बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (Border Gavaskar Trophy 2023) का अहमदाबाद टेस्ट। तीसरे दिन, पीठ दर्द की शिकायत के बाद, टीम इंडिया (Team India) के बल्लेबाज श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer) को स्कैन के लिए ले गए। यूं लगेगा कि इस खबर में हैरान कर देने वाली बात क्या है- चोट तो किसी भी खिलाड़ी को लग सकती है। गड़बड़ ये कि जो खिलाड़ी, इसी तकलीफ के लिए, बंगलौर में नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) में रिहेबिलिटेशन के बाद अभी हाल ही में तो टेस्ट टीम में वापस लौटा- वह फिर से चोटिल! दो महीने में यह दूसरी बार अय्यर को पीठ की तकलीफ। क्या ये किसी खिलाड़ी को जल्दबाजी में, उसकी फिटनेस की सही जांच के बिना, उसे टेस्ट टीम में लाने का एक और किस्सा है? अभी जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) को इसी जल्दबाजी में टेस्ट टीम में वापस लाने का किस्सा तो संभल नहीं रहा कि उसी लिस्ट में श्रेयस अय्यर का नाम भी जुड़ गया?
ज़रा टाइम लाइन नोट कीजिए। श्रेयस अय्यर को न्यूजीलैंड वनडे सीरीज के दौरान तकलीफ हुई थी और उसके अब, इस टेस्ट सीरीज में इंटरनेशनल क्रिकेट में लौटे रिहेबिलिटेशन के बाद। सेलेक्टर्स ने उन्हें बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले 2 टेस्ट की टीम में लिया था पर उन्हें बैंगलोर से फिटनेस पर क्लीन चिट नहीं मिली और इसका फायदा मिल गया सूर्यकुमार यादव को और नागपुर में डेब्यू किया।
ये जानते हुए भी कि श्रेयस की पीठ की तकलीफ कोई नई नहीं, चीफ कोच राहुल द्रविड़ की ये स्टेटमेंट रिकॉर्ड में है कि फिट होते ही श्रेयस आखिरी इलेवन में खेलने के हकदार होंगे। एक कोच का, अपने किसी खिलाड़ी की टेलेंट पर भरोसा गलत नहीं पर यहां तो मामला चोट से फिट होने के बाद टीम में लौटने का था। द्रविड़ की दलील ये थी कि अय्यर, स्पिन के सामने खिलाफ भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं और उनकी वजह से ही भारत, 2022 में बांग्लादेश टेस्ट सीरीज में हार से बचा था।
श्रेयस खुद स्टेटमेंट देते रहे कि वे फिट हैं और जिम से अपनी वीडियो भी सोशल मीडिया पर अपलोड की लेकिन टेस्ट टीम में वापसी कोई मजाक नहीं। आखिर में दिल्ली टेस्ट के लिए फिट घोषित किए गए बिलकुल आख़िरी मुकाम पर और सीधे टेस्ट टीम में शामिल। नतीजा- दिल्ली में 4 और 12 रन तथा इंदौर में 0 और 26 रन।
कितनी सस्ती हो गई है टेस्ट टीम में जगह- चोट से लौटो और सीधे टेस्ट टीम में। क्या, खुद राहुल द्रविड़ जब खेलते थे, वे ऐसा करते? रोजर बिन्नी ने भी बोर्ड चीफ बनने के बाद साफ़ कहा था कि रिहेबिलिटेशन से लौट रहे खिलाड़ी को पहले घरेलू क्रिकेट का मैच खेलना होगा ताकि टीम मैनेजमेंट को उनकी फिटनेस का संकेत मिल सके। ये पॉलिसी रवींद्र जडेजा पर तो लागू कर दी- श्रेयस पर नहीं। जल्दबाजी में टीम में लौटने पर खिलाड़ी वास्तव में अपना जितना नुकसान करता है- टीम का उससे ज्यादा। अपना योगदान 0 हो जाता है और दूसरी तरफ उनकी जगह टीम में खेलने का हकदार कोई और खिलाड़ी बैंच पर बैठा रह जाता है। टीम का खेल जो बिगड़ता है वह अलग।
श्रेयस अय्यर को सीधे टेस्ट खिलाकर, उनकी फिटनेस का जायजा लिए बिना, सरफराज जैसे युवा क्रिकेटर को मौका नहीं दिया तो इससे नुकसान किसका हुआ- सबसे ज्यादा टीम का, भारतीय क्रिकेट का। कहीं न कहीं, खिलाड़ी खुद भी अपनी फिटनेस की सही जानकारी छिपाता है- इससे शार्ट टर्म फायदा होता है, लांग टर्म नुकसान।
उस पर इस चर्चा में आईपीएल फेक्टर भी जुड़ जाता है। अब श्रेयस अय्यर के बारे में भी तो यही कह रहे हैं- वे फिट हो कर आईपीएल खेलने लौट आएंगे। अब ऐसे किस्से बढ़ रहे हैं तो क्यों न बीसीसीआई, श्रेयस अय्यर के साथ एक मिसाल सामने लाए और जो इंटरनेशनल मैचों में फिटनेस की गलत खबर दें, टीम का नुकसान करें पर आईपीएल के लिए फिट हो जाएं तो उन्हें टीम इंडिया से ‘ब्लॉक’ कर देना चाहिए- कम से कम एक साल घरेलू क्रिकेट में पसीना बहाओ और तब टीम इंडिया में खेलने के हकदार में से एक बनो।
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बैंगलोर