गुजरात जायंट्स (Gujarat Titans) ने जैसे ही मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में, WPL 2023 के मैच नंबर 6 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) पर 11 रन की जीत दर्ज की तो सोशल मीडिया पर तो मानो तूफ़ान ही आ गया। टॉप क्रिकेटरों के बावजूद न उनकी पुरुष टीम एक बार भी चैंपियन बनी और न ही नीलाम में टॉप क्रिकेटर खरीदने के बावजूद उनकी महिला टीम इसके करीब पहुंचती दिखाई दे रही है। 6 मैच के बाद पॉइंट्स में चौथे नंबर पर लगातार तीन हार का सामना करने के बाद। स्मृति मंधाना की टीम इस डब्ल्यूपीएल में किसी फ्लॉप शो जैसी दिखाई दे रही है। आखिर क्या 5 सबसे बड़ी वजह हैं टीम की इस हालत की?
स्मृति बल्लेबाजी और कप्तानी दोनों में फेल : छोटी बाउंड्री का फायदा उठाकर जबकि दूसरी बल्लेबाज हिटर साबित हो रही हैं- स्मृति जैसी स्ट्रोक प्लेयर ने 3 पारी में सिर्फ 76 रन बनाए 11 चौके और 1 छक्के के साथ। बैट से उनके निराशाजनक प्रदर्शन को ट्रोलिंग में सबसे ज्यादा घसीटा गया। यहां तक कि आरसीबी की स्टार बल्लेबाज होने के बावजूद, वे गुजरात जायंट्स के विरुद्ध, डिवाइन को स्ट्राइक देती रहीं। इस का असर उनकी कप्तानी पर भी आ रहा है और भारत की अगली कप्तान बनने की दावेदार होने के बावजूद, उनके पास प्लान बी तो क्या प्लान ए भी नहीं था। ख़ास बात, ऑफ स्पिन के सामने उनकी कमजोरी को पकड़ लिया है।
तो किसे कप्तान बनाएं : जिस महंगी कीमत पर स्मृति को खरीदा था तो कप्तान उन्हें ही बनाना था पर सीजन के बीच में कप्तान बदलने की आवाज उठने लगी है। स्मृति की बॉडी लैंग्वेज बता रही है कि वे दबाव झेल नहीं पा रहीं। तो इस कमजोरी में कौन मददगार हो सकता है, ओपनर बल्लेबाज न्यूजीलैंड की सोफी डिवाइन जिसने गुजरात के विरुद्ध 45 गेंद में 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 66 रन की तूफानी पारी खेली। कुल 3 मैच में 96 रन और इन 3 मैच में 50 बनाने वाली आरसीबी की एकमात्र बल्लेबाज।
गेंदबाजी तो सबसे बड़ी चिंता है : तीनों में से हर मैच में हार के बाद, स्मृति की स्टेटमेंट में ये जरूर कहा गया कि अपनी गेंदबाजी में उम्मीद से 10-15 रन ज्यादा दिए। दो-तीन ओवर ऐसे थे जहां हमने काफी कुछ गंवाया। ख़ास बात ये है कि ये सिलसिला न स्मृति ने रोका और न टीम के थिंक टैंक ने मदद की।अच्छा आउटफील्ड और छोटी बाउंड्री तो सब के साथ है। तीन मैचों में दो बार 200 से अधिक रन दिए, दिल्ली कैपिटल्स ने 223-2 और गुजरात ने 201-7 बनाए और मुंबई इंडियंस ने भी दुर्दशा में कोई कमी नहीं रखी और 14.2 ओवर में 159-1 बनाए। मेगन शुट्ट और श्रेयंका का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा जबकि रेणुका के फ्लॉप होने से कप्तान की निराशा और बढ़ गई।
ऋचा घोष पर भरोसा सही नहीं बैठा : बड़े नाजुक मौके पर ऋचा घोष का बैट चल नहीं रहा- 3 मैच में 40 रन और स्ट्राइक रेट सिर्फ 100 का। टीम ने तो उम्मीद की थी कि वे अपनी बैटिंग से ‘आग’ लगा देंगी।
बल्लेबाजी क्रम समझ से बाहर है : टीम में कोई स्थिरता ही नहीं है। पहले दो मैच में शुट्ट ने अच्छा खेला और स्ट्राइक रेट भी सही था (नंबर 9 पर 30* रन 19 गेंद में और 20 रन 14 गेंद में) तो इसे और मैच की हालत देखकर उन्हें तीसरे मैच में ऊपर खेलने नहीं भेजा जैसे कि वे मैच जीतना ही नहीं चाहते थे। नाइट के ऊपर भेज दिया ऋचा घोष को। इसके बाद श्रेयंका ने प्रमोशन को बेकार कर दिया। ये साफ़ इशारा है कि कोई प्लान नहीं था और थिंक टेंक ने स्मृति की स्ट्रेटेजिक टाइम-आउट में भी कोई मदद नहीं की।