भारत 1975 से विश्व कप में हिस्सा ले रहा है और पहले दोनों (1975 एवं 1979) में बेहद निराशाजनक खेल के बावजूद, भारत के विश्व कप रिकॉर्ड से किसी भी टीम को जलन हो सकती है। 1983 और 2011 में चैंपियन बने – इसलिए इन्हीं दोनों टूर्नामेंट के फाइनल में खेली टीम को देखकर ही, सर्वकालीन विश्व कप इलेवन की संरचना का फ़ॉर्मूला बना सकते हैं।

अगर ध्यान से देखें तो इन दोनों विश्व कप फाइनल में खेली टीम की संरचना में बड़ा फर्क था। 1983 में जीत में ऑलराउंडर की बड़ी खास भूमिका थी। उस समय वनडे क्रिकेट में जीत का फ़ॉर्मूला ही यही माना जाता था कि ऐसे खिलाड़ी चुनो जो हर भूमिका में फिट हों – इसलिए मोहिंदर अमरनाथ, कपिल देव, कीर्ति आजाद, रोजर बिन्नी और मदन लाल एक साथ खेल गए। 2011 में ऐसा एक भी ऑलराउंडर नहीं था – भले ही फाइनल में युवराज, तेंदुल्कर और विराट कोहली ने मिलकर 13 ओवर फैंके। हर भूमिका में विशेषज्ञ क्रिकेटर ही मौजूदा फॉर्मूला है और इसी को अपनाते हैं।

19 खिलाड़ी विश्व कप में भारत के ओपनर रहे हैं जिसमें रन की गिनती में तेंदुल्कर (1767), सहवाग (671), गावस्कर (561), गांगुली (558), श्रीकांत (521), शिखर धवन (412) और रोहित शर्मा (330) टॉप हैं पर चुनने तो दो ही है। जिस अकेले ओपनर का स्ट्राइक रेट 100 से ज्यादा है वह सहवाग (103.55) हैं और शुरू में इसी भूमिका की बदौलत उन्हें चुनेंगे। सहवाग ने तेंदुल्कर के साथ गजब की जोड़ी बनाई – विश्व कप में 17 पारी में दोनों ने 54.41 औसत से 925 रन जोड़े। इसलिए ओपनर तेंदुल्कर और सहवाग होंगे।

सबसे कामयाब नंबर 3 द्रविड़ (461), गांगुली (424), अजहरूद्दीन (373), विराट कोहली (364) और गौतम गंभीर (343) रहे हैं। 2019 में विराट कोहली बल्लेबाजी में जिस मुकाम पर हैं उन्हें नजरअंदाज करना आसान नहीं। नंबर 3 पर द्रविड़, गांगुली और अजहर ने उनसे एक-एक पारी कम खेली तथा द्रविड़ और गांगुली का तो स्कोरिंग रेट भी उनसे बेहतर है। गांगुली ने 8 पारी में 3 शतक भी बनाए। इसलिए विश्व कप रिकाॅर्ड को देखते हुए कोहली को इस नंबर पर छोड़ना पड़ेगा और गांगुली को चुनेंगे।

नंबर 4 पर टॉप पर तेंदुल्कर (400), अजहरूद्दीन (228), वेंगसरकर (208) और कोहली (202) हैं। इनसे नीचे एक नाम युवराज सिंह (178) का है – ये रन सिर्फ 3 पारी में बनाए। बहरहाल नंबर 4 पर विराट कोहली को 5 पारी में 202 रन 50.50 और और 84.52 स्ट्राइक रेट के लिए चुनेंगे।

नंबर 5 पर टॉप द्रविड़ (355), युवराज (260), सुरेश रैना (210) और विनोद कांबली (177) हैं। युवराज और रैना टीम को एक उपयोगी गेंदबाज भी दे देते हैं – इसलिए इन्हीं दोनों में से एक को चुनेंगे। युवराज के बड़े मैच के टेंपरामेंट और विश्व कप में कुल रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें चुनेंगे।

नंबर 6 और 7 आलराउंडर तथा विकेटकीपर के हैं। क्या यहां रिकॉर्ड देखने की जरूरत है? दोनों विश्व कप विजेता कप्तान यहां फिट होंगे – कपिल देव नंबर 6 और धोनी नंबर 7 पर। ये दोनों एकदम पारी की शक्ल बदल सकते हैं जैसा जिंबाब्वे के विरूद्ध कपिल और 2011 के फाइनल में धोनी ने किया। इन दोनों में से कप्तान कौन? निश्चित रूप से कपिल देव क्योंकि उन्होंने तो 1983 में एक साधारण गिनी जाने वाली टीम को विश्व कप विजेता में बदला।

अब बचे 4 खिलाड़ी – इन में से 3 तेज गेंदबाज और 1 स्पिनर। तेज गेंदबाजी में टॉप जहीर और श्रीनाथ (44), कपिल (27), प्रभाकर (24), मदन लाल (22) और बिन्नी (19) हैं। क्या सिर्फ 7 मैच में 17 विकेट लेने वाले शमी को छोड़ दें? क्या मोहिंदर अमरनाथ का आलराउंड रिकॉर्ड और 16 विकेट छोड़ दें? ऐसे में आज के दौर को देखते हुए जहीर, श्रीनाथ और शमी को चुनना पड़ेगा।

स्पिनर में कुंबले (31), हरभजन एवं युवराज (20) तथा अश्विन (17) टॉप हैं। युवराज को तो चुन ही लिया – दूसरे स्पिनर कुंबले होंगे बड़े मैच के टेंपरामेंट की बदौलत।

तो इस तरह भारत की सर्वकालीन विश्व कप इलेवन बनीं – सचिन तेंदुल्कर, वीरेंद्र सहवाग, सौरव गांगुली, विराट कोहली, युवराज सिंह, कपिल देव (कप्तान), धोनी (विकेटकीपर), जहीर खान, जवागल श्रीनाथ, अनिल कुंबले और मौहम्मद शमी। 12वें – मोहिंदर अमरनाथ।

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