क्रिकेट के खेल में स्पिन गेंदबाजों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है. एक स्पिनर अपनी टीम के गेंदबाजी आक्रमण का अहम हिस्सा होता है. सीमित ओवरों के क्रिकेट में स्पिनर का सबसे ज्यादा प्रयोग मैच के बीच में देखा जाता है. स्पिन गेंदबाज पारी के मध्य ओवरों में विपक्षी टीम के रनों पर अंकुश लगाने का काम करते हैं. कभी-कभी अगर पिच स्पिन गेंदबाजी के अनुकूल होती है, तो कप्तान द्वारा अपनी टीम के गेंदबाजी आक्रमण की शुरुआत स्पिनर से कराई जाती है. क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप ‘टेस्ट’ में भी इन गेंदबाजों का महत्वपूर्ण योगदान होता है.

ऑफ़ स्पिनर और लेग स्पिनर कई तरह की विविधताओं के साथ गेंदबाजी करते हैं, लेकिन आज हम बात करने वाले हैं ‘दूसरा’ गेंदबाजी के बारे में. साथ ही जानेंगे कि इसको एक स्पिनर द्वारा कैसे फेंका जाता है और इस गेंद की क्या विशेषता है?

‘दूसरा’ गेंद एक ऑफ़ स्पिनर द्वारा डाली जाने वाली एक विशेष प्रकार की गेंद है. क्रिकेट के महारथी इसको ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ का सबसे बड़ा हथियार मानते हैं. इस गेंद की उत्पत्ति पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज स्पिनर सक़लैन मुश्ताक द्वारा की गई थी. इसके बाद ‘दूसरा’ गेंद क्रिकेट जगत में खासी लोकप्रिय हुई तथा इसका इस्तेमाल क्रिकेट के अन्य स्पिनर्स द्वारा भी किया जाने लगा, जिसमें श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन, दक्षिण अफ्रीका के जोहान बोथा, भारत के हरभजन सिंह इत्यादि गेंदबाजों ने इस गेंद को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया.

‘दूसरा’ गेंद एक दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए लेग स्टंप से ऑफ़ साइड में घूमने वाली गेंद होती है. ऑफ़ स्पिनर द्वारा इसका इस्तेमाल मैच की परिस्थितियों के अनुसार किया जाता है.

‘दूसरा’ गेंद डालने का तरीका:

गेंदबाज एक सामान्य ऑफ ब्रेक के उंगलियों के एक्शन के समान ही ‘दूसरा’ गेंद को डालता है, लेकिन अपनी कलाई को थोड़ा अधिक घुमा लेता है, जिससे कि हाथ के पीछे का हिस्सा बल्लेबाज के सामने रहे. ऐसा करने पर गेंद एक सामान्य ऑफ स्पिन की उल्टी दिशा में घूमने लगती है और एक दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए लेग साइड से ऑफ साइड की तरफ स्पिन करती है.

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