भारत विश्व में सबसे प्रभावी और मजबूत टीमों में से एक है. भारतीय क्रिकेट को चलाने वाली सबसे बड़ी संस्था भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ही इसके आकर्षण का जनक है. यह न केवल विश्व का सबसे अमीर बोर्ड है बल्कि पूरी दुनिया में क्रिकेट को बढ़ावा देने का एक मुख्य श्रोत भी है.
हाल ही में इस खेल ने जर्मनी, फ्रांस, तुर्की और ग्रीस जैसे यूरोपीय देशों में लोकप्रियता हासिल करना शुरू कर दिया है.
एक टेस्ट क्रिकेट मैच की समय अवधि पांच दिनों की होती है, 50 ओवर का एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट लगभग 8 घंटे चलता है, लेकिन टी20 क्रिकेट की शुरूआत ने इस खेल को वैश्विक व्यावसायिक सफलता, प्रमुख मीडिया और मार्केटिंग ब्रांडों में शामिल होने में काफी मदद की है. इंडियन प्रीमियर लीग, पाकिस्तान सुपर लीग, बिग बैश आदि जैसी टी20 लीग को दुनिया भर में आयोजित किया जा रहा है.
हालांकि क्रिकेट अभी भी ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों जैसी प्रमुख खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए संघर्ष कर रहा है. दिलचस्प बात ये है कि टी10 क्रिकेट प्रारूप ओलंपिक में शामिल होने के लिए सही प्रतीत होता है क्योंकि 10-10 ओवर का एक क्रिकेट मैच केवल फुटबॉल गेम की अवधि के समान ही 90 मिनट तक चलता है.
ओलंपिक में अब तक क्रिकेट के शामिल नहीं होने के लिए सबसे बड़ी अस्वीकृति बीसीसीआई की मानी जाती है. बीसीसीआई, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के लिए पूरे विश्व भर से खेल का लगभग 70% राजस्व लाता है. इसलिए बीसीसीआई क्रिकेट के ओलंपिक में शामिल होने में बड़ा रोड़ा बन सकता है.
इसके अलावा आईसीसी द्वारा किए गए एक ऑनलाइन वैश्विक सर्वेक्षण में 87% प्रशंसकों ने ओलंपिक में टी20 प्रारूप को रखने के विचार को पसंद किया है. क्या इसका मतलब यह हो सकता है कि टी10 क्रिकेट ऐसी संभावनाओं को आगे बढ़ने में मदद कर सकता है, जहां खेल देखने के लिए प्रशंसकों को 90 मिनट के लिए संभावित रूप से आकर्षित किया जाएगा?
क्रिकेट के सबसे छोटे और मनोरंजक टी20 प्रारूप को आगामी ओलंपिक खेलों में शामिल करना विश्व क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण और बड़ा कदम हो सकता है. इससे फटाफट क्रिकेट में एक नया रोमांच पैदा होगा और साथ ही इससे वैश्विक व्यावसायिक सफलता, प्रमुख मीडिया और मार्केटिंग ब्रांड भी जुड़ेंगे.
शारजाह में खेली गई टी10 लीग ने विश्व क्रिकेट जगत में एक नई क्रांति सी ला दी है. क्रिकेट का ये सबसे छोटा प्रारूप वाकई में काफी दिलचस्प है. अगर इसको ओलंपिक में शामिल किया गया तो शायद भविष्व में इसका कोई सानी नहीं होगा.
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ मोर्ने मोर्केल ने भी टी10 प्रारूप को ओलंपिक में शामिल करने की बात कही थी.