विराट कोहली चाहे जितना कहते रहें कि वे दूसरों की बातों पर ध्यान नहीं देते – सच यह है कि वे जरूरत से ज्यादा ध्यान देते हैं। आईपीएल-12 की शुरूआत से कई महीने पहले रॉयल चैलेंजर्स के कैंप से ये खबर आ गई थी कि वे कप्तान बदल रहे हैं और डी विलियर्स नए कप्तान होंगे। गौतम गंभीर ने इस बात को सबसे ज्यादा उछाला कि वे आईपीएल के सबसे पुराने कप्तान में से एक होने के बावजूद एक भी आईपीएल टाइटल नहीं जीत पाए।

वैसे भी भारत की लगातार ड्यूटी और आगे विश्व कप को देखते हुए विराट कोहली को ‘आराम’ की जरूरत थी। विराट कोहली ने सब पढ़ा और सभी को गलत साबित करने में जुट गए। बाकी का काम उनकी ब्रैंड इमेज ने किया और कप्तानी से हटने नहीं दिया। नतीजा सामने हैं – रॉयल चैलेंजर्स ऐसे चक्रव्यूह में फंसे दिखाई दे रहे हैं जिससे निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा। आखिरकार खेलना तो इन्हीं खिलाड़ियों के साथ है जिन्हें रिटेन किया या खरीदा। मिड सीजन ट्रांसफर में उन्हें आंद्रे रसेल जैसा कोई तो मिलने से रहा।

इस सीजन में पहले 6 मैच में से सभी हारे और अकेली टीम जिसने खाता भी नहीं खोला। फर्क देखिए – 40.52 रन प्रति विकेट की गिनती के साथ 7 अप्रैल तक के मैच नंबर 21 तक कोलकाता नाइट राइडर्स टॉप पर है और विराट कोहली की रॉयल चैलेंजर्स 21.90 रन प्रति विकेट की गिनती के साथ सबसे नीचे। इस समय तक रॉयल चैलेंजर्स अकेली टीम है जिसके गेंदबाजों ने 1000 से ज्यादा रन दिए हैं (1011 – सबसे कम चेन्नई 5 मैच में 692)। रॉयल चैलेंजर्स के गेंदबाजों ने 6 मैच में सिर्फ 27 विकेट लिए – 4 टीम ऐसी हैं जिन्होंने 5-5 मैच में 30 से भी ज्यादा विकेट लिए। अब तक सबसे ज्यादा 52 अतिरिक्त रन रॉयल चैलेंजर्स ने बनने दिए हैं। सबसे ज्यादा वाइड (27), सबसे ज्यादा नो बॉल (6) और सबसे ज्यादा बाई (8) का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है।

ये सभी रिकॉर्ड ये बताते हैं कि टीम में विराट कोहली, एबी डीविलियर्स, पार्थिव पटेल और मोइन अली जैसे बल्लेबाज तथा युजवेंद्र चहल, मोईन अली, मौहम्मद सिराज, नवदीप सैनी, स्टोइनिस और उमेश यादव जैसे गेंदबाज की मौजूदगी के बावजूद उनकी बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों चरमरा गईं। वास्तव में विराट कोहली की कप्तानी में ये टीम आईपीएल में लगातार 7 मैच हार चुकी है – ये सिलसिला 19 मई 2018 से 7 अप्रैल 2019 तक का है। विराट कोहली आईपीएल में अकेले ऐसे कप्तान हैं जिनकी कप्तानी में टीम दो बार लगातार 6 या इससे ज्यादा मैच हारी। मौजूदा मिसाल से पहले 23 अप्रैल 2017 से 7 मई 2017 के बीच भी लगातार 6 मैच हारे थे। 2008 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में यही टीम लगातार 5 मैच हारी थी।

आईपीएल में शुरू से ही टीम की संरचना में रॉयल चैलेंजर्स ने सही पॉलिसी दिखाई ही नहीं। अगर शुरू के सालों में अपने बड़ी उम्र के क्रिकेटरों की वजह से ‘डैड्स आर्मी’ बने रहकर हारते रहे तो बाद में कप्तान और फ्रेंचाइजी की मनमर्जी ने पैसा खर्चने के बावजूद सही खिलाड़ी नहीं लेने दिए। यही वजह है कि क्रिस गेल, विराट कोहली और डी विलियर्स के साथ-साथ युजवेंद्र चहल जैसे मैच विजेता क्रिकेटरों के खेलने के बावजूद टीम का रिकॉर्ड नहीं सुधरा। बल्लेबाजों और गेंदबाजों के बीच सही संतुलन नहीं मिला।

कोलकाता नाइट राइडर्स के विरूद्ध 205 रन बनाने के बावजूद गेंदबाज उनके लिए मैच नहीं जीत सके। 4 ओवर बचे थे और केकेआर को 66 रन चाहिए थे – 3.1 ओवर के बाद मैच खत्म हो गया। विराट कोहली पुराने कप्तान हैं और यह तय है कि नीलाम में खिलाड़ी खरीदने की संरचना उन्होंने बनाई। 2018 में क्रिस गेल को रिलीज किया। इस बार जिन्हें रिलीज किया उनमें क्विंटन डि कॉक, मनदीप सिंह, कोरी एंडरसन और क्रिस वोक्स भी थे। मार्कस स्टोइनिस को ट्रेडिंग में लाना बिल्कुल गलत था। ये पसंद ही सवाल खड़े करती है और सुई विराट कोहली की तरफ इशारा करती है।

आईपीएल में हमेशा ये सवाल चर्चा में रहेगा – आरसीबी को उसका ग्लेमर ही ले डूबा।

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