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BCCI ने कोहली को वनडे की कप्तानी से हटाया, अब रोहित संभालेंगे वनडे टीम की कमान

पुणे में भारत के वन डे सीरीज को 2-1 से जीतने के कुछ ही घंटे बाद इंग्लैंड टीम के कई खिलाड़ी और भारत के सभी खिलाड़ी, अलग अलग शहर पहुंचने के लिए, अलग अलग ग्रुप में बंट गए। वजह? एक सीरीज ख़त्म होते ही एक और नए टूर्नामेंट में खेलने के लिए, उसके बायो बबल में शामिल होने। 9 अप्रैल से आईपीएल शुरू है और नया टूर्नामेंट यही है। इंग्लैंड के बेन स्टोक्स, जॉस बटलर (दोनों राजस्थान रॉयल्स), जॉनी बेयरस्टो (सनराइजर्स हैदराबाद) और सैम करन (चेन्नई सुपर किंग्स) के नाम इसमें सबसे ख़ास हैं।  

टीम इंडिया और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के कप्तान विराट कोहली चुप नहीं रहे और ये जानते हुए भी कि बोर्ड को अपनी आलोचना पसंद नहीं, बोल पड़े और कहा, “भविष्य में सीरीज या टूर्नामेंट का प्रोग्राम बनाते हुए ध्यान देने की जरूरत है कि खिलाड़ी भी इंसान हैं. दो से तीन महीने तक लगातार ‘बायो बबल’ में खेलना बड़ा मुश्किल है.” विराट कोहली का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान क्रिकेटर खेलने के चक्कर में खिलाड़ी कितना तनाव झेलेंगे? उनकी बात गलत नहीं।  

भारत की मिसाल ही लें तो सब समझ में आ जाता है. सितंबर 2020 से जनवरी 2021 तक भारत के खिलाड़ी यूएई में आईपीएल और फिर ऑस्ट्रेलिया दौरे में लगातार बायो बबल में रहे। वहां से लौटे तो एक छोटा ब्रेक और उसके बाद इंग्लैंड के विरुद्ध चार टेस्ट, पांच टी 20 और तीन वन डे की सीरीज खेली। अब आईपीएल। यहां मसला सिर्फ लगातार क्रिकेट खेलना नहीं है, बल्कि  लगातार कई प्रतिबंध वाले बायो बबल में रहने का है। इसमें वह क्वारंटीन शामिल हैं, जिसमें तो अकेलापन बिलकुल तोड़ देता है – भले ही 5 स्टार होटल में रहें। इसीलिए कोहली ने कहा खिलाड़ियों की हालत भट्टी में भुने जाने जैसी हो गई है। इससे सिर्फ बोर्ड ही बचा सकता है, जो विराट कोहली ने कहा उसका असर देखिए :  

* मेंटल स्ट्रेंथ का इम्तेहान : ज्यादातर खिलाड़ी मेंटल स्ट्रेंथ का दावा तो करते हैं पर बायो बबल ने परेशानी की वह लाइन दिखाई है, जिसके बारे में सोचा भी नहीं था। कोहली ने ठीक कहा, “खिलाड़ी एक और इम्तहान से क्यों गुजरें?

* नई  चुनौतियां : भले ही आईपीएल एक अलग टूर्नामेंट है,नई चुनौती है पर आराम कहां है? विदेशी खिलाड़ियों के पास विकल्प है. पैसा नहीं चाहिए तो आईपीएल मत खेलो, पर बीसीसीआई ने अपने खिलाड़ियों के लिए ये विकल्प भी नहीं छोड़ा। बोर्ड के इस शोपीस टूर्नामेंट में सब को खेलना है।

* हर बोर्ड की अलग-अलग पॉलिसी : इसका मतलब है बोर्ड खुद मजबूरी समझें और इलाज ढूंढें, जैसे इंग्लैंड ने किया। श्रीलंका और इंडिया टूर में जीत. हार की चिंता किए बिना, रोटेशन पालिसी लागू कर दी और खिलाड़ियों को आराम दिया। इंग्लैंड ने श्रीलंका को 2-0 से हराया लेकिन भारत में तीनों तरह की क्रिकेट की सीरीज हारे।  

* खिलाड़ी तभी तो बायो बबल तोड़ रहे हैं : लगभग हर सीरीज में कोई न कोई बायो बबल तोड़ रहा है। शुरूआत पहली सीरीज में ही जोफ्रा आर्चर ने कर दी थी। यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया टूर में विराट कोहली ने भी बायो बबल तोड़ा। पाकिस्तान को इसी वजह से टूर से वापस भेज देने की धमकी मिली।  

* कैलेंडर का दबाव: ये ठीक है कि कोविड के कारण क्रिकेट रुका, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ऐसे मुश्किल हालात और उस पर ढेरों मैच भी लाद दो। इंग्लैंड ने 2021 में 6 टेस्ट खेल लिए हैं, जनवरी 2022 तक 12 टेस्ट और खेलने हैं. भारत के विरुद्ध 5, न्यूजीलैंड के विरुद्ध 2 और ऑस्ट्रेलिया में 5 एशेज टेस्ट। अक्टूबर में ट्वंटी 20 वर्ल्ड कप के लिए भारत लौटने से पहले श्रीलंका और पाकिस्तान में लिमिटेड ओवर वाली सीरीज खेलनी हैं। भारत के खिलाड़ियों ने इंग्लैंड  में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज से पहले साउथम्पटन में 18 से 22 जून तक न्यूजीलैंड के विरुद्ध वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल खेलना है।

*पारिवारिक जीवन पर दबाव: डेविड वार्नर की मिसाल से वे कहते हैं कि खिलाड़ी कब तक परिवार से दूर रहेंगे? ऐसे में अगर दबाव बढ़ा तो खलाड़ी समय से पहले ही रिटायर हो सकते हैं।
वार्नर ने कह दिया है कि पत्नी कैंडिस और तीन बेटियों के परिवार से ज्यादा दूर नहीं रह सकते।

क्या ऐसे में खिलाड़ी राहत के हकदार नहीं ?

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