10 टीम का विश्व कप और उसमें 4 को ही तो सेमीफाइनल में पहुचंना था। ग्रुप राउंड के बाद घर लौटने वाली 6 टीम कोई भी हो सकती थीं। वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ही क्यों? स्पष्ट है कि उनके खेल में कोई न कोई कमी थी। वैसे भी विश्व कप शुरू होने से पहले, जो टॉप 4 थे वही सेमीफाइनल में पहुंच गए – वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में से भी कोई सेमीफाइनल में पहुंचना तो विश्व कप को ‘कुछ अलग’ का तड़का लगता। क्या कमी रह गई इन 3 टीमों के खेल में?

वेस्टइंडीज: अंक तालिका में नंबर 9 और सिर्फ अफगानिस्तान उनसे नीचे। 9 में से 2 ही मैच जीते। 8 पारी 1969 रन – इससे ज्यादा रन सिर्फ 5 टीम ने बनाए, प्रति विकेट 30.29 रन बनाए (सिर्फ दो टीम का रिकॉर्ड इससे खराब), 52.51 प्रतिशत रन बाउंड्री शॉट से बनाए। गड़बड़ तब हुई, जब गेंदबाजों ने साथ नहीं दिया – प्रति विकेट 36.93 रन दिए (6 टीम का रिकॉर्ड इससे अच्छा है), दूसरी टीमों के 9 पारी में सिर्फ 58 विकेट लिए (सिर्फ अफगानिस्तान और श्रीलंका ने कम विकेट लिए), 124 अतिरिक्त रन दिए (सिर्फ ऑस्ट्रेलिया ने इससे ज्यादा), सबसे ज्यादा 91 रन वाइड के और 12 रन नो बॉल के दिए।

इन आंकड़ों से समझ में आ जाता है गड़बड़ कहां हुई? इसके अतिरिक्त सही मौके पर स्ट्राइक नहीं किया। ऑस्ट्रेलिया को 79-5 से 288 रन बनने दिए। उसके बाद जब 12 ओवर में जीत के लिए 79 रन बनाने थे और 5 विकेट बचे थे तो वे नहीं बनाए। न्यूजीलैंड के विरूद्ध ब्रेथवेट के हीरो वाले प्रदर्शन के बावजूद जीतते-जीतते रह गए। भारत के विरूद्ध नाजुक मौके पर धोनी को स्टंप नहीं किया और भारत ने मैच संभाल लिया।

बाकी की कसर गेल और रसेल की खराब फॉर्म ने पूरी कर दी। इसलिए ये शिकायत नहीं कर सकते कि मौका नहीं मिला।

दक्षिण अफ्रीका: अंक तालिका में नंबर 7 और 9 में से सिर्फ 3 मैच जीते। मुकाबला इतना लचर रहा कि सेमीफाइनल में न पहुंचने वाली पहली बड़ी टीम बने। 9 मैच में 1934 रन, प्रति विकेट 37.19 रन (सिर्फ 3 टीम का रिकॉर्ड इससे बेहतर), बाउंड्री शॉट से 40.43 प्रतिशत रन (सिर्फ 3 टीम का रिकॉर्ड इससे खराब), सिर्फ एक शतक बना (अफगानिस्तान 0 और बाकी टीम इससे ज्यादा), गेंदबाजों ने सिर्फ 92 अतिरिक्त रन दिए (सिर्फ 2 टीम का रिकॉर्ड इससे बेहतर), 7 टीम के गेंदबाजों ने उनसे ज्यादा वाइड फेंकी और प्रति विकेट 5 टीम के गेंदबाजों ने कम रन दिए। बल्लेबाज़ और गेंदबाज इस तरह लगभग बराबरी पर हैं पर कहीं भी प्रदर्शन आश्चर्यजनक नहीं। यही वजह है वे औसत प्रदर्शन वाली टीम बनकर रह गए।

रन चार्ट में फाफ डु प्लेसिस नंबर 10 है और विकेट चार्ट में क्रिस मोरिस नंबर 11 हैं। विश्व कप खत्म हो गया तब तक वे यह तय नहीं कर पाए कि मैचों के लिए उनके टॉप 11 कौन हैं ? टीम हर मैच में प्लान ए के साथ खेली और वह फेल हुआ तो कोई प्लान बी नहीं था। बल्लेबाज लंबी पारी नहीं खेले। डी विलियर्स के खेलने की चाह की खबर ने टीम को फिजूल के विवाद में फंसा दिया। बाकी की कसर अमला और रबाडा की खराब फॉर्म ने पूरी कर दी। दोष आईपीएल को देते रहे पर इसके लिए जिम्मेदार कौन था?

श्रीलंका: वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका ने बड़े-बड़े दावे किए थे। श्रीलंका ने ऐसा कुछ नहीं किया था, जो ओडीआई खेल नहीं रहा था उस दिमुथ करूणारत्ने को कप्तान बनाया। इस सब को देखते हुए अंक तालिका में श्रीलंका का नंबर 6 पर आना बहुत खराब नहीं रहा।

सबसे कम 1621 रन (पारी भी 7 खेलीं ), तब भी 118 अतिरिक्त रन मिले, प्रति विकेट सिर्फ 26.15 रन बनाए (सिर्फ अफगानिस्तान इससे खराब) और भारत के 49.89 रन से तुलना करें तो फर्क समझ में आ जाता है, बाउंड्री शॉट से सबसे कम 38.74 प्रतिशत रन, 7 पारी में 70 वाइड गेंद फेंकी, प्रति विकेट 40.53 रन दिए – सिर्फ अफगानिस्तान इससे खराब और न्यूजीलैंड (27.88) से तुलना कीजिए।

ये टीम प्रदर्शन में अस्थिरता का शिकार हुई – इसीलिए एक दिन अच्छा खेले तो दूसरे दिन उसे भूल गए।

चलिए कोई बात नहीं। इस बार का प्रदर्शन तीनों टीम के लिए प्रेरणा बनेगा। चार साल तो तैयारी में ही निकल जाएंगे।

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