IPL 2023, DC vs PBKS: दिल्ली ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी

दिल्ली के पास स्टार खिलाड़ियों से सजी टीम है। दिग्गज बल्लेबाज और गेंदबाज हैं। कोच, मेंटॉर के रूप में रिकी पोंटिंग, शेन वॉटसन, सौरव गांगुली और प्रवीण आमरे जैसे पूर्व खिलाड़ी हैं। कोचिंग स्टाफ में इतने बड़े नामों के होने के बावजूद दिल्ली प्लेऑफ की दौड़ में सबसे फिसड्डी साबित हो रही है। उसने अपने लगातार 5 मैच हारे हैं और पिछले दो मैचों से जीत की पटरी पर वापसी की है। कमजोर रणनीति, दूरदर्शिता की कमी और असंतुलित चयन के कारण टीम अंक तालिका में बॉटम पर है। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ।

स्टार खिलाड़ियों ने नहीं दिया दिल्ली का साथ

दिल्ली कैपिटल्स के नियमित कप्तान ऋषभ पंत के दुर्घटना की वजह से आईपीएल से बाहर होने के कारण नए कप्तान डेविड वॉर्नर को टीम की कमान सौंपी गई। वह देसी और विदेशी स्टार खिलाड़ियों से सजी टीम के साथ कागज में मजबूत दिखे। उनके पास ऐसे स्टार खिलाड़ी मौजूद हैं, जो टीम को ऊंचाइयों पर ले जाते पर उनके खराब प्रदर्शन के चलते टीम आज ऊपर से नहीं बल्कि नीचे से टॉप कर रही है। पहले ही मुकाबले में लखनऊ के हाथों बुरी तरह पराजय झेलकर एक के बाद एक गुजरात टाइटंस , राजस्थान रॉयल्स, मुंबई इंडियन से मैच हार गए। यही नहीं, आरसीबी के खिलाफ दिल्ली 175 रन बनाने में भी नाकाम रही। इसने टीम के हौसले चकनाचूर कर दिए। भले ही अब कोलकाता नाइटराइडर्स और सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ जीतकर दिल्ली ने 4 अंक हासिल कर लिए हों, लेकिन ये सीजन उनके लिए सही दिशा में नहीं गया। स्टार खिलाड़ियों को ज्यादा खरीदने की वजह से टीम के चयन में भी कंफ्यूजन दिखा। यही वजह है कि मनीष पांडे और इशांत शर्मा जैसे महत्वपूर्ण खिलाड़ियों को पिछले मैचों में शामिल किया गया।

बल्लेबाजों की नाकामी ने पहुंचाया नुकसान

डीसी के पास बल्लेबाजी में टॉप से लेकर मजबूत मिडिल ऑर्डर और लोअर ऑर्डर भी है, लेकिन टीम को इसका कोई खास फायदा नहीं मिला। बल्लेबाजी में दिल्ली की टीम शुरुआती मैचों में पूरी तरह असफल नजर आई। एम चिन्नास्वामी के छोटे से मैदान में आरसीबी के खिलाफ टीम शुरुआती 6 ओवरों में महज 38 रन बना सकी और अपने 4 विकेट भी गंवाए। इस सीजन के शुरुआती 6 मैचों में दिल्ली का पावरप्ले में रन रेट 13 विकेट खोकर 7.80 रहा। डेविड वॉर्नर और अक्षर पटेल को भले छोड़ भी दिया जाए तो को भी सलामी से लेकर मध्यक्रम का बल्लेबाज ज्यादा क्रीज पर वक्त नहीं बिता पाया। वॉर्नर की बात करें तो वो भी उतने आक्रामक रूप में नजर नहीं आए। टीमें जहां 180 और 200 का स्कोर कर रही हैं, वहीं, दिल्ली का मुंबई इंडियंस के खिलाफ सिर्फ अब तक का सर्वाधिक 172 रनों का स्कोर रहा है। सलामी से मध्यक्रम तक की पोजीशन पर पृथ्वी शाह 6 मैच में 47 रन, मिशेल मार्श 5 मैच में 31 रन बना पाए और 3 विकेट ले पाए। मनीष पांडे 5 मैच में 121 रन और रोवमेन पॉवेल 3 मैच में 7 रन ही बना सके। रोवमेन और पृथ्वी को अब खराब प्रदर्शन के चलते बाहर भी किया गया है।

डेविड वॉर्नर की खराब कप्तानी

भले ही डेविड वॉर्नर का स्ट्राइक रेट दिल्ली कैपिटल्स में सबसे ज्यादा रहा हो लेकिन उनकी कप्तानी के कुछ फैसलों पर आलोचना तो बनती है। मुकेश कुमार जब प्रभावशाली गेंदबाजी नहीं कर पा रहे थे तो ईशांत शर्मा, कमलेश नागरकोटी, लुंगी एनगिडी और चेतन सकारिया जैसे कुछ अनुभवी गेंदबाजों का चयन ना करना एक हैरानी भरा कदम था। खराब तेज गेंदबाजी के साथ उनके स्पिन गेंदबाज अन्य टीमों के फिरकी गेंदबाजों की अपेक्षा बेहतर हो सकते थे। अक्षर पटेल और कुलदीप यादव का ज्यादा प्रभावी रूप से उपयोग किया जा सकता था पर ऐसा नहीं हुआ। कुलदीप की मिस्ट्री गेंदबाजी का असर गायब दिखा। वह 7 मैचों में 7 विकेट ही ले पाए। हालांकि, आखिरी के तीन मैचों में उनकी गेंदबाजी में थोड़ी धार दिखी है।

हरफनमौला खिलाड़ियों की कमी

सीमित ओवरों के क्रिकेट में किसी अन्य प्रारूप की तुलना में ज्यादा हरफनमौला खिलाड़ियों की जरूरत पड़ती है। इस सीजन में दिल्ली की टीम में तीन ऑलराउंडर हैं, जो मिशेल मार्श, अक्षर पटेल और ललित यादव के रूप में हैं। अगर कोई टीम ऑलराउंडर खिलाड़ियों से भरी है तो उनके मैच जीतने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। इसी तरह ही अंतरराष्ट्रीय टीमों ने वर्ल्ड कप अपने नाम किए और आईपीएल की फ्रेंचाइजी टीमों ने खिताब जीते हैं। इस बार के शुरुआती खराब प्रदर्शन के सिलसिले से सबक लेकर दिल्ली कैपिटल्स को अगले सीजन के लिए अभी से योजनाएं बनानी शुरू कर देनी चाहिए। साथ ही नए खिलाड़ियों को खुद को अभिव्यक्त करने और अपनी योग्यता साबित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा मौके देने चाहिए।

नए इम्पैक्ट प्लेयर नियम का फायदा ना उठा पाना

आईपीएल के 16वें संस्करण में पेश किए गए इम्पैक्ट प्लेयर नियम ने कई टीमों की बहुत मदद की है। उन्होंने जहां लक्ष्य हासिल करते समय बल्लेबाजी कर उसको नए नियम से और भी उपयोगी बनाया है। वहीं, कुछ ने एक अतिरिक्त गेंदबाज का उपयोग करते हुए हारता हुआ मैच भी बचाया है। हालांकि, इन सबके इतर दिल्ली कैपिटल्स की टीम बेहतर रणनीति के साथ अतिरिक्त गेंदबाज या बल्लेबाज का चुनाव करने में असफल साबित हुई। उन्होंने शुरुआती 6 मैचों में जबरदस्ती पृथ्वी शॉ के प्रभाव के दम पर उनको ढोया और वो महज 6 पारियों में 47 रन ही बना सके। वह तेज गेंदबाजों और स्पिनरों दोनों के खिलाफ कमजोर नजर आए। दिल्ली को सलामी बल्लेबाज के रूप में अन्य विकल्प भी तलाशने चाहिए थे। उन्हें मिशेल मार्श को ऊपर लाना चाहिए था क्योंकि वो भारत के खिलाफ बेहतरीन वनडे सीरीज में अपने प्रदर्शन के दम पर आईपीएल में आए थे। उन्होंने सीरीज के तीन मैचों में 97 के औसत से 194 रन बनाते हुए 131.08 का स्ट्राइक रेट बनाए रखा था। ऐसी कोई वजह नहीं थी कि डेविड वॉर्नर के साथ बल्लेबाजी के लिए मार्श को ऊपर नहीं लाया जा सकता या वे सरफराज खान को ओपनिंग बल्लेबाज के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते थे। 6 मैचों में असफल होने के बाद उन्होंने शॉ को टीम से बाहर किया और फिल साल्ट को जगह दी, लेकिन वो भी दो मैच में असफल ही साबित हुए।