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कैरम बॉल कैसे फेंके?

क्रिकेट के कोचिंग मैन्युअल में कैरम बॉल का कहीं जिक्र नहीं मिलेगा. हालांकि, इस गेंद का इतिहास बड़ा पुराना है। समय समय पर इक्का-दुक्का गेंदबाज़ ने इसे फेंका और उनके जाने के साथ इसे भूल गए। हाल के सालों में आर अश्विन और अजंता मेंडिस जैसे गेंदबाज़ों की वजह से ये गेंद चर्चा में आई है और नए स्पिनर इसे सीख रहे हैं। भारत के कई हिस्सों में इसे सोडुक्कू बॉल भी कहते हैं।

ये नाम कहां से मिला? असल में जिस तरह कैरम खेलने वाला कैरम बोर्ड पर डिस्क को फ्लिक करता है, यहां गेंद को उंगलियों से मनचाही दिशा में टर्न दिया, इसी से ये नाम मिला। गेंद पर पकड़ की डिग्री के आधार पर, कैरम गेंद लेग साइड, सीधे या ऑफ साइड की ओर मुड़ सकती है।

कैरम बॉल से सही नतीजा पाने के लिए एक अनूठी तकनीक की जरूरत होती है। इस डिलीवरी की यूएसपी पूरी तरह से गेंदबाज़ का कंट्रोल है, मनचाहे टर्न से बल्लेबाजों को चक्कर में डाल सकते हैं जो आखिर तक तय नहीं कर पाता कि कैसा स्ट्रोक खेले क्योंकि क्योंकि हाथ देखकर अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो जाता है कि कैसी गेंद आने वाली है।

कैरम बॉल कैसे फेंके?

ग्रिप: गेंद को अंगूठे, तर्जनी (इंडेक्स फिंगर)और मध्यमा उंगली (मिडिल फिंगर) के बीच रखा जाता है- पारंपरिक रिलीज के बजाय, गेंद को दबाकर (जैसे कुछ निचोड़ रहे हों) उंगलियों से कैरम बोर्ड पर डिस्क को फ्लिक करने वाले कैरम प्लेयर की तरह फ़्लिक किया जाता है। यह रिस्ट-बॉल से अलग है।

गेंद की दिशा: जब बीच की उँगली लेग साइड की ओर रखें तो गेंद लेग से ऑफ की ओर घूमती है; जब बीच की उंगली ऑफ साइड की तरफ रखें तो गेंद ऑफ से लेग की ओर घूमती है। गेंद पर लेग साइड की ओर ग्रिप की डिग्री के आधार पर कैरम बॉल सीधी भी जा सकती है। इसलिए ये धारणा गलत है कि कैरम बॉल सिर्फ ऑफ साइड की ओर घूमती है।

कैरम बॉल फेंकने के माहिर गेंदबाज़

इस डिलीवरी को इस्तेमाल करने वाले पहले गेंदबाज विक्टोरिया के ऑस्ट्रेलियाई जैक इवरसन थे, जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपने पूरे टेस्ट क्रिकेट करियर में इसका इस्तेमाल किया था- तब इसे “कैरम बॉल” नाम नहीं दिया था।

उनके देश के जॉन ग्लीसन ने लगभग एक दशक बाद इसी इसी ग्रिप का इस्तेमाल किया लेकिन 1970 के दशक के आखिर तक इस तकनीक को लगभग भुला दिया गया।

श्रीलंका के अजंता मेंडिस ने कैरम बॉल को नए नाम से क्रिकेट में चर्चा दिलाई। मेंडिस ने 2008 के एशिया कप के दौरान इस डिलीवरी को दिखाया।

रविचंद्रन अश्विन ने इसे ‘सोडुक्कू बॉल’ कह दिया- तमिल भाषा में सोडुक्कू का मतलब है “उंगलियों का फड़कना”। अश्विन ने इसे चेन्नई में स्ट्रीट क्रिकेट खेलते हुए सीखा। उन्होंने नवंबर 2011 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध अपने डेब्यू टेस्ट में 9 विकेट लिए और दूसरी पारी में मार्लन सैमुअल्स को आउट करने के लिए कैरम बॉल का इस्तेमाल किया।

माना जाता है कि न्यूजीलैंड के मिचेल सेंटनर पहले खब्बू स्पिन गेंदबाज हैं, जिन्होंने 16 जनवरी 2018 को वन डे इंटरनेशनल में कैरम बॉल से पाकिस्तान के ओपनर फखर जमान को आउट करते हुए, इंटरनेशनल क्रिकेट में इसका इस्तेमाल किया।

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