इस साल की आईपीएल शुरू होने के समय जो रिकॉर्ड सबसे ज्यादा चर्चा में थे उनमें से खास तौर पर तीन में महेंद्र सिंह धोनी का जिक्र था- आईपीएल में 200 छक्के लगाने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर बन सकते हैं क्योंकि उनके नाम 186 छक्के थे, विकेटकीपिंग रिकॉर्ड में दिनेश कार्तिक से आगे निकल सकते हैं और सबसे खास ये कि आईपीएल में 100 जीत दर्ज करने वाले पहले कप्तान बन सकते हैं। 159 मैच में 94 जीत उनके नाम थीं।

27 मार्च तक, इस सीजन की आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स ने अपने दोनों मैच जीत लिए हैं यानि कि धोनी का रिकॉर्ड 96 जीत पर पहुंच चुका है और अब 100 जीत की गिनती ज्यादा दूर नहीं। धोनी की कप्तानी का जादुई असर ये है कि सीजन शुरू होने के समय चेन्नई सुपर किंग्स टाइटल जीत के सबसे जोरदार दावेदार थे और पहली दो जीत में दिखाए खेल की बदौलत उनका यह दावा और मजबूत ही हुआ है।

इस चर्चा से इतना तो तय है कि कप्तान के तौर पर कामयाबी के रिकॉर्ड में धोनी से मुकाबला बड़ा मुश्किल है। न तो किसी ने धोनी के बराबर मैच में कप्तानी की (दूसरे नंबर पर : गौतम गंभीर 129) और न ही धोनी के बराबर मैच जीते (दूसरे नंबर पर: गौतम गंभीर 71)। अगर कम से कम 25 आईपीएल मैच में कप्तानी करने वालों का रिकॉर्ड देखें तो प्रतिशत जीत का उनका 59.63 का रिकॉर्ड भी टॉप है (दूसरे नंबर पर: सचिन तेंदुल्कर 58.82 प्रतिशत)। तीन आईपीएल टाइटल तो और किसी के नाम नहीं।

कप्तान के तौर पर रन (3757) की गिनती में भी वे टॉप पर हैं (दूसरे नंबर पर: विराट कोहली 3552 रन) और कप्तान के तौर पर 1000 रन बनाने वालों में सिर्फ वीरेंद्र सहवाग (167.66) तथा डेविड वॉर्नर (148.44) का स्ट्राइक रेट उनके 139.61 के रिकॉर्ड से बेहतर है। इस तरह से आंकड़ों में तो धोनी को चुनौती दे पाना न सिर्फ इस सीजन के, आगे के सालों में भी किसी भी कप्तान के लिए आसान नहीं होगा।

धोनी की सबसे बड़ी भूमिका रही है एक कप्तान के तौर पर टीम के अन्य खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनना, उन्हें बल्लेबाजी/गेंदबाजी में वह टिप्स देना, जिससे वे न सिर्फ अपने खेल को बेहतर बनाएंगे – टीम के लिए मौके की नज़ाकत के हिसाब से अपने खेल को बदल सकेंगे। यह बात अगर चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलने वाले नए खिलाड़ियों ने कही है तो सुरेश रैना और हरभजन सिंह जैसे अनुभवी खिलाड़ियों ने भी। अगर भारत के लिए खेलते हुए, स्टंप्स के पीछे से वे कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को टिप्स देते हैं तो यही काम आईपीएल में चाहर और ब्रावो के लिए भी कर रहे हैं।

इसके बावजूद कोई भी धोनी को कप्तानी को ‘गुरू’ नहीं कहता। इसकी वजह यह है कि धोनी किताबी कप्तान नहीं है। मैच शुरू होने से पहले, उस मैच को जीतने की कोशिश के लिए बड़ी-बड़ी बातें करना या ड्राइंग बोर्ड पर जीत की स्कीम बनाना उन्हें नहीं आता। वे अपनी कप्तानी और सोच को मैच के हिसाब से बदलते हैं – मैच जिस तरफ जा रहा है उस हिसाब से खेलना है। यह बात और किसी ने नहीं, भारत और चेन्नई सुपर किंग्स में उनकी कप्तानी को बहुत नजदीक से देखने वाले सुरेश रैना ने कही है। आईपीएल में धोनी और रैना 150 मैच में शामिल रहे हैं और इनमें से 146 में साथ-साथ एक ही टीम में थे। धोनी इतना और किसी के साथ नहीं खेले।

धोनी की कप्तानी ने चेन्नई सुपर किंग्स के क्रिकेटरों पर हर सीजन में जादू किया। प्रतिबंध के दो सीजन में वे राइजिंग पुणे सुपर जायंट्स के साथ थे और उन दो सीजन में पुणे की टीम चैम्पियन नहीं बनी। ऐसा क्यों हुआ? यह क्रिकेट इतिहास में कोई अनोखी मिसाल नहीं है इस तरह की। जर्सी का मनोविज्ञान हमेशा असर दिखाता है। शायद चेन्नई सुपर किंग्स की पीली जर्सी धोनी में नया जोश पैदा करती है। इसीलिए वे आईपीएल के सबसे बेहतरीन और कामयाब कप्तान हैं।

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