टेस्ट दर्जा हासिल करने में जो तेजी अफगानिस्तान ने दिखाई, उसकी क्रिकेट में और कोई मिसाल नहीं है। इसमें कोई शक नहीं कि ग्लोबेलाइजेशन के नाम पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का दर्जा अब पहले जैसा मुश्किल नहीं रहा. मगर जिस आईसीसी ने हर दलील के बावजूद केनिया को उनके बेहतरीन क्रिकेट दौर में टेस्ट दर्जा नहीं दिया, उन्होंने बांग्लादेश, आयरलैंड और अफगानिस्तान को टेस्ट दर्जा देने में उतनी देरी नहीं लगाई।
यह जानते हुए भी कि अभी 5 दिन की क्रिकेट में अफगानिस्तान के दम के बारे में कुछ नहीं मालूम, कोई नहीं जानता कि अफगानिस्तान की टीम कब अपनी सरजमीं पर कब कोई अंतरराष्ट्रीय मैच खेल पाएगी. अफगानिस्तान टीम को चर्चा दिलाने वाली ज्यादातर कामयाबी लिमिटेड ओवर क्रिकेट की है इसके बावजूद आईसीसी ने उन्हें टेस्ट का दर्जा दे दिया।
अफगानिस्तान को टेस्ट का दर्जा मिलने की 5 प्रमुख वजह
क्रिकेट का ग्लोबेलाइजेशन – एक तरफ आईसीसी की कोशिश है क्रिकेट को विश्व खेल बनाने की तो ऐसे में आरोप लगता है कि इतने कम देश ऊंचे दर्जे की क्रिकेट क्यों खेलते हैं? इसी सोच में और अफगानिस्तान की हाल की कामयाबियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें टेस्ट दर्जा दे दिया। अफगानिस्तान ने इंटरकांटिनेंटल कप में यह साबित कर दिया कि वे प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल सकते हैं।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट की राष्ट्रीय चैंपियनशिप– भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश को टेस्ट दर्जा पहले मिला और इन देशों में प्रथम श्रेणी क्रिकेट की राष्ट्रीय चैंपियनशिप बाद में शुरू हुई। अफगानिस्तान को टेस्ट दर्जा देने की जब पहली बार चर्चा शुरू हुई तो अफगानिस्तान को अहसास था कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट की राष्ट्रीय चैंपियनशिप का मुद्दा उठेगा।
वहां अहमद शाह अब्दाली 4 डे टूर्नामेंट शुरू हुआ। 2016-17 तक आईसीसी ने इसे प्रथम श्रेणी क्रिकेट का दर्जा नहीं दिया था। फरवरी 2017 में इसे प्रथम श्रेणी क्रिकेट का दर्जा दे दिया और 2017-18 का टूर्नामेंट दुर्रानी एंपायर अहमद शाह दुर्रानी के नाम से खेला गया।
युवा खिलाड़ियों पर भरोसा– जब आयरलैंड ने पहला टेस्ट खेला तो 11 में से 5 खिलाड़ी 34 से भी बड़े थे और एड जोयस 40 के करीब पहुंच रहे थे। इस की तुलना में अफगानिस्तान ने युवा प्रतिमा को मौका दिया। बंगलुरू टेस्ट के पहले दिन मुजीब उर रहमान की उम्र 17 साल से कुछ हफ्ते ज्यादा होगी और ध्यान दीजिए उनका जन्म इसी 21वीं शताब्दी में हुआ है। अफगानिस्तान के दूसरे सनसनीखेज क्रिकेटर राशिद खान की उम्र भी कोई ज्यादा नहीं है- उनका जन्म 1998 में हुआ और बंगलुर टेस्ट शुरू होने के समय 20 साल के भी नहीं हैं। इसी दलील पर यह कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान को आगे भी अच्छे युवा क्रिकेटर मिलते रहेंगे।
अंतराष्ट्रीय कसौटी पर पास– यह ठीक है कि अफगानिस्तान के क्रिकेटरों को 5 दिन के टेस्ट का इम्तहान पास करना है पर राशिद खान, मोहम्मद शहजाद और मुजीब उर रहमान जैसे क्रिकेटर अलग देश में खेलकर यह साबित कर चुके हैं कि वे सिर्फ ‘अपनी’ पिचों पर खेलने के मोहताज नहीं। राशिद और मुजीब आईपीएल 2018 के सबसे सनसनीखेज क्रिकेटर साबित हुए।
मुकाबले की भावना– अफगानिस्तान टीम की सबसे बड़ी खासियत है मुकाबले की भावना और हार न मानना। बांग्लादेश के खिलाफ हुई अफगानिस्तान की तीन टी-20 मैचों की सीरीज को क्लीन स्वीप कर अपने नाम किया. वहीं विश्वकप क्वालिफायर के फाइनल में वेस्टइंडीज को भी हराया।