आईपीएल का टाइटल इस सीजन में चाहे जो भी टीम जीते – दिल्ली कैपिटल्स की आईपीएल में एक टीम के तौर पर वापसी इस सीजन में कामयाबी की एक खास स्टोरी के तौर पर लिखी जाएगी। विराट कोहली की आरसीबी के विरूद्ध फिरोजशाह कोटला में 16 रन की जीत के साथ दिल्ली कैपिटल्स ने आरसीबी की प्लेऑफ में खेलने की कोशिश को तगड़ा झटका दिया, वहीं वे खुद अंक तालिका में टॉप पर आ गए।
29 अप्रैल तक 48 मैच के बाद स्थिति ये थी कि सभी टीम के नाम 12-12 मैच और दिल्ली कैपिटल्स 16 अंक के साथ टॉप पर ही नहीं, प्ले ऑफ के लिए क्वालिफाई भी कर गई। आईपीएल की सबसे नाकामयाब टीमों में से एक दिल्ली ने कामयाबी की राह के लिए क्या-क्या नहीं किया – कोच बदले, महंगे कोच लाए, बेतुके कप्तान बदले, मंहगे खिलाड़ी खरीदे, पिच पर हवन कराए, टीम मालिक ज्योतिषियों के पास गए और यहां तक कि फिरोजशाह कोटला में टीम का ड्रेसिंग रूम भी बदलवाया। कोई तरीका काम नहीं आया। आईपीएल जीतना तो दूर प्ले ऑफ में खेलना भी मुश्किल चुनौती बन गया।
उसी आईपीएल में 2019 के बदलाव एकदम कारगर साबित हुए और नतीजा सामने है। सच तो ये है कि इस बदलाव की भूमिका पिछले सीजन के बीच में गौतम गंभीर को कप्तानी से हटाने के साथ ही शुरू हो गई थी पर सबसे खास बात ये कि कप्तानी संभालने के लिए कोई बड़ा विकल्प न होने के बावजूद टीम ने युवा श्रेयस अय्यर पर भरोसा जारी रखा। जहां एक तरफ अन्य हर टीम के पास विदेशी क्रिकेटर के तौर पर बड़े-बड़े नाम हैं दिल्ली के पास कोई ऐसा नहीं जो टीम पर हावी हो जाए। कॉलिन इनग्राम (6.4 करोड़ रूपए), कॉलिन मुनरो (1.9 करोड़ रूपए), क्रिस मौरिस (7.1 करोड़ रूपए), शेरफन रदरफोर्ड (2 करोड़ रूपए), कीमो पॉल ( 50 लाख रूपए), संदीप लामिछाने (20 लाख रूपए), कगिसो रबाडा (4.2 करोड़ रूपए) और ट्रेंट बोल्ट (2.2 करोड़ रूपए) में से कोई इतनी बड़ी शख्सियत वाला नाम नहीं कि वह खुद टीम की सोच पर हावी हो जाए। रिकी पोंटिंग को हैड कोच के तौर पर टीम की मैचों की पोलिसी बनाने की चर्चा तो मिल रही है पर ध्यान दीजिए टीम के अन्य सपोर्ट स्टाफ पर – सलाहकार सौरव गांगुली, सहायक कोच मौहम्मद कैफ तथा तेज गेंदबाजी और स्पिन के कोच क्रमशः जेम्स होप्स एवं सेमुअल बद्री, जो अपने काम के लिए खूब पहचाने जाते हैं।
भारत के अपने क्रिकेटरों पर जो भरोसा दिल्ली ने किया और किसी ने नहीं और नतीजा ये है कि 12 मैच तक उनके टॉप 4 स्कोरर भारतीय बल्लेबाज हैं – शिखर धवन 451 रन, श्रेयस अय्यर 383 रन, ऋषभ पंत 343 रन और पृथ्वी शॉ 280 रन। इन चारों के अतिरिक्त अकेले रबाडा ने सभी 12 मैच खेले और 25 विकेट के साथ वे सीजन में गेंदबाजी के चार्ट में भी टॉप पर हैं। क्रिस मौरिस ने 12, लमिछाने और अक्षर पटेल ने 8-8, इशांत शर्मा ने 7 और कीमो पॉल एवं अमित मिश्रा ने 6-6 विकेट लेकर दूसरी टीमों को बांधे रखा।
सिर्फ बड़े नाम नहीं, सपोर्ट स्टाफ में सही सोच वाले नाम जरूरी हैं। रिकी पोंटिंग ने ही इस बात को पकड़ा कि क्यों कोटला होम ग्राउंड होने के बावजूद क्यूरेटर टीम की जरूरत वाली पिच नहीं बना रहे ? सौरव गांगुली ने विश्व कप टीम में चयन न होने पर भी ऋषभ पंत का मनोबल गिरने नहीं दिया। इसलिए 2019 सीजन के लिए अकेले टीम का नाम बदलने या जर्सी का डिजाइन एवं रंग बदलने से टीम की किस्मत नहीं बदली – उसमें खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ की मेहनत बराबर शामिल है।
आईपीएल के पहले दो सीजन में सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद अगले दो सीजन में क्रमशः नंबर 5 और 10 थे। 2012 में प्ले ऑफ़ खेले और उसके बाद तो कामयाबी का सूखा ही पड़ गया। लगातार 6 साल में क्रमशः नंबर 9, 8, 7, 6, 6 और 8 थे। अब फिर से प्ले ऑफ में लौटे हैं। क्या ये बदलाव उनके क्रिकेटरों को टाइटल दिखा रहा है ? खिलाड़ियों में विश्वास टीम की यूएसपी है।