फॉर्मूला-वन की शुरुआत आज से 68 साल पहले 1950 में इंग्लैंड में हुई थी. इंग्लैंड से शुरू हुआ ये सफर यूरोप होते हुए 2011 में भारत की सड़कों तक आ पहुंचा। भारत में अब तक फॉर्मूला-1 रेस का तीन बार आयोजन हो चुका है. ये रेस क्रमशः 2011, 2012 और 2013 में नोएडा के बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर आयोजित की जा चुकी है, जहां तीनों ही बार जर्मनी के दिग्गज एफ-1 ड्राइवर सेबेस्टियन वेटल ने अपना कब्ज़ा जमाया था।

भारत में 2011 से 2013 तक फॉर्मूला-1 रेस टेलीकॉम मेजर एयरटेल द्वारा प्रायोजित की गई थी, लेकिन 2013 के बाद भारत में फॉर्मूला-1 रेस का आयोजन नहीं हुआ. इतना ही नहीं तीनों बार रेस नॉएडा के बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर आयोजित हुई थी.

भारत में बाकी खेलों के मुक़ाबले फॉर्मूला-1 को अच्छा समर्थन नहीं मिल रहा है. शायद इस कारण ही आखिरी पांच सालों से फॉर्मूला-1 का आयोजन नहीं हुआ है. बता दें कि इसका आयोजन फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल ऑटोमोबाइल (एफआईए) नाम की संस्‍था द्वारा किया जाता है. फॉर्मूला वन के तहत कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. भारत की तरफ से नारायण कार्तिकेयन एफ-1 जगत में अपनी रफ़्तार का लोहा मनवा चुके हैं. वो भारत के एकमात्र फॉर्मूला-वन चालक रहे. उनके अलावा अन्य भारतीय ड्राइवर को फॉर्मूला-1 में हिस्सा लेते नहीं देखा गया.

हमारे देश में विश्व की सबसे बड़ी रेस प्रतियोगिता को उच्च कोटि का दर्जा नहीं मिल रहा। हालांकि भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है, लेकिन हॉकी से ज़्यादा तवज्जो क्रिकेट को दी जाती है. फॉर्मूला-1 को भी आगे बढ़ाने के लिए इस तरह के कदम उठाने होंगे, जिससे क्रिकेट की तरह एफ-1 को भी अच्छा समर्थन मिल सके।

Leave a comment

Cancel reply