रोहित शर्मा (Rohit Sharma) ने टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया (India) के कप्तान के तौर, जिस जिम्मेदारी को निभाया है, वह उनसे पहले के कुछ कप्तान से बिलकुल अलग है। टीम के नियमित खिलाड़ियों के अलग-अलग वक्त पर इंजरी लिस्ट में होने से, ये कहना गलत नहीं होगा कि रोहित को बहुत कम मौके पर, उस टीम इंडिया की कप्तानी का मौका मिला जिसे वे नंबर 1 कह दें। रोहित शर्मा टीम इंडिया की टेस्ट में कामयाबी के लिए, ऐसी किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार जिससे उनकी टीम को फायदा हो। इसके लिए, अगर कुछ अलग करना है, तो वह ऐसा करने के लिए भी तैयार हैं। रोहित शर्मा ने महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली को कप्तानी करते बहुत नजदीक से देखा पर वे इनसे अलग- अपनी स्टाइल बना रहे हैं। ड्रेसिंग रूम में नए खिलाड़ी को, इंटरनेशनल क्रिकेट के दबाव से हटाने के लिए, न सिर्फ रात के खाने के लिए बाहर ले जाने के लिए तैयार बल्कि उसे हमेशा कहेंगे कि वह टीम के लिए सबसे ख़ास है। एक बार रोहित शर्मा ने कहा था, ‘आप अकेले क्रिकेट टीम की कप्तानी नहीं कर सकते हैं। यह समझने और अपनी टीम के हर खिलाड़ी से बात करने की ज़रूरत है कि वह मैच के बारे में क्या सोच रहे हैं।’
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रोहित शर्मा की इस पॉलिसी का सबसे बड़ा इम्तेहान द ओवल में है डब्ल्यूटीसी फाइनल में। इसके लिए उनकी अपनी पूरी टीम का उनके साथ होना जरूरी है। वे तो यहां तक कहते हैं कि टीम के बाकी सभी 10 खिलाड़ी टीम में उनसे भी ख़ास हैं। दूसरी तरफ, रोहित शर्मा को एक बल्लेबाज के तौर भी अपनी प्रतिष्ठा को सही ठहराना है और न सिर्फ ओवल में खेलना, टॉप टीम ऑस्ट्रेलिया से खेलना उनके टेस्ट करियर की सबस्वे बड़ी चुनौती में से एक है। कई जानकार का मानना है कि उनका आईपीएल 2023 का फॉर्म, डब्ल्यूटीसी फाइनल से पहले की कोई अच्छी खबर नहीं पर इनसे भी ज्यादा ये मानने वाले हैं कि ये दोनों बिलकुल अलग मसले हैं और मिचेल स्टार्क, नाथन लियॉन और पैट कमिंस के सामने वे बिलकुल अलग तरह की क्रिकेट खेलते नजर आएंगे। ऐसे में सवाल ये है कि 2021 में इंग्लैंड में इंग्लैंड के विरुद्ध जो किया, क्या इस बार भी वैसा खेलेंगे?
आईपीएल में विकेट ज्यादातर धीमे और कम बाउंस वाले थे। ओवल में इसकी तुलना में बाउंस ज्यादा होगा। क्रिकेट का तरीका भी बदलेगा, आईपीएल में मुंबई की अच्छी शुरुआत के लिए पावर प्ले में ज्यादा से ज्यादा गेंद को हिट करना जरूरी था, जबकि ओवल में गेंद को उसके मिजाज के हिसाब से खेलना और परिस्थितियों को समझना होगा।
इस तरह से चुनौती काफी अलग हैं और ये क्यों मान लें कि रोहित शर्मा इसके लिए तैयार नहीं होंगे? वे जरूर जानते होंगे कि वे एक नए इतिहास को रचने के बहुत करीब हैं, द ओवल में जीत उन्हें एक कप्तान के तौर पर अजीत वाडेकर, कपिल देव और विराट कोहली जैसों के बराबर ले आएगी। एक कप्तान के तौर पर, एक आम कप्तान से एक ख़ास कप्तान के तौर पर अपनी छवि को और बेहतर बनाने का मौका हर किसी को नहीं मिलता, रोहित शर्मा को मिल रहा है और वे इसे हाथ से निकलने नहीं देंगे। भारत का आईसीसी टाइटल का सूखा ख़त्म करने का श्रेय, क्या मालूम उनके नाम पर आने के लिए ही, इंतजार इतना लंबा खिंच गया हो?
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रोहित शर्मा को विश्वास है कि वह भारत के लिए मैच जीत सकते हैं। वह भारत के लिए क्रिकेट खेलने और जीतने के अपने सपने को पूरा कर रहे हैं। डब्ल्यूटीसी फाइनल इस सोच का ही हिस्सा है। ओवल टेस्ट उनके करियर का 50वां टेस्ट होगा. अब तक 49 टेस्ट में 3379 रन जिसमें 9 सेंचुरी। रोहित शर्मा को जरूर ये भी याद होगा कि उन्होंने, भारत से बाहर, अपना पहला टेस्ट 100 और कहीं नहीं- इसी द ओवल ग्राउंड में बनाया था। उन 127 रन को बनाए अभी दो साल भी नहीं हुए।