BCCI के मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने अपनी चयन समिति के कार्यकाल के दौरान लिए गए कठिन फैसलों के बारे में बात की. इस चयन समिति की सबसे बड़ी उपलब्धि जसप्रीत बुमराह को सीमित ओवर से टेस्ट टीम में लाना है.

मुख्य चयनकर्ता के रूप में एमएसके प्रसाद का कार्यकाल खत्म हो रहा है. प्रसाद और चयन समिति के सभी सदस्यों को इंटरनेशनल खिलाड़ी के तौर पर कम अनुभव होने के नाते काफी आलोचना का शिकार होना पड़ा है. बुमराह के बारे में बात करते हुए प्रसाद ने कहा, “बहुत से लोगों का मानना था कि वह टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल पाएगा. इसलिए जब चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन ने महसूस किया कि उनके जैसा गेंदबाज विदेशी दौरे पर कारगर साबित हो सकता है, तो हमने उसकी फिटनेस और तकनीक पर काम किया.”

बुमराह ने टेस्ट में डेब्यू करते ही अपनी छाप छोड़ दी थी. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जनवरी 2018 में केप टाउन में खेले गए अपने डेब्यू मैच में बुमराह ने पहली पारी में एक और दूसरी पारी में 3 विकेट झटके थे. इसके अगले ही मैच में वह एक पारी में 5 विकेट लेने में कामयाब रहे थे. वह सबसे तेज 50 टेस्ट विकेट लेने वाले चौथे भारतीय गेंदबाज हैं, जबकि तेज गेंदबाजों में वह इस मामले में पहले नंबर पर हैं. उनके नाम 12 टेस्ट मैच में 19.24 की शानदार औसत से 62 टेस्ट विकेट हैं.

प्रसाद ने बताया, “दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए उसको चुनने से पहले हमने उसे सीमित ओवर की सीरीज में आराम दिया और रणजी में खिलाया. तो बुमराह को टीम में शामिल करने के पीछे हमारी प्लानिंग थी.” इसके साथ ही हार्दिक पांडया को टेस्ट में खिलाने का श्रेय भी प्रसाद ने अपनी चयन समिति को दिया.

प्रसाद के मुताबिक अधिक लोग इन दोनों खिलाड़ियों को टेस्ट में खिलाए जाने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपनी चयन समिति के साथ ये कठिन निर्णय लिया.

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