मीनल गावस्कर (Meenal Gavaskar) यानि कि सुनील गावस्कर (Sunil Gavavaskar) की मां का 95 साल की उम्र में निधन हो गया. सुनील तब कमेंट्री ड्यूटी पर थे बांग्लादेश में। ये ठीक है कि क्रिकेट में इंग्लैंड के मशहूर ग्रेस भाइयों या पाकिस्तान के मशहूर मोहम्मद भाइयों की मां की तरह से मशहूर तो नहीं थीं वे, पर न सिर्फ अपने इकलौते बेटे सुनील को क्रिकेटर बनाने में उनका योगदान था, साथ ही साथ उन्होंने सुनील की पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दिया। यहां तक कि कुछ मौकों पर, तो सुनील को पढ़ाई की कीमत पर क्रिकेट नहीं खेलने दिया।
अपनी सबसे चर्चित किताब ‘सनी डेज़’ में खुद सुनील गावस्कर ने ये जिक्र किया है कि जब वे बैट पकड़ना सीख रहे थे, तो सबसे पहले घर में ही खेलना शुरू किया। उनके लिए पहली गेंदबाज और कोई नहीं, उनकी मां थीं, जो टेनिस गेंद से क्रिकेट खिलाती थीं।
एक किस्सा ये है कि एक बार सुनील के एक शॉट से गेंद सीधे उनकी मां के नाक में लगा। खून बह निकला और सुनील डर गए पिटाई का सोच कर। दूसरी तरफ, मां ने सुनील को कुछ भी नहीं कहा। खून साफ़ किया, दवा लगाई और फिर से क्रिकेट प्रैक्टिस शुरू कर दी। सुनील गावस्कर बहुत छोटे थे और डरे हुए थे, जबकि मां क्रिकेट की शौकीन थीं और अपने बेटे को एक अच्छा क्रिकेटर बनने के लिए प्रेरित करने के लिए उत्सुक थीं, इसीलिए छोटी सी चोट से टूटने नहीं दिया सुनील को।
ख़ास बात ये कि पढ़ाई पर असर नहीं आने दिया। सुनील के बचपन के दोस्त और बाद में मुंबई टीम में साथ-साथ खेले मिलिंद रेगे उनके पड़ोस में ही रहते थे। मीनल न सिर्फ सुनील, मिलिंद को भी पकड़ कर साथ में बैठा देती थीं पढ़ने के लिए। इस मामले में वे बड़ी सख्त थीं।
मिलिंद ने एक इंटरव्यू में बताया कि इस चक्कर में वे दोनों कई बार प्रैक्टिस के लिए भी नहीं जा पाए। वे तो कहते हैं कि इसी वजह से 1967 में इंडियन स्कूल टीम के साथ इंग्लैंड टूर पर भी नहीं जा पाए, हालांकि मिलिंद को तो टूर टीम का कप्तान बनाने की बात चल रही थी। अब मिलिंद कहते हैं कि सुनील की मां की ये सख्ती दोनों के बड़े काम आई और क्रिकेट से बाहर दोनों दोस्त, जिस मुकाम पर पहुंचे, उसमें ये पढ़ाई बड़े काम आई।
1970-71 रणजी सीजन में सुनील मुंबई टीम में रिजर्व खिलाड़ियों में थे, जब गुजरात के विरुद्ध रणजी ट्रॉफी मैच था, तो मैच से पहले टीम में उनका नाम नहीं था, इसीलिए वे बिना किट, मैच की सुबह सीसीआई पहुंच गए। वहां पता चला कि वे खेल रहे हैं तो मां ने ही, भागकर उनकी किट को स्टेडियम समय पर पहुंचाया था और वे मैच खेल सके।
यह भी पढ़ें – सुनील गावस्कर पर टूटा दुखों का पहाड़, परिवार के अहम सदस्य का हुआ देहांत
मीनल गावस्कर का एक परिचय और भी है, वे भारत के टेस्ट क्रिकेटर माधव मंत्री की बहन थीं। क्रिकेट का माहौल इस तरह, उनके लिए कोई नया नहीं था। सुनील तो क्रिकेट खेलना उनकी मदद से सीखे, इसीलिए एक बार ये स्वीकार किया था कि जब उनका बेटा बल्लेबाजी कर रहा होता था, तो वह खाना नहीं खा पाती थीं। यह बात उन्होंने अपनी मराठी में लिखी किताब ‘पुत्र वावा ऐसा (ऐसा बेटा होना चाहिए)’ में बताई। मीनल के परिवार में सुनील गावस्कर और उनकी बेटियां नूतन और कविता के साथ पोते और परपोते हैं।
वीडियो – IPL को लेकर BCCI को लगा तगड़ा झटका
73