क्या है इस समय भारत की टीम में केदार जाधव की भूमिका? इस सवाल का जवाब ही बताएगा कि क्यों उम्मीद के दबाव में उनका करियर मुश्किल में आया हुआ है। उनका प्रोफाइल उन्हें ऑलराउंडर बताता है। 2019 विश्व कप में टाइटल न जीतने के बाद हुए बदलाव में धोनी हटे, दिनेश कार्तिक हटे पर केदार जाधव बच गए। चयनकर्ताओं की सोच तब ये थी कि वे मिडिल ऑर्डर में धोनी वाली फिनिशर की भूमिका निभाएंगे। इसके अतिरिक्त उन्हें सफेद गेंद वाले क्रिकेट की जरूरत पूरी करने वाला क्रिकेटर गिना। सच्चाई ये है कि इन तीनों में किसी भी फ्रंट पर जाधव ने ऐसा कुछ नहीं किया कि ये कह दें कि वे तो टीम की स्कीम में लगातार हैं।

सफेद गेंद के क्रिकेटर के नाम पर वे सिर्फ वन डे खेलते हैं और अक्टूबर 2017 के बाद से कोई टी20 अंतर्राष्ट्रीय नहीं खेले हैं। वनडे में भी उनकी हालत ये है कि लगातार नहीं खेलते। इस साल ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध किसी वनडे में नहीं खिलाया और न्यूजीलैंड में 3 में से 2 वनडे खेले। उनका वनडे करियर 16 नवंबर 2014 को शुरू हुआ। तब से भारत ने 120 वनडे खेले हैं और केदार जाधव इनमें से 73 खेले। इसका मतलब ये है कि इसमें भी उनकी जगह पक्की नहीं रही और टीम में आना जाना लगा रहा।

ऑलराउंडर की परिभाषा में भी फिट नहीं क्योंकि ढेरों वनडे ऐसे हैं, जिनमें कप्तान ने उन्हें एक गेंद फेंकने की तकलीफ भी नहीं दी। पिछले 4 वनडे में एक भी गेंद नहीं फेंकी। पिछले 7 वनडे में कुल 10 ओवर फेंके बिना विकेट लिए। पिछले 12 वनडे में कुल 11 ओवर फेंके बिना विकेट लिए। 73 वनडे में 37.77 की महंगी कीमत पर 27 विकेट का रिकॉर्ड है। लगभग 35 साल की उम्र में टीम के सबसे फुर्तीले फील्डर में से भी एक नहीं है। तो बचा क्या?

बची बल्लेबाज के तौर पर उनकी भूमिका। 73 वनडे में 1389 रन, 42.09 औसत, 101.60 स्ट्राइक रेट, 2 शतक, 50 वाले 6 और स्कोर उनके नाम हैं। बल्लेबाजी का बेहतर दिख रहे 42.09 औसत में खास योगदान इस बात का है कि जो 52 पारी खेले, उनमें से 19 में आउट नहीं हुए। तब भी ये सभी गिनतियां अगर उन्हें ‘विराट कोहली’ साबित नहीं करतीं तो बिल्कुल नाकामयाब भी साबित नहीं करतीं। गड़बड़ है उनकी मौजूदा फॉर्म और उनकी जगह को चुनौती दे रहा और दूसरे क्रिकेटरों का क्रिकेट।

22 जून 2019 को अफगानिस्तान के विरूद्ध बनाए 52 के बाद से कभी 40 को भी पार नहीं किया है। पिछले 10 वनडे में सिर्फ दो बार 20 को पार किया, जबकि तीन बार 10 को भी पार नहीं किया। क्या इन स्कोर पर वे मिडिल ऑर्डर में जगह के हकदार बनते हैं? पिछले 4 वनडे में क्रमशः उनके 16*, 9, 26* और 9 के स्कोर देखकर क्या यह कह सकते हैं कि अभी भी मनीष पांडे को नियमित मत खिलाओ या किसी और खिलाड़ी को मौका मत दो?

इस तरह से जाधव न तो टॉप बल्लेबाजों में से एक बने, न ऑलराउंडर के तौर पर कप्तान का विश्वास जीत सके, न टीम के सबसे फिट क्रिकेटरों में से एक हैं, न ऐसे फील्डर जिसके बारे में कह दें कि उसका रन बचाना टीम के लिए उसका योगदान हैं. तो अपने आप उनका करियर मझधार में आ जाता है।

केदार जाधव 35 साल के होने वाले हैं और लगभग 38 साल की उम्र में उनके अगले विश्व कप में खेलने के कोई आसार है नहीं। तो क्यों न अभी से भारत ऐसे खिलाड़ी को मौका दे, जो लंबी स्कीम में फिट हो रहा है। काम चलाऊ मौके देने वाली टीम नहीं है भारत। इसलिए करियर का सवाल सामने है। बस फैसला लेना है।

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