आजिंक्य रहाणे का नाम चेतेश्वर पुजारा जैसी चर्चा में नहीं आया पर चयनकर्ताओं की मौजूदा स्कीम में रहाणे की हालत कोई बहुत अच्छी नहीं है। रहाणे के करियर रिकॉर्ड में 90 वन डे इंटरनेशनल और 20 टी 20 इंटरनेशनल जरूर है पर ये भी सच है कि उन्हे 16 फरवरी 2018 के सेंचुरियन वन डे और 28 अगस्त 2016 में टी-20 के बाद से भारत के लिए कोई सफेद गेंद वाला मैच खेलने का मौका नहीं मिला है। रहाणे की भी समझ में नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों हो रहा है? फिर भी चयन समिति के चेयरमैन एमएसके प्रसाद ने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया और कहा – रहाणे का नाम विश्व कप की स्कीम में है।

खिलाड़ी भले ही चेतेश्वर पुजारा या आजिंक्य रहाणे जैसे नियमित टेस्ट क्रिकेटर हो पर आम समझ भी यही कहती है कि जिसे पिछले लगभग एक साल में एक भी वन डे इंटरनेशनल न खिलाया हो और विश्व कप से पहले की आखिरी वन डे सीरिज की टीम में भी न लिया हो – वह एकदम विश्व कप की टीम में एक जगह का दावेदार कैसे बन सकता है? 90 वन डे खेलने के बावजूद रहाणे फंसे टेलेंट की कमी न होने के चक्रव्यूह में – नए-नए खिलाड़ी आजमाए जाते रहे और रहाणे ‘टेस्ट क्रिकेट के विशेषज्ञ’ के लेबल से बाहर नहीं आ पाए। एमएसके प्रसाद ने चाहे जो उम्मीद दिलाई हो पर रहाणे सच्चाई जानते हैं – इसीलिए ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध वन डे टीम की घोषणा के बाद यहां तक बयान दे दिया प्रेस में कि उन्होंने टीम के लिए, जैसा कहा गया वैसा खेला तो टीम मैनेजमेंट का समर्थन मिलना चाहिए था।

रहाणे विश्व कप में खेल चुके हैं – रिकॉर्ड 8 मैच की 7 पारी में 34.67 औसत और 82.54 स्ट्राइक रेट से 208 रन हैं। ये औसत और स्ट्राइक रेट उनके करियर रिकॉर्ड से बेहतर है – 90 वन डे में 35.26 औसत और 78.63 स्ट्राइक रेट से 2962 रन बनाए। 90 मैच की गिनती कोई मामूली बात नहीं।

तो फिर एक दम क्या हुआ? इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है रहाणे का खुद किसी खास नंबर पर बल्लेबाजी का मास्टर न बन पाना और तुलना में चयनकर्ताओं के पास विकल्प की कमी न होना। टीम की जरूरत में रहाणे का बल्लेबाजी का नंबर बदलता रहा – नंबर 1 से 7 तक (5 नंबर को छोड़कर) हर नंबर पर उन्होंने बल्लेबाजी की है। लगातार ओपनर थे पर दक्षिण अफ्रीका में शिखर धवन-रोहित शर्मा जोड़ी बनने के बाद रहाणे को नंबर 4 बना दिया और उनके 86 गेंद में 79, 13 गेंद में 11, 15 गेंद में 8, 18 गेंद में 8 और 50 गेंद में 34’ के स्कोर कसौटी पर खरे नहीं उतरे। आज अगर रहाणे के नाम पर विश्व कप की टीम चुनने के समय चर्चा भी होती है तो किस नंबर पर वे फिट होंगे? उस नंबर के लिए मुकाबला किससे है? इस फ्रंट पर रहाणे पिछड़ जाते हैं।

हालांकि रहाणे ने अपने तीनों वन डे इंटरनेशनल शतक ओपनर के तौर पर बनाए पर नंबर 1 से 3 स्थिति तक 59 पारी में उनका स्ट्राइक रेट 75 से कम है। नंबर 4 पर ये 85 से कम है। इसलिए रहाणे इस विश्व कप को तो भूल ही जाएं और अगर वास्तव में वन डे में एक भरोसे का नाम और दावेदार बनना चाहते हैं तो घरेलू सीमित ओवर क्रिकेट पर ध्यान दें जैसा अंबाती रायुडू ने किया। हर स्कीम से बाहर होने और बढ़ती उम्र के बावजूद रायडू ने चयनकर्ताओं को मजबूर कर दिया कि उन पर ध्यान दें। मध्यक्रम की स्कीम में रायुडू ने ही रहाणे वाली जगह ली।

रहाणे का बैट बोलना चाहिए – न कि वे। इंग्लैंड लायंस के विरूद्ध उन्हें इंडिया ए के लिए खिलाकर चयनकर्ता उनका टेंपरामेंट देखना चाहते थे। वहां 3 मैच में स्कोर 59, 91 और 0 थे। विश्व कप दूर है….!

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