भारत ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल और इंग्लैंड के विरुद्ध 5 टेस्ट की सीरीज के लिए 20 खिलाड़ियों की टीम चुनी- साथ में 4 स्टैंडबाय भी। फिर भी इनमें खब्बू पेसर जयदेव उनादकट के लिए जगह नहीं बनी। ये 4 स्टैंडबाय अभिमन्यु ईश्वरन, प्रसिद्ध कृष्णा, आवेश खान और अरज़ान नागवासवाला हैं. इनके लिए कहा गया कि इन्हें घरेलू क्रिकेट की फार्म के आधार पर चुना है। अगर ऐसा है तो ये पैमाना जयदेव उनादकट पर लागू क्यों नहीं किया?
अगर पेसर की बात करें तो जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज, शार्दुल ठाकुर, ईशांत शर्मा और उमेश यादव को चुना और साथ में तीन पेसर आवेश खान, अरज़न नागवासवाला और प्रसिद् कृष्णा स्टैंडबाय।
क्रिकेट इतिहास ऐसी मिसाल से भरा है जिनमे टैलेंट के बावजूद खिलाड़ी को पूरा मौका नहीं मिला। भारत से हाल की दो बड़ी अच्छी मिसाल बल्लेबाज़ी में करुण नय्यर और गेंदबाज़ी में उनादकट हैं- टैलेंट थी तभी तो टेस्ट टीम में आए। उसके बाद क्यों नज़रअंदाज़ किए जा रहे हैं- शायद सेलेक्टर्स भी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाएंगे।
उनादकट ने अपना पहला और अब तक का एकमात्र टेस्ट 2010 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध सेंचुरियन में खेला- 101 रन देकर कोई विकेट नहीं और टेस्ट करियर यहीं रुक गया। क्या वे ऐसे पहले गेंदबाज़ हैं जिन्हें अपने पहले टेस्ट में कामयाबी नहीं मिली? वापसी के लिए अपने आपको साबित करो फर्स्ट क्लास क्रिकेट में और मजे की बात ये है कि उनादकट वही तो कर रहे हैं- तब भी सेलेक्टर्स की किसी स्कीम में उनका नाम नहीं आ पा रहा।
ज्यादा पीछे नहीं जाते- उनादकट ने रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने के लिए सौराष्ट्र की कप्तानी की 2019-20 सीजन में और 67 विकेट लेकर रिकॉर्ड बनाया। किसी को फर्स्ट क्लास क्रिकेट रिकॉर्ड की बदौलत मौका मिल रहा है तो किसी को आईपीएल फार्म की बदौलत- उनादकट पर इनमें से कोई पैमाना लागू नहीं हो रहा। टेस्ट टीम में शामिल होने के लिए उनादकट को और क्या करना होगा? उनादकट बहरहाल उम्मीद नहीं छोड़ रहे- अभी से नज़र अगले सीज़न पर लगा ली है।शायद तब बुलावा आ जाए। फिर भी कुछ बातें ध्यान देने वाली हैं –
*पिछले 3 साल में उनादकट का गेंदबाज़ी का औसत 15 से कम है (कुल फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड : 327 विकेट 23.21 औसत से- इसमें 20 बार 5 विकेट और 5 बार 10 विकेट शामिल)।
- उनादकट खब्बू आर्मर हैं और इंग्लैंड की पिचों पर बड़े काम आते- तब भी, नेट्स के लिए भी सेलेक्टर्स ने उनकी जगह अरज़ान नागवासवाला को मौका दिया- शायद उनादकट की 29+ की उम्र उनके लिए तुलना में भारी पड़ी।
*2021 के अधूरे आईपीएल सीजन में 4 मैच में 4 विकेट लिए पर इकॉनमी रेट 7 से कुछ ही ज्यादा रहा।
- एकमात्र टेस्ट दिसंबर 2010 में, आखिरी वन डे इंटरनेशनल नवंबर 2013 में और आखिरी टी 20 इंटरनेशनल मार्च 2018 में। उनकी फार्म किसी स्कीम में फिट नहीं हो पाई।
उनादकट तब भी एक मंज़िल सामने रखकर गेंदबाज़ी कर रहे हैं- उन्हें उम्मीद है मौका जरूर मिलेगा।