आईपीएल और टी 20 के मूड की बदौलत खिलाड़ी की गलत आदतों (जैसे कि टी 20 के लिए अपनी तकनीक ही बदल लेना, पार्टियों की वजह से फिटनैस को नजरअंदाज करना) में फंसने की चिंता है।

आईपीएल में खेलने वाले कई विदेशी क्रिकेटरों के बोर्ड आईपीएल टीम मैनेजमेंट से मदद नहीं मांग रहे। उन्होंने अपने विश्व कप क्रिकेटरों को तारीख दे दी है कि उससे पहले विश्व कप के लिए लौट आना है – इंग्लैंड के क्रिकेटर 25 अप्रैल और ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर 2 मई तक ही खेलेंगे। भारतीय क्रिकेट बोर्ड ऐसा कुछ नहीं करेगा क्योंकि आईपीएल अपना टूर्नामेंट है। आईपीएल टीमों से उम्मीद करेंगे कि वे मदद करें। दूसरी तरफ न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज का मानना है कि आईपीएल में मैच प्रैक्टिस भी तो विश्व कप की तैयारी है। उनके खिलाड़ी पूरे सीजन खेलेंगे।

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