ऑस्ट्रेलिया में ट्वंटी 20 लीग यानि कि बिग बैश लीग में सिडनी थंडर और ब्रिसबेन हीट के बीच नाइट मैच में जो हुआ वह बड़ा अनोखा था और पूरी क्रिकेट की दुनिया में इसकी चर्चा है। मैच ब्रिसबेन में था और इसे वहीं 24 जनवरी 2019 से शुरू ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंका टेस्ट के इंतजाम की रिहर्सल कहा गया। जो उस मैच में हुआ वह किसी फ्लड लाइट्स में खेले जाने वाले मैच में हो सकता है। अब तक तो फ्लड लाइट्स में गड़बड़ कुछ देर के लिए खेल रोकती थी – यहां तो खेल रूका तो फिर शुरू ही नहीं हो पाया और शेन वॉटसन की बेहतरीन कोशिश बेकार गई।

मेहमान टीम सिडनी थंडर ने पहले बल्लेबाजी की और 20 ओवर में 186-4 बनाए जिसमें पारी की शुरूआत करने आए वॉटसन ने 62 गेंद में 8 चौके और 6 छक्के के साथ 100 रन बनाए – पिछले 12 महीने में उनका तीसरा टी-20 शतक और बिग बैश के मौजूदा सीजन में किसी भी बल्लेबाज का पहला शतक। उसके बाद 3 ओवर में ब्रिसबेन हीट का स्कोर 10-2 पर हो गया था यानि कि मेहमान टॉप पर थे। ब्रेंडन मैकुलम बिग बैश में पहली बार 0 पर आउट हुए ओर आउट होने वाले दूसरे बल्लेबाज ट्वंटी 20 के धाकड़ क्रिस लिन थे।

मैच 23 ओवर चला पर अंपायरों ने इसे ‘नो रिजल्ट’ करार दिया और दोनों टीम को 1-1 अंक मिल गया। सिडनी थंडर ने मैच के नतीजे के विरोध में अपील भी की पर कोई फायदा नहीं हुआ। इस तरह वॉटसन की तूफानी कोशिश बेकार गई। वैसे क्रिकेट में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी खिलाड़ी की बेहतरीन कोशिश से उसकी टीम को वह फायदा नहीं मिला जो मिलना चाहिए था। वजह चाहे जो भी रही हो।

1983 का जॉर्ज टाउन गुयाना में भारत का टेस्ट- विव रिचर्डस ने अपने 50वें टेस्ट का जश्न मनाया बेहतरीन शतक बनाकर। 9 चौके और 2 छक्के के साथ 109 रन बनाए और वेस्टइंडीज का स्कोर 470 था। हालांकि भारत ने जवाब में गावस्कर के 147* की बदौलत 284-3 बनाए पर अभी बहुत पीछे थे। टेस्ट में बरसात ने पूरे दो दिन का खेल धो दिया और नतीजा ड्रॉ रहा।

ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध 1985-86 की सीरीज का मेलबर्न टेस्ट। कप्तान के तौर पर अपने 19वें टेस्ट में कपिल देव जीत का सपना देख रहे थे। एलेन बॉर्डर के 163 के बावजूद रवि शास्त्री, शिवलाल यादव और शिवरामाकृष्णन की स्पिन ने जोर मारा, 17 विकेट लिए मिलकर और भारत को जीत के लिए सिर्फ 126 रन बनाने थे। इसमें से 67 रन आखिरी दिन बनाने थे और 8 विकेट बचे थे। आंधी-तूफान और बरसात ने ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट में हार से बचा लिया।

1979 में भारत के विरूद्ध लॉर्ड्स टेस्ट बोथम का 0 रन पर 4 विकेट का स्पैल भारत को मुश्किल में ले आया था पर दिलीप वेंगसरकर और जी विश्वनाथ के शतक तथा लगभग 9 घंटे की बरसात ने भारत को हार से बचा लिया – ठीक वैसे ही जैसे कुछ दिन पहले सिडनी टेस्ट में भारत के विरूद्ध ऑस्ट्रेलिया की टीम हार से बची।

1992 का विश्व कप पाकिस्तान ने जीता पर एक मुकाम ऐसा था जब लग रहा था कि वे ग्रुप राउंड में ही विश्वकप से बाहर हो जाएंगे। एडिलेड में डेरक प्रिंगल के 8 रन पर 3 विकेट के स्पैल ने उन्हें सिर्फ 74 पर आउट कर दिया। जवाब में 8 ओवर में इंग्लैंड 24-1 पर थे। बरसात ने पाकिस्तान को बचा लिया। बाद में इसी इंग्लैंड को पाकिस्तान ने फाइनल में हराया।

ग्लेन मैकग्रा के 8-38 ने 1997 में लॉर्ड्स टेस्ट में इंग्लैंड को सिर्फ 77 पर आउट किया पर टेस्ट के दौरान पहले पूरे दिन और दूसरे दिन के ज्यादातर हिस्से की बरसात ने उनसे टेस्ट जीतने का मौका छीन लिया। इस तरह मैकग्रा की मेहनत बेकार गई।

1969 का भारत-न्यूजीलैंड हैदराबाद टेस्ट बड़ा अजीब था और दर्शकों के दंगे, पुलिस, बरसात तथा ग्राउंड स्टाफ की जानबूझ कर की जा रही ढील ने भारत को लगभग तय हार से बचा लिया। हालत ये थी कि न्यूजीलैंड के कप्तान ग्राहम डाउलिंग खुद नंगे पैर ग्राउंड में थे पानी निकालने के लिए। जीत के लिए जरूरी 268 के सामने भारत 76-7 पर था तब भी अंपायरों ने मैच खत्म होने से 20 मिनट पहले ही टेस्ट ड्रॉ घोषित कर दिया। डेल हैडली के 7 विकेट बेकार गए।

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