भारतीय क्रिकेट टीम की नई सनसनी ‘पृथ्वी शॉ’ छोटी सी उम्र में ही बहुत कुछ हासिल कर चुके हैं. बहुमुखी प्रतिभा के धनि 18 वर्षीय बल्लेबाज पृथ्वी शॉ के क्रिकेट करियर की शुरुआत किसी महान कलाकार से कम नहीं है. वेस्टइंडीज़ के खिलाफ अपने पदार्पण टेस्ट में शतक जमाने वाले शॉ ने नन्ही सी उम्र में ही सफलताओं के शिखर को चूम लिया है. इतना ही नहीं ये तो बस अभी उनकी कामयाबी की शुरुआत है.

विंडीज़ के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज में उन्होंने टीम इंडिया की तरफ से डेब्यू करते हुए मैन ऑफ़ द सीरीज का पुरस्कार भी हासिल किया पृथ्वी शॉ ने इस सीरीज में मेहमानों के खिलाफ एक शतक और एक अर्धशतक जमाया. इसके अलावा शॉ ने हैदराबाद टेस्ट में टीम इंडिया के लिए विजयी शॉट भी लगाया, जिसकी बदौलत विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने सीरीज को 2-0 से अपने कब्ज़े में लिया.

क्रिकेट जगत के कई दिग्गज भी उनकी बल्लेबाजी के कायल हो चुके हैं. किसी ने उनकी तुलना वीरेंद्र सहवाग से की तो किसी ने उनकी तुलना सचिन तेंदुलकर से कर डाली. भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री ने कहा, “पृथ्वी शॉ में सहवाग की झलक लगती है. उनमें सचिन की भी छवि नज़र आती है और जब वो चलते हैं तो लारा की याद दिलाते हैं.”

पृथ्वी शॉ ने 14 साल की उम्र में हैरिस शील्ड के एक मैच में 546 रन की पारी खेली थी, जिसके बाद वो कम उम्र के क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने थे. मुंबई के आज़ाद मैदान में खेले गए इस मैच में शॉ ने 367 मिनट तक बल्लेबाजी की थी. अपनी इस धमाकेदार पारी में उन्होंने 85 चौके और 5 छक्के जमाए थे. अपनी छोटी सी उम्र में ही इस प्रतिभावान बल्लेबाज ने भारतीय क्रिकेट के सुनहरे भविष्य की नई इबारत लिख दी थी.

रवि शास्त्री द्वारा वर्तमान समय में कहे गए इस कथन का जवाब पृथ्वी शॉ शायद पहले ही दे चुके थे.

अब सवाल ये उठता है कि क्या पृथ्वी शॉ की तुलना क्रिकेट के तीन पूर्व दिग्गजों सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा और वीरेंद्र सहवाग से की जानी चाहिए? और जो उनकी तुलना इन तीनों से कर रहे हैं, क्या वो सही हैं?

दरअसल 18 वर्षीय पृथ्वी शॉ की सहवाग, सचिन और लारा से तुलना अभी जल्दबाजी होगी. क्योंकि अभी शॉ ने काफी कम मैच खेले हैं और उन्हें आगे कई बड़े-बड़े इम्तिहानों का सामना करना है.

वैसे शॉ ऐसे भारतीय बल्लेबाज हैं, जिन्होंने रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट में डेब्यू करते हुए शतक जमाए हैं. दूसरी तरफ सचिन तेंदुलकर ने भी रणजी ट्रॉफी, इरानी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी के पदार्पण मैचों में शतक ठोंके थे. दोनों में अंतर सिर्फ इतना है कि पृथ्वी शॉ ने इरानी ट्रॉफी और सचिन तेंदुलकर ने अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट में डेब्यू करते हुए शतक नहीं लगाए.

पृथ्वी शॉ 2017 अंडर-19 क्रिकेट विश्वकप में भी बतौर कप्तान टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इतना ही नहीं उन्होंने इस टूर्नामेंट में एक सलामी बल्लेबाज के तौर पर 100 के स्ट्राइकरेट से 261 रन भी बनाए थे, वहीँ भारत ने अंडर-19 विश्वकप के खिताब पर कब्ज़ा भी जमाया था.

सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और ब्रायन लारा के मुकाबले पृथ्वी शॉ को अभी और परखना बाकी है. उनकी असली अग्नि परीक्षा ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड में होनी बाकी है.

क्रिकेट के इन तीनों दिग्गज बल्लेबाजों ने पूरे विश्व में अपनी बल्लेबाजी का डंका बजाया है. उन्होंने क्रिकेट खेलने वाले दुनिया के हर विपक्षी देश की धरती पर जमकर रन बरसाए हैं. विश्व क्रिकेट के कई बड़े गेंदबाज़ उनके आगे पानी भरते नज़र आते थे. सहवाग, सचिन और लारा के बल्लों ने कई गेंदबाजों का करियर तक ध्वस्त किया है. इसलिए युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ की उनसे तुलना अभी जल्दबाजी होगी.

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