विज्ञापन की दुनिया के कुछ जुमले यादों में बस जाते हैं और आम जिंदगी में भी उनका इस्तेमाल होने लगता है। ऐसा ही एक जुमला था बल्ब के विज्ञापन से जुड़ा ‘सारे घर के बदल डालूंगा!’ वही लगता है सौरव गांगुली करना चाहते हैं। अभी तक यह तय नहीं कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर उनका कार्यकाल 9-10 महीने से आगे बढ़ेगा या नहीं पर उससे पहले वे भारतीय क्रिकेट में इतने बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके बोर्ड अध्यक्ष के दौर को ‘बदलाव के दौर’ के तौर पर याद रखा जाएगा।

डे-नाइट टेस्ट को ही लीजिए। विदेश टूर पर डे-नाइट टेस्ट खेलना तो दूर, भारत तो भारत में भी डे-नाइट टेस्ट खेलने के लिए तैयार नहीं था। अब हालात ये हैं कि न सिर्फ बांग्लादेश को कुछ घंटे के अंदर कोलकाता में डे-नाइट टेस्ट खेलने के लिए तैयार कर लिया, ऑस्ट्रेलिया टूर पर भी डे-नाइट टेस्ट न खेलने की जिद्द छोड़ दी। भारतीय क्रिकेट बोर्ड की एपेक्स काउंसिल की मीटिंग में तय हुआ कि अगले आऑस्ट्रेलियाई दौरे पर टेस्ट सीरीज में एक डे-नाइट टेस्ट खेलेंगे और इंग्लैंड के अगले भारत टूर पर उनके विरूद्ध अहमदाबाद के नए बने स्टेडियम में डे-नाइट टेस्ट खेलेंगे। ये भारतीय क्रिकेट बोर्ड की सोच में एकदम बहुत बड़े बदलाव का सबूत है।

अब सवाल ये है कि क्या ये महज सोच का बदलाव है और टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ाने की कोशिशों में इस प्रयोग में रूकावट न बनना? डे-नाइट टेस्ट को विश्व स्तर पर अपनाने में भारतीय बोर्ड का नजरिया बड़ा खास गिना जा रहा था। बोर्ड के नजरिए में आ रहे इस बदलाव के पीछे की कहानी कहीं और कुछ तो नहीं? कई बातें ऐसी हैं जो हट कर सोचने पर मजबूर कर देती हैं।

– भारत की टीम अगले डे-नाइट टेस्ट ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के विरूद्ध खेलेगी। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट तो लगातार इसके लिए अनुरोध कर रहा था। यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया ने तो 4 टेस्ट की सीरीज के 2 टेस्ट डे-नाइट के तौर पर खेलने की इच्छा जाहिर कर दी थी। दूसरी तरफ, इंग्लैंड ऐसे प्रयोग के लिए हमेशा तैयार है। इस तरह भारत ने एक साथ क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और ईसीबी दोनों को खुश कर दिया।

– संयोग से क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और ईसीबी वे दो क्रिकेट बोर्ड हैं, जिनसे गांगुली का क्रिकेट बोर्ड सबसे ज्यादा नजदीकी दिख रहा है और जिस ‘बिग थ्री कंसेप्ट’ में फिर से सांसें डालने की कोशिश हो रही हे, उसमें भारत के साथ यही दोनों देश हैं।

– भारतीय क्रिकेट बोर्ड और आईसीसी, गांगुली के बोर्ड अध्यक्ष बनने के बाद एक-दूसरे से दूर ही गए हैं, नजदीक नहीं आए। अगर गांगुली का इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर 4 टीम की सुपर सीरीज का इरादा आईसीसी को सीधे चुनौती देने वाला था तो आईसीसी न तो कमाई के बंटवारे के नए तरीके में किसी बदलाव के लिए तैयार है और न ही आगे कुछ बदले अंदाज में है।

दो नई मिसाल सामने हैं। आईपीएल 29 मार्च से शुरू है। उसी दिन आईसीसी की मीटिंग है। भारत ने अनुरोध किया कि आईसीसी की मीटिंग की तारीख बदल दो। आईसीसी ने बात नहीं मानी। आईसीसी का नया फरमान है कि 2023 से आईसीसी के किसी भी टूर्नामेंट का आयोजन उसी क्रिकेट बोर्ड को मिलेगा, जो अपने देश की सरकार से ‘टैक्स से छुट्टी’ की गारंटी दिलाएगा। भारत सरकार ऐसी गारंटी देती नहीं (इसीलिए 2016 टी20 विश्व कप अभी तक झगड़े में है)। इस बात ने 2023 के भारत में टी20 विश्व कप को खतरे में डाल दिया है।

तो क्या ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के विरूद्ध डे-नाइट टेस्ट के फैसले से भारत ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड क्रिकेट के साथ ऐसी दोस्ती बना ली है कि ये ‘बिग थ्री’ इकट्ठे होकर आईसीसी को चुनौती दें। इसकी शुरूआत सुपर लीग से करें। हालांकि, बिसात तैयार है पर लगता यही है कि कोई भी आईसीसी से सीधे नहीं टकराएगा। पहले भी कई बार ऐसे ‘रिबेल सीरीज’ के हालात बने पर कैरी पैकर वाली बात नहीं थी। गांगुली अपना नाम आईसीसी से तोड़ना नहीं चाहेंगे।

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