एक ऐसे समय में जबकि हर चर्चा विश्व कप में खेलने की तैयारी, उसके लिए टीम चुनने और दूसरी टीमों से मुकाबले की नीति तैयार करने की होनी चाहिए थी – देश में चर्चा हो रही है विश्व कप में खेलने के सवाल की। पुलवामा के आतंकी हमले का असर क्रिकेट ग्राउंड पर दिखाई न दे – यह तो हो ही नहीं सकता। पाकिस्तान के साथ क्रिकेट संबंध जोड़ने की बात तो ठंडे बस्ते में पड़ ही चुकी है – अब तो सीधा असर विश्व कप पर दिखाई देगा। क्या ओल्ड ट्रेफर्ड में भारत की टीम पाकिस्तान के विरूद्ध खेलेगी? क्या भारतीय क्रिकेट बोर्ड की कोशिश पाकिस्तान को आतंकवाद न रोकने के आरोप में क्रिकेट की बिरादरी से वैसे ही अलग कर पाएगी जैसे रंगभेद की वजह से दक्षिण अफ्रीका को अलग कर दिया था? इसी तरह से अगला बड़ा सवाल ये है कि अगर पाकिस्तान को न रोक पाने के विरोध में भारत ने विश्व कप का बॉयकाट कर दिया तो क्या होगा?

यह बात छिपी नहीं कि भारत पर इसके लिए जुर्माना लगेगा। आईसीसी की चिंता भारतीय क्रिकेट बोर्ड के नुकसान से ज्यादा अपने नुकसान की है क्योंकि यह सभी जानते हैं कि विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट का पूरा अर्थशास्त्र ही मैन इन ब्लू की लोकप्रियता पर टिका है। विश्व कप के जिस मैच के सभी टिकट सबसे पहले बिके वह भारत-पाकिस्तान मैच है; जिस एक टीम के मैचों के टिकट सबसे ज्यादा बिक रहे हैं – वह मेजबान इंग्लैंड नहीं, भारत है। आईसीसी का अपने हर बड़े टूर्नामेंट का हर कांट्रेक्ट बेचना इस बात पर टिका था कि भारत भी खेलेगा। आईसीसी की क्रिकेट की सबसे बड़ी स्पांसर भारतीय कंपनियां हैं। पिछले हर विश्व कप (1987 के बाद से) की बेलेंस शीट यही बताती है.

आईसीसी का सबसे बड़ा कांट्रेक्ट ब्रॉडकास्टर स्टार के साथ है। आईसीसी के 2023 तक के हर बड़े आयोजन के ब्रॉडकास्ट अधिकार खरीदने के लिए उन्होंने लगभग 1.8 बिलियन डॉलर का कांट्रेक्ट किया और उन्हें मालूम है कि पैसे की वसूली का सबसे बड़ा बाजार भारत है। अगर भारत ही विश्व कप में न खेला तो क्या रहेगा क्रिकेट के बाजार में विश्व कप का हाल। यह तय है कि जिस कीमत पर विज्ञापन समय की बुकिंग हो रही है वह गिरेगी और जो विज्ञापन समय बेचने के कांट्रेक्ट हो चुके हैं वे रद्द कराने की लाइन लगेगी। ऐसे में कोई हैरानी नहीं कि ब्रॉडकास्टर अपने नुकसान का हरजाना आईसीसी से मांगे।

इस समय आईसीसी का क्रिकेट के लिए हर बड़ा कांट्रेक्ट भारतीय कंपनियों के साथ है। अगर उन्हें भारतीय बाजार ही न मिला तो वे क्यों आईसीसी पर पैसा लगाना चाहेंगे? सही सही आंकलन लगा पाना तो संभव नहीं पर आईसीसी के ऑफिस में भी यह हिसाब लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है कि भारत ने विश्व कप के लिए टीम भेजने से इंकार किया तो आईसीसी को कितना नुकसान होगा? इस नुकसान का आंकलन 500 मिलियन डॉलर (लगभग 3300 करोड़ रूपये) से भी ज्यादा का है।

क्या आईसीसी इस नुकसान को झेलने के लिए तैयार है? भारत में तो भावुकता का माहौल ये है कि देश के सम्मान के नाम पर विश्व कप से होने वाले नुकसान की कोई चिंता नहीं पर विश्व क्रिकेट का समीकरण बिगड़ेगा। अपनी कमाई में से ही आईसीसी आगे क्रिकेट देशों को क्रिकेट को बढ़ाने के लिए पैसा देती है। पैसा ही नहीं – तो विकास की स्कीमें कैसी?

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