rishabh pant
IND vs AUS: श्रृंखला शुरू होने ने पहले ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ने किया ऋषभ पंत को याद, तारीफ में कही बड़ी बात

ऋषभ पंत (Rishabh Pant) के क्रिकेट करियर में अलग-अलग गिनती और उनकी खेलने की स्टाइल की चाहे जितनी चर्चा हुई, हैरानी की बात ये है कि जिस टेस्ट क्रिकेट के लिए इसे सबसे कम सही माना गया, उसी में वे सबसे कामयाब हैं। स्टाइल कहती है कि वे लिमिटेड ओवर के सबसे सही बल्लेबाज पर ज्यादा प्रभावशाली रिकॉर्ड है टेस्ट में और मीरपुर टेस्ट इसी बात का एक और सबूत बना। टीम इंडिया की पारी को संकट से निकालना शायद उनकी आदत में आ गया है। दूसरी तरफ टीम के वे बल्लेबाज, जो उनसे ज्यादा मशहूर हैं पर टीम की जरूरत की कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे। 

इसी मीरपुर टेस्ट के दौरान ये बात सामने आई कि जरूरत पड़ने पर क्यों ऋषभ पंत को कप्तान नहीं बनाते? केएल राहुल को कप्तान बनाने का प्रयोग लगातार गलत साबित होने के बावजूद टीम मैनेजमेंट उन्हीं के नाम के साथ चिपकी हुई है। इसका नुकसान खुद राहुल भी उठा रहे हैं। देखिए, वे 5 ख़ास वजह जो ये कहती हैं कि जरूरत में, केएल राहुल को नहीं, ऋषभ पंत को टीम इंडिया का टेस्ट में कप्तान बनाना चाहिए। 

टेस्ट रिकॉर्ड: अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कामयाबी में एक बड़ा हिस्सा टेस्ट क्रिकेट में कारनामों के कारण है। पंत के नाम इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट शतक हैं- मीरपुर में आक्रामक 93 रन पर आउट होने से पहले बांग्लादेश में भी एक शतक लगाने के बिलकुल करीब थे। बांग्लादेश वनडे सीरीज के लिए टीम से बाहर और टेस्ट खेलने के लिए वापसी करते हुए,  45 गेंदों पर 46 रनों की पारी के साथ सीरीज की अच्छी शुरुआत की। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 4000 रन का आंकड़ा पार करने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय विकेटकीपर, शाहिद अफरीदी और रोहित शर्मा के बाद टेस्ट में 50 छक्के लगाने वाले तीसरे सबसे तेज और एक भारतीय विकेटकीपर के ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड,दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश  में टॉप स्कोर ऋषभ पंत के नाम हैं। उनके इस रिकॉर्ड का सम्मान होना चाहिए।  

कप्तानी का अनुभव: आईपीएल में कप्तानी देने की मिसाल पहले बनी। ठीक है लिमिटेड ओवर क्रिकेट में सहज नहीं दिखे पर टेस्ट को जिस आत्मविश्वास से खेलते हैं वह उनकी कप्तानी में जरूर नजर आएगा। जब धोनी को टेस्ट कप्तान बनाया तो उनके पास क्या अनुभव था? भारत को लम्बे समय के लिए एक कप्तान चाहिए। इसके अतिरिक्त आज टेस्ट क्रिकेट को दब कर नहीं, आक्रामक हो कर खेलने का समय आ गया है और इस भूमिका में वे फिट हैं। 

टीम के लिए खेलने वाले क्रिकेटर: धोनी की तरह, ऋषभ पंत भी खेल को स्टंप्स के पीछे से यानि कि सबसे अच्छी सीट से देखते हैं और इस ड्यूटी की थकान उनकी बल्लेबाजी में नजर नहीं आती। टेस्ट क्रिकेट में 5 शतक ऐसे ही नहीं बन गए। 6 स्कोर नर्वस 90 वाले- ये भी 100 में बदल जाते अगर वे सिर्फ मतलबी बन कर सिर्फ अपने 100 पर ही पूरा ध्यान लगा देते। इंग्लैंड में 2 शतक, ब्रिटेन में किसी भी भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज के सबसे ज्यादा। भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज के सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड- 89 गेंदों पर और एमएस धोनी का 16 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। यही आक्रामक नजरिया तब भी दिखाएंगे जब कप्तान होंगे। राहुल का दब्बू कप्तान के तौर पर खेलना टीम इंडिया की सही पहचान नहीं है।  

टेस्ट कप्तान के तौर पर राहुल का प्रदर्शन: बात तो कर रहे हैं पंत की पर जो राहुल कप्तान के तौर पर कर रहे हैं, वह मदद कर रहा है पंत को कप्तान बनाने में। 3 टेस्ट में कप्तान पर एक में भी एक भी फैसला ऐसा नहीं लिया जिसमें वे ‘जीनियस’ नजर आए हों। मीरपुर में विराट कोहली को बार-बार कैच छोड़ने के बावजूद स्लिप से न हटाना या उन की जगह, दूसरी पारी में, अक्षर पटेल को प्रमोट करना दब्बू कप्तानी ही तो था। उस पर, इस जिम्मेदारी की वजह से उनसे रन नहीं बन रहे- जिन 3 टेस्ट में कप्तान उनमें 6 पारी में सिर्फ 115 रन। ऐसा कप्तान क्या मिसाल बनेगा?

सीनियर का वोट: सब मान रहे हैं कि भारत की अगले कई साल की कप्तान की जरूरत का हल ऋषभ पंत हैं तो क्यों न उन्हें अनुभव दिलाने के लिए, जब भी जरूरत हो कप्तान बनाएं? युवराज सिंह ने कहा ऋषभ पंत को भी समय दिया जाना चाहिए जिसका मतलब है जब तक अन्य दूसरे कप्तान हैं- पंत को जरूरत पड़ने पर ये जिम्मेदारी दे कर ‘तैयार’ करें। उन्हें डिप्टी बनाने का यह सही समय है। एमएस धोनी पर भी तो एकदम कप्तानी डाल दी थी।  

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