31 मार्च तक इस बार की आईपीएल में जो 12 मैच हुए उनमें हर टीम ने 3-3 मैच खेल लिए थे। यहां तक दो टीमें ऐसी हैं जो अपने तीनों मैच हारी – विराट कोहली की रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर और अजिंक्य रहाणे की राजस्थान रॉयल्स। ये दोनों भारत के टेस्ट क्रिकेट में क्रमशः कप्तान और उप-कप्तान हैं। विराट कोहली का परिचय इससे कहीं ज्यादा बड़ा है – ज्यादातर विशेषज्ञों की राय में आज की क्रिकेट के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज, आईसीसी के क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर और आईसीसी टेस्ट एवं ओडीआई टीम ऑफ़ द ईयर के कप्तान। ये वह पहचान है, जिसकी बदौलत तो ऐसा लगता है कि विराट कोहली अकेले ही टीम का खेल बदल देंगे।

उस पर टीम की हालत ये है कि रॉयल चैलेंजर्स ने न सिर्फ तीनों मैच हारे, नेट रन रेट में भी सबसे नीचे हैं- नंबर 7 राजस्थान रॉयल्स के – 0.575 के मुकाबले -2.413 का नेट रन रेट। इन 3 मैच में रॉयल चैलेंजर्स के टॉप बल्लेबाज एबी डी विलियर्स हैं – 80 रन और सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की लिस्ट में जोस बटलर उनके बराबर और 18 बल्लेबाज इनसे ऊपर हैं। कप्तान विराट कोहली इस लिस्ट में 30वें नंबर पर हैं – 3 पारी में 18.33 की औसत और 101.85 स्ट्राइक रेट से 55 रन।

यहां तक इस सीजन में 32 बल्लेबाजों ने 50 या इससे ज्यादा रन बनाए हैं – 18.33 की औसत के साथ विराट कोहली 31वें नंबर पर हैं (उनसे नीचे: सूर्य कुमार यादव 17.00) जबकि 101.85 के स्कोरिंग रेट के साथ विराट कोहली 32वें नंबर पर है यानि कि सबसे नीचे। इसका मतलब साफ है कि आईपीएल 2019 में विराट कोहली पहले 3 मैचों में टीम के खिलाड़ियों के लिए मिसाल बनने में नाकामयाब रहे हैं और इसी का असर टीम के खेल में साफ दिखाई दे रहा है।

आईपीएल में विराट कोहली ने पहली बार 11 मई 2011 को रॉयल चैलेंजर्स की कप्तानी की थी और तब से 31 मार्च 2019 तक 99 मैच में कप्तानी की – इनमें से 45 मैच जीते लेकिन 51 हारे भी और प्रतिशत जीत की गिनती 45.45 है। रॉयल चैलेंजर्स के अन्य दोनों नियमित कप्तान (योग्यता: कम से कम 20 मैच में कप्तान) का रिकॉर्ड उनसे बेहतर था – अनिल कुंबले ने 26 मैच में 57.69 और डेनियल विटोरी ने 22 मैच में 54.55 प्रतिशत जीत दर्ज की। कुल मिलाकर भी आईपीएल में 50 मैच में कप्तानी करने वालों में विराट कोहली सबसे नीचे यानि कि 11वें नंबर पर हैं प्रतिशत जीत में और अगर 40 मैच में कप्तानी करने वालों का रिकॉर्ड देखें तो सिर्फ सौरव गांगुली (40.48) एवं कुमार संगकरा (36.17) उनसे नीचे हैं।

हां, कप्तान के तौर पर बल्लेबाजी के रिकॉर्ड में जरूर विराट कोहली वाली झलक है – 99 मैच की 98 पारी में 45.01 औसत और 135.17 स्ट्राइक रेट से 4 शतक के साथ 3601 रन। इससे ज्यादा 3832 रन सिर्फ धोनी के नाम हैं।

इस सबसे इतना तो तय हो जाता है कि विराट कोहली का बड़ा नाम रॉयल चैलेंजर्स के लिए वह कामयाबी नहीं ला पाया, जिसकी फ्रेंचाइजी ने उम्मीद की थी। कोहली यह शिकायत भी नहीं कर सकते कि वे रॉयल चैलेंजर्स की वन मैन आर्मी थे। कई दिग्गज, मशहूर और कामयाब खिलाड़ी इन सब सालों में विराट कोहली की टीम में रहे पर ये सभी मिलकर रॉयल चैलेंजर्स को एक भी टाइटल नहीं दिला पाए।

क्रिकेट में ढेरों ऐसी मिसाल हैं जब कप्तानी में बदला नजरिया एकदम क्लिक कर जाता है और टीम जीत की राह पकड़ लेती है। वैसे भी विश्व कप को देखते हुए विराट कोहली को न सिर्फ शरीर को, दिमाग को भी आराम देने की जरूरत है। आईपीएल एक पेशेवर टूर्नामेंट है और ऐसा नहीं कि कोहली रॉयल चैलेंजर्स की कप्तानी नहीं करेंगे तो उनकी प्रतिष्ठा पर कोई असर पड़ेगा। कोहली का अपना, भारत का और फ्रेंचाइजी का फायदा इसी में है कि वे रॉयल चैलेंजर्स की कप्तानी छोड़ दें। फ्रेंचाइजी शायद उनके बड़े नाम की वजह से खुद ऐसा न कर पाएं। टीम को बल्लेबाज विराट कोहली की ज्यादा जरूरत है।

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