आईपीएल 2019 का सफर आखिरकार खत्म हुआ और इससे बढ़िया फिनिश और क्या होगी कि 60वें मैच में टूर्नामेंट की आखिरी गेंद पर सिर्फ 1 रन का फर्क रहा दोनों टीम के बीच। अगर फाइनल की बात करें तो मैच एक कैंप से दूसरे कैंप के बीच चैंपियनशिप का सवाल ले जाता रहा पर आखिर में फैसला सिर्फ क्रिकेट का नहीं था – सीजन के लिए बेहतर स्कीम और अच्छी किस्मत का भी था। उसी में रोहित शर्मा की मुंबई इंडियंस ने बाजी मारी और चौथा आईपीएल टाइटल जीते।
आईपीएल जीतने की दावेदार हर टीम की कोई न कोई यूएसपी थी। मुंबई इंडियंस के कोच महेला जयवर्धने आईपीएल शुरू होने से पहले जो बात कह रहे थे, वही जीत के बाद कही – इस टीम की यूएसपी है कि ये एक या दो खिलाड़ियों की बदौलत चैंपियन बनने की दावेदार नहीं। कई मैच विजेजाओं की बदौलत टीम फाइनल तक पहुंची और यहां भी एक या दो खिलाड़ियों की बदौलत नहीं जीते। जीत के कुछ खास पहलू देखिए:
1. एक या दो स्टार क्रिकेटरों की टीम नहीं: अगर मैच विजेताओं की लिस्ट बनाएं तो मुंबई इंडियंस से सबसे लंबी लिस्ट बनेगी। अगर क्विंटन डि कॉक ने 529 रन बनाए तो 3 अन्य बल्लेबाजों ने 400 से ज्यादा (सूर्य कुमार यादव 424, रोहित शर्मा 405, हार्दिक पांड्या 402), एक अन्य ने 200 से ज्यादा (कीरोन पोलार्ड 279) और 2 अन्य ने 100 से ज्यादा (कृणाल पांड्या 183, इशान किशन 101) रन बनाए।
उनके 5 गेंदबाजों ने 12 या इससे ज्यादा विकेट लिए – इसका साफ मतलब है कि दूसरी टीम को रोकने के लिए एक गेंदबाज पर ही नहीं टिके रहे – जसप्रीत बुमराह 19 विकेट, लसिथ मलिंगा 16 विकेट, हार्दिक पांड्या 14 विकेट, राहुल चाहर 13 विकेट और क्रुणाल पांड्या 12 विकेट।
2. उनके 6 खिलाड़ियों (हार्दिक पांड्या, क्विंटन डि कॉक, कीरोन पोलार्ड, सूर्य कुमार यादव, क्रुणाल पांड्या और जसप्रीत बुमराह) ने टीम के सभी 16 मैच खेले, जबकि रोहित शर्मा खराब फिटनैस के कारण 15 मैच खेले। इस तरह हर मैच में 7 खिलाड़ियों की कोर टीम तो लगभग एक ही रही। ऐसी स्थिति और किसी टीम में नहीं थी।
3. हालांकि दिल्ली कैपिटल्स ने भी उनके बराबर 16 तथा चेन्नई सुपर किंग्स ने तो 17 मैच खेले पर बल्लेबाजों के बैट से सबसे ज्यादा 2554 रन मुंबई इंडियंस को मिले। मुंबई इंडियंस के बल्लेबाजों ने 230 चौके लगाए – सिर्फ दिल्ली कैपिटल्स (236) इससे ज्यादा। मुंबई इंडियंस के बल्लेबाजों ने 115 छक्के लगाए – सिर्फ कोलकाता नाइट राइडर्स (143) इससे ज्यादा और उनके लिए आंद्रे रसेल खेले थे।
और मजेदार बात देखिए मुंबई इंडियंस के किसी बल्लेबाज ने 100 नहीं बनाया पर 11 बार 50 से ज्यादा का स्कोर बना। इसके उलट उनके लिए 16 पारियों में सिर्फ 5 बार बल्लेबाज 0 पर आउट हुआ – बाकी सभी टीमों से कम।
4. सीजन में कम से कम 10 विकेट लेने वालों में – बनाए रन के चार्ट में टॉप 3 में से 2 मुंबई इंडियंस के रहे – हार्दिक पांड्या 402 रन और 14 विकेट तथा क्रुणाल पांड्या 183 रन और 12 विकेट। इस तरह मुंबई को इनके खेलने से डबल फायदा मिला। ये दोनों तो सिर्फ बल्लेबाजी या गेंदबाजी की बदौलत टीम में आ सकते थे। सीजन में, जिन 6 ऑलराउंडर्स ने 100 रन और 10 विकेट का डबल बनाया, उनमें से 2 मुंबई इंडियंस के थे।
5. सिर्फ प्रतिष्ठा के लिए टीम में कोई जगह नहीं: इसलिए युवराज सिंह को 53 के एक स्कोर के बावजूद सिर्फ 4 मैच में खिलाया और सीजन में उनका ज्यादा समय बैंच पर बीता। उनकी जगह खेले इशान किशन का रिकॉर्ड 7 मैच में 101 रन रहा पर उन्हें टीम ने भविष्य के लिए इनवेस्टमेंट के तौर पर देखा। इसी तरह पिछले सीजन में डग आउट में सपोर्ट स्टाफ के तौर पर बैठे लसिथ मलिंगा को इस बार खिलाड़ियों में शामिल किया। मलिंगा और बुमराह ने साबित कर दिया कि वे टी-20 के सबसे बेहतरीन गेंदबाज हैं।
किस्मत और रिकॉर्ड भी मुंबई इंडियंस के साथ थे। इस सीजन में चेन्नई को चारों मैच में हराया। 7 मई को क्वालिफायर 1 जीतने से मुंबई के क्रिकेटर सीधे 12 मई को फाइनल खेले (बीच के दिनों में भी ऐसा नहीं सिर्फ क्रिकेट का बोझ लादे रखा – कप्तान रोहित शर्मा परिवार के साथ तिरूपति बालाजी मंदिर गए और फ्रेंचाइजी ने अन्य खिलाड़ियों के परिवार के लिए हैदराबाद में शानदार डिनर दिया, जबकि 10 मई के क्वालिफायर 2 की थकान को झेलना पड़ा सुपर किंग्स को तथा चेन्नई से विशाखापट्टनम और विशाखापट्टनम से हैदराबाद तक के सफर ने भी आराम नहीं दिया। चेन्नई डैड्स आर्मी थे – अगले सीजन में टीम का चेहरा जरूर बदलेगा। मुंबई इंडियंस ने टीम बनाई और टाइटल भी जीता।