भारत को सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में जीत के लिए 407 रन बनाने की चुनौती मिली। अगर इतने रन जीत के लिए चौथी पारी में बनाना मुश्किल था तो इतने बड़े स्कोर के सामने हार बचाने के लिए खेलना भी कोई आसान नहीं था। टेस्ट ड्रॉ रहा और जिन कुछ ख़ास फैक्टर ने सीरीज का स्कोर 1-1 बनाए रखने में मदद दी, उनमें से एक ख़ास है ओपनिंग की नई जोड़ी रोहित शर्मा – शुभमन गिल की कामयाबी। इस टेस्ट की भारत के किए ओपनिंग पार्टनरशिप 70 (27 ओवर) और 71 (22.1 ओवर) रन की रहीं यानी कि दोनों पारी में ओपनर ने नई गेंद की चमक उतारने की भूमिका को बड़ी अच्छी तरह से निभा दिया था। इतना ही नहीं, इस सीरीज में पिछले दोनों टेस्ट में ओपनर की नाकामयाबी ने टीम इंडिया के मिडिल आर्डर पर, जो दबाव बनाया था वह कम हो गया। 

रोहित शर्मा ने 77 गेंद में 26 और 98 गेंद में 52 के स्कोर बनाए, जबकि शुभमन गिल ने 101 गेंद में 50 और 64 गेंद में 31 के स्कोर बनाए। 407 रन के लक्ष्य के सामने दबाव को देखते हुए 22 से ज्यादा ओवर की ओपनिंग कोई साधारण नहीं गिनी जाएगी। ख़ास बात ये है कि खराब गेंद को बेकार नहीं जाने दिया और स्कोर बढ़ाने का सिलसिला जारी रखा।  
 
* पिछले लगभग एक दशक में भारत से बाहर, भारत के लिए सबसे लंबी ओपनिंग पार्टनरशिप निभाई। 

* 53 साल बाद किसी भारतीय ओपनिंग जोड़ी ने ऑस्ट्रेलिया में, एक टेस्ट में 50+ की दो ओपनिंग पार्टनरशिप कीं (इससे पहले : 1967- 68 में सिडनी में फारूख इंजीनियर – सैयद आबिद अली, 56 और 83)। एशिया से बाहर रिकॉर्ड देखें तो आखिरी बार 60 और 60 नॉटिंघम 2018 में केएल राहुल और शिखर धवन ने जोड़े थे। पिछले 13 साल में पहली बार भारतीय ओपनर सलामी बल्लेबाज उपमहाद्वीप के बाहर टेस्ट की चौथी पारी में 15 या अधिक ओवर तक टिकने में कामयाब रहे।

पहली पारी में जब 70 रन जोड़े थे तो रोहित शर्मा – शुभमन गिल, 2010 सेंचुरियन टेस्ट के बाद से एक पारी में, एशिया के बाहर 20+ ओवर खेलने वाली पहली भारतीय ओपनिंग जोड़ी थे। उसके बाद दूसरी पारी में भी रिकॉर्ड दोहरा दिया। सिडनी से पहले हालत ये थी कि 13 पारियों में भारत की तरफ से 50+ की एक भी ओपनिंग पार्टनरशिप नहीं थी।  

अगर ये ओपनर जोड़ी सुनील गावस्कर को प्रभावित कर सकी तो इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। वे तो इसे भारत की लंबे समय तक चलने वाली ओपनिंग जोड़ी मान रहे हैं। उनकी नज़र में इस जोड़ी की सबसे ख़ास बात ये है कि दोनों ओपनर एक-दूसरे के बल्लेबाज़ी में पूरक हैं। ऐसा नहीं कि भारत के ओपनर इन सब सालों में चमके नहीं, पर लंबे समय तक चलने वाली कामयाब जोड़ी नहीं मिली। ऑस्ट्रेलिया के पिछले टूर में भारत ने 3 अलग-अलग जोड़ी को क्रीज़ पर उतारा था और मौजूदा सीरीज में भी 3 जोड़ी ओपनिंग कर चुकी हैं। 

इसका मतलब कतई ये नहीं कि मयंक अग्रवाल और पृथ्वी शॉ को बिलकुल भूल जाएं। ये भारत के लिए फायदे की बात है कि विकल्प की लिस्ट में 4 बेहतरीन ओपनर मौजूद हैं। इन दोनों युवा ओपनर बल्लेबाज को बस अपनी कमियों पर काम करना होगा। लगता तो यही है की भारत की एक पॉजिटिव नज़रिए के साथ खेलने वाली ओपनर जोड़ी की तलाश पूरी हो रही है – अब ये रोहित शर्मा और शुभमन गिल की जिम्मेदारी है कि वे अपने फोकस से न हटें। 

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