आज भारत में महिला क्रिकेट की चर्चा और लोकप्रियता जिस मुकाम पर है उसका श्रेय किसी एक बात को तो नहीं दिया जा सकता पर इतना तय है कि इसमें मिताली राज के योगदान का हमेशा खास जिक्र होगा। न सिर्फ ग्राउंड में, ग्राउंड के बाहर भी वे अपनी अलग शख्सियत के लिए पहचानी गईं। ग्राउंड में अगर यह साबित किया कि वे पुरूष क्रिकेटरों से मुकाबला करती हैं तो ग्राउंड के बाहर अपनी बिंदास और परंपराओं को तोड़ने वाली छवि के साथ आज की लड़कियों के लिए रोल मॉडल बनीं। यही है भारत में महिला क्रिकेट के ग्राफ को ऊपर ले जाने में उनका सबसे बड़ा योगदान। वे कौन से 5 खास फैक्टर हैं जो उनका योगदान साबित करते हैं:
1. कोई रिकॉर्ड मुश्किल नहीं: एक 19 साल की क्रिकेटर के तौर पर इंग्लैंड के विरूद्ध, अपने सिर्फ तीसरे टेस्ट में, टांटन में 214 रन का स्कोर बनाया जो कई साल तक रिकॉर्ड स्कोर रहा। वहां से शुरू हुआ रिकॉर्ड बनाने का सिलसिला आज तक लगातार चला आ रहा है। महिला वन डे इंटरनेशनल में सबसे कम उम्र में शतक (16 साल 205 दिन), 2003 से 2013 के बीच लगातार 103 वन डे इंटरनेशनल खेलना, जुलाई 2017 में महिला वन डे क्रिकेट में टॉप स्कोरर बनना और ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध इस रिकॉर्ड वाले मैच में ही 6000 रन बनाने वाली पहली क्रिकेटर बनना तथा अब न्यूजीलैंड में सीरीज के तीसरे मैच के साथ 200 वन डे इंटरनेशनल पूरे करना – ये कुछ ऐसे रिकॉर्ड हैं जो हमेशा एक चुनौती रहेंगे।
2. जीत के लिए रन बनाना खास है: भारत की पुरूष क्रिकेट में धोनी फिनिशर हैं और कोहली जीत के लिए दूसरी पारी खेलते हुए रन बनाने के माहिर – मिताली राज दोनों हैं। पहले कहते थे कि मिताली तो महिला क्रिकेट की ‘धोनी’ हैं – अब मौजूदा रिकॉर्ड देखकर कहा जा रहा है कि धोनी पुरूष क्रिकेट में ‘मिताली ’ हैं। अभी न्यूजीलैंड में ही सीरीज में जीत दिलाने वाले दूसरे वन डे में मिताली ने नंबर 2 पारी में 63 रन बनाए और इसके साथ वे रिकॉर्ड में धोनी से भी आगे निकल गईं। जीत दिलाने वाले मैचों में 48 दूसरी पारी में मिताली ने हैरानी करने वाली 111.29 औसत से 1892 रन बनाए – 1 शतक और 50 के 15 स्कोर के साथ। न्यूजीलैंड में चौथे वन डे तक धोनी का रिकॉर्ड 103.07 औसत से 2783 रन था।
इसी तरह 85 टी 20 अंतर्राष्ट्रीय में मिताली ने 2283 रन बनाए हैं 37.42 औसत से – न्यूजीलैंड में दोनों टीम की टी 20 सीरीज शुरू होने से पहले तक सिर्फ रोहित शर्मा (2237) और विराट कोहली (2167) के ही रन उनसे कम नहीं थे – किसी भी पुरूष क्रिकेटर के नाम इतने रन नहीं थे (टाॅप पर: मार्टिन गुप्तिल 2272 रन।
3. दम है तभी तो इतना लंबा कैरियर: मिताली ने बेचारी, कमसिन या कमजोर लड़की वाली छवि को गलत साबित कर दिया – तभी तो 36 साल की उम्र पार करने के बावजूद फिट हैं और लगातार वन डे एवं टी 20 अंतर्राष्ट्रीय दोनों खेल रही हैं। अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय 26 जून 1999 को खेला था और इसका मतलब है अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलते खेलते 20 साल होने वाले हैं। इतना लंबा अंतर्राष्ट्रीय करियर कोई मामूली बात नहीं।
4. मिताली ने खेल का तरीका बदला: समय समय पर भारत को अच्छी बल्लेबाज मिलती रही हैं पर मिताली संभवतः ऐसी पहली कप्तान मिली जिसने कहा गिनती के लिए नहीं, जीत के लिए खेलना है। इसीलिए लड़कियों में जोश पैदा किया, खुद फिट हैं – उन्हें फिट रहना बताया और देश में महिला क्रिकेट में क्रांति आई।
5. रोल मॉडल: सिर्फ एक क्रिकेटर के तौर पर नहीं, आज की जरूरत वाली महिला बनीं और सभी के लिए रोल मॉडल । फैशन स्टाइल हो या सैक्स अपील – मिताली ने ट्रोलिंग की कोई चिंता नहीं की। वह किया जो उन्हें ठीक लगा।