rohit kohli bumrah
रिकॉर्ड प्रदर्शन का सिलसिला आखिर तक जारी रहा और अब वक्त है टीम ऑफ द वर्ल्ड कप 2023 बनाने का।

तो वर्ल्ड कप खत्म हो गया कुल 48 मैच और इसमें कई सपने साकार हुए तो कई टूटे भी। खिलाड़ी के अपने प्रदर्शन की बात करें तो जरूरी नहीं कि हर अच्छे प्रदर्शन ने टीम को भी कामयाब बनाया हो क्योंकि आखिर में तो एक ही टीम को वर्ल्ड कप जीतना था। रिकॉर्ड प्रदर्शन का सिलसिला आखिर तक जारी रहा और अब वक्त है टीम ऑफ द वर्ल्ड कप 2023 बनाने का।

क्विंटन डी कॉक (दक्षिण अफ्रीका) : भले ही टीम का सफर सेमीफाइनल में रुका पर वे शुरू से रन चार्ट में टॉप में से एक रहे- 10 मैच में 594 रन 107+ स्ट्राइक रेट और 4 शतक- सिर्फ विराट कोहली और रोहित शर्मा ने इससे ज्यादा रन बनाए। निराशा ये है कि ऐसे रिकॉर्ड के साथ खेला खिलाड़ी अब कभी वनडे नहीं खेलेगा।

रोहित शर्मा (भारत) : रोहित शर्मा न सिर्फ ओपनर, कप्तान भी और टीम इंडिया को इस वर्ल्ड कप में सबसे आकर्षक टीम बनाने में उनका ख़ास योगदान रहा- 11 मैच में 597 रन 125+ स्ट्राइक रेट से- इसी स्ट्राइक रेट के दम पर वे टीम इंडिया को जो शुरुआत देते रहे, उसी से मिडिल आर्डर खुल कर खेला। आगे के बल्लेबाजों का काम आसान हो गया। चैंपियन नहीं बने तो क्या हुआ- लगातार 10 मैच जीतने के टीम इंडिया के रिकॉर्ड की बदौलत कप्तान भी वही होंगे।

विराट कोहली (भारत) : ये तो उन्हें चाहने वालों ने भी नहीं सोचा था कि अपने चौथे वर्ल्ड कप में खेलते हुए वे 700+ रन बना देंगे। स्ट्राइक रेट पर भले ही आलोचना भी हुई पर वे मजबूती से एंकर बने तो बाकी खुलकर स्ट्रोक खेल पाए- 11 मैच में 765 रन जबकि और किसी ने तो 600 रन भी नहीं बनाए। स्ट्राइक रेट 90+ और 500 रन बनाने वालों में से अकेले जिनका स्ट्राइक रेट 100 भी नहीं। दो वर्ल्ड कप विनर का मेडल जीतने का सपना पूरा नहीं हुआ पर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट।

रचिन रवींद्र (न्यूजीलैंड) : वर्ल्ड कप डेब्यू पर सबसे कामयाब क्रिकेटर में से एक- 10 मैच में 578 रन और 5 विकेट भी लिए। एक वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 100 लगाने वाले कीवी बल्लेबाज और टीम को, जब विलियमसन नहीं खेल रहे थे तो बल्लेबाजी में उनकी कमी महसूस नहीं होने दी।

डेरिल मिचेल (न्यूजीलैंड) : इस वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के कामयाब गेंदबाजी अटैक पर 2 शतक और वह भी अपने डेब्यू वर्ल्ड कप में। रॉस टेलर ने जो भूमिका न्यूजीलैंड के लिए निभाई- मिशेल ने वही सिलसिला जारी रखा। 9 पारी में 552 रन 69 औसत और 111+ स्ट्राइक रेट से और मिडिल ऑर्डर संभालने के माहिर।

ट्रेविस हेड (ऑस्ट्रेलिया) : इस वर्ल्ड कप से, वर्ल्ड कप में डेब्यू करने वाले दो खिलाड़ी एक जगह के दावेदार हैं और जब सेट हैं तो दोनों आउट करने में बड़े मुश्किल रहे। अफगानिस्तान के नए ऑलराउंडर अजमतुल्लाह उमरजई में युवा स्टोक्स के कई गुण देख रहे हैं जानकार पर उन्हें फाइनल में टक्कर दी ट्रेविस हेड ने और क्या गजब का टेम्परामेंट दिखाया- 6 पारी में 329 रन 54+ औसत और 127+ स्ट्राइक रेट से और 2 विकेट भी लिए। फाइनल की बदौलत ही हेड टीम में आ गए।

ग्लेन मैक्सवेल (ऑस्ट्रेलिया) : मैक्सवेल ने इस वर्ल्ड कप के दौरान वह बल्लेबाजी की जिसे वनडे की आज तक की नंबर 1 इनिंग गिन रहे हैं। इसी बदौलत वे पूरी तरह फिट नहीं पर टीम में जगह के हकदार। ये 201* रिकॉर्ड में सबसे ख़ास रहे। कुल रिकॉर्ड – 9 मैच में 398 रन (स्ट्राइक रेट 150+) जिसमें 40 चौके और 22 छक्के और साथ में 50 से ज्यादा ओवर फेंक कर 6 विकेट भी लिए हैं।

दिलशान मदुशंका (श्रीलंका) : टीम में दिलशान मदुशंका की जगह है खब्बू तेज गेंदबाज के तौर पर और विकेट चार्ट में उनके नाम 21 विकेट। उनकी टीम नाकामयाब रही- वे नहीं और इकॉनमी रेट 7 से कम जिसमें दो बार 4+ विकेट और विकेट चार्ट में नंबर 3 पर- सिर्फ मोहम्मद शमी और एडम ज़म्पा ने ज्यादा विकेट लिए

एडम जम्पा (ऑस्ट्रेलिया) : लेग ब्रेक गुगली गेंदबाज जम्पा 23 विकेट के साथ विकेट चार्ट में नंबर 2 हैं और ऑस्ट्रेलिया के कामयाब रिकॉर्ड के लिए बहुत कुछ जिम्मेदार रहे। शुरू में ऑस्ट्रेलिया के डगमगाते वर्ल्ड कप सफर को संभालने में जम्पा का ख़ास योगदान रहा।

मोहम्मद शमी (भारत) : वर्ल्ड कप शुरू होने के बाद प्लेइंग इलेवन में आए और उसके बाद तो शमी ने कमाल ही कर दिया। मौजूदा अटैक को भारत के वर्ल्ड कप में सबसे बेहतर अटैक में बदल दिया- सिर्फ 7 मैच और 24 विकेट तथा इकॉनमी रेट 6 से भी कम।

जसप्रीत बुमरा (भारत) : बुमराह हालांकि 20 विकेट के साथ, विकेट चार्ट में टॉप 3 में भी नहीं पर इस वर्ल्ड कप में सबसे असरदार गेंदबाज में से एक और हर नाजुक मौके पर विकेट निकाला- 11 मैच में 20 विकेट और इकॉनमी रेट 4 के आस-पास का। कम से कम 15 विकेट लेने वालों में उनसे कम इकॉनमी रेट किसी का नहीं है।

इस तरह इन 11 के साथ टीम बन गई। फाइनल में खेली दोनों टीम का दबदबा है।