विश्व की सबसे बड़ी कार रेस प्रतियोगिता फॉर्मूला-वन की शुरुआत आज से 68 साल पहले 1950 में इंग्लैंड में हुई थी. उस समय रफ़्तार का मतलब 350 किलो मीटर प्रतिघंटा नहीं होता था. इंग्लैंड से शुरू हुआ ये सफर यूरोप होते हुए 2011 में भारत की राजधानी दिल्ली की सड़कों तक आ पहुंचा। हालांकि इस खेल को सभी लोग देखना पसंद करते हैं, लेकिन ज़्यादातर लोग इस बात से अनजान होते हैं कि इस खेल में अंक किस तरह दिए जाते हैं, जिससे टीम विजयी बन जाती है? आज हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले हैं.

इसका आयोजन फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल ऑटोमोबाइल (एफआईए) नाम की संस्‍था द्वारा किया जाता है. फॉर्मूला वन के तहत कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है.

भारत में बाकी खेलों के मुक़ाबले फॉर्मूला-1 को अच्छा समर्थन नहीं मिल पाया. भारत की तरफ से नारायण कार्तिकेयन एफ-1 जगत में अपनी रफ़्तार का लोहा मनवा चुके हैं. वो भारत के एकमात्र फॉर्मूला-वन चालक रहे. हाल ही में पूर्व फॉर्मुला वन ड्राइवर नारायण कार्तिकेयन ने शानदार पॉर्श 911 GT3 कार को खरीदा था। इस लग्जरी कार को अक्टूबर 2017 में लॉन्च किया गया था, जिसकी एक्सशोरूम कीमत 2.3 करोड़ रुपए थी।

इस तरह मिलते हैं अंक.

फॉर्मूला-1 में शीर्ष दस ड्राइवरों को स्थान के मुताबिक अंक दिए जाते हैं. विजेता ड्राइवर को 25 अंक, दूसरे स्थान पर रहने वाले को 18 अंक, तीसरे को 15, चौथे को 12, पाचवें को 10, छठे को 8, सातवें को 6, आठवें को 4, नौवें को 2 और दसवें को 1 अंक दिया जाता है. साथ ही हर टीम के दो ड्राइवर रेस में होते हैं, वहीं दोनों के अंकों का योग टीम को मिलने वाले अंकों में जुड़ता हैं. इस प्रकार विजेता टीम का चयन किया जाता है.

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