pak vs nep 2023
रिकॉर्ड यही बताएगा कि एशिया कप में जब 4 सितंबर को भारत ने पल्लेकेले में नेपाल के विरुद्ध मैच खेला तो उन्हें 10 विकेट से मात दी।

रिकॉर्ड यही बताएगा कि एशिया कप में जब 4 सितंबर को भारत ने पल्लेकेले में नेपाल के विरुद्ध मैच खेला तो उन्हें 10 विकेट से मात दी। वास्तव में इस मैच की सबसे बड़ी खबर ये नतीजा नहीं- ये है कि नेपाल ने पहले बैटिंग करते हुए, भारत के टॉप गेंदबाजों के सामने 48 से ज्यादा ओवर खेले और 230 का स्कोर बनाया। नेपाल के क्रिकेट प्रेमियों के लिए आसिफ शेख का फिफ्टी (58), पावरप्ले में कुशल भुर्टेल (25 गेंद में 38) का स्ट्रोकप्ले और स्लॉग ओवरों में सोमपाल कामी (48- 1 चौक्का और 2 छक्के) की बैटिंग किसी उपलब्धि से कम नहीं थे। जब आसिफ ने अपना फिफ्टी पूरा किया, तो स्टैंड्स में बैठे नेपाली प्रशंसक झूम रहे थे और स्टेडियम में नेपाली गाने सुनाई दे रहे थे।

ये तो एशिया कप शुरू होने से पहले ही नेपाल टीम जानती है कि वे एशिया कप जीने नहीं आए- वे तो ये साबित करने आए हैं कि एशिया में क्रिकेट की बात करते हुए उनके नाम का जिक्र भी जरूरी है। नेपाल में क्रिकेट के लिए अपनी पहचान बनाना किसी हिमालय जैसी ऊंचाई से कम नहीं है पर खेलने और देखने वाले दोनों, सुविधाओं की कमी और साल के ज्यादातर हिस्से में बेहद खराब मौसम के बावजूद, टीम स्पिरिट और क्रिकेट के लिए जुनून की बदौलत क्रिकेट को ऐसे मुकाम पर ले आए हैं कि आज वहां युवा वर्ग सिर्फ कुली बनने या काम की तलाश में अपने देश से बाहर निकल जाने के बारे में नहीं सोच रहा।

क्रिकेट आज वहां ऐसे मुकाम पर है जहां से उसे उत्साहित किए जाने की जरूरत है- उन्हें क्रिकेट के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर में मदद की जरूरत है। ये आईसीसी का काम है- ये कह कर इस मुद्दे को टाल नहीं सकते। सबसे पहले ये एशिया के तीनों बड़े क्रिकेट देशों भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की जिम्मेदारी है कि वे नेपाल की इस क्रिकेट सफर में मदद करें- ख़ास तौर पर भारत की। आज भारत में क्रिकेट जिस मुकाम पर है और भारत में जो क्रिकेट टेलेंट मौजूद है- हमेशा ऐसा नहीं था। एक टेस्ट में जीत, अखबार के पहले पेज की खबर बनती थी- आज नेपाल टीम का एक मैच जीतना या मैच में अच्छा प्रदर्शन वैसी ही खबर बनता है। अब ये एशिया के बड़े क्रिकेट देशों को सोचना है कि वे नेपाल को क्रिकेट में ‘एक और कीनिया’ की तरह देखते हैं या वास्तव में, क्रिकेट में उन्हें अपनी पहचान बनाने के सफर में आगे बढ़ते देखना चाहते हैं।

बाकी का काम तो खुद नेपाल क्रिकेट और क्रिकेटरों को करना है। आज जैसे इतिहास भूलकर रांची शहर का परिचय एमएस धोनी के शहर के तौर पर दिया जाता है- वैसे ही टूर गाइड, इन दिनों लुंबिनी को सिर्फ गौतम बुद्ध की जन्मस्थली नहीं बताते- क्रिकेट कप्तान कुशल भुर्टेल का शहर भी बताते हैं। वे एमबीए हैं और युवा वर्ग के लिए प्रेरणा। जली मां को हॉस्पिटल में छोड़कर नामीबिया के विरुद्ध मैच में जीत के लिए 286 रन की चुनौती के सामने भुर्टेल ने 113 गेंद में जो 115 रन बनाकर जीत दिलाई- उसकी कहानी नेपाल में कोई भी सुना देगा।

मदद सब तरफ से मिल रही है। युवा क्रिकेट खिलाड़ियों को देश से जाने से रोकने के लिए सिर्फ क्रिकेट टेलेंट पर नेपाल आर्मी और पुलिस नौकरी दे रहे हैं। क्रिकेट को चाहने वाले अपनी कमाई का नुक्सान कर मैच देखने आते हैं और तभी तो नेपाल ने वर्ल्ड कप क्वालीफायर खेलने और एशिया कप के लिए क्वालीफाई करने जैसा मौका हासिल किया। काठमांडू में त्रिभुवन यूनिवर्सिटी कॉम्प्लेक्स में क्रिकेट के लिए बुनियादी ढांचा जुटा लिया है और नेपाल टीम यहीं क्रिकेट मैच खेलती है। ज्यादातर खिलाड़ी नेपाल के पश्चिमी हिस्से से, साधारण बैकग्राउंड से हैं और क्रिकेट के लिए महीनों यहीं रहते हैं- परिवार से दूर। इसी यूनिवर्सिटी ग्राउंड में हजारों की भीड़ के सामने वर्ल्ड कप सुपर लीग 2 में 31 दिनों में, 12 मैच में नेपाल ने अपना वनडे इंटरनेशनल खेलने का दर्जा बचाया और आईसीसी के क्रिकेट में बड़े एसोसिएट सदस्यों नामीबिया, स्कॉटलैंड, पापुआ न्यू गिनी और यूएई को भी हराया।

नेपाल को 2018 में वनडे दर्जा मिला था और वे उसे खोने की कगार पर थे। टूर्नामेंट की पॉइंट्स तालिका में सबसे नीचे से उठकर चीफ कोच देसाई की टीम ने ये कर दिखाया। ठीक है वर्ल्ड कप क्वालीफायर में उम्मीद के मुताबिक़ नहीं खेले पर वहां मुकाबला वेस्टइंडीज, जिम्बाब्वे, आयरलैंड और नीदरलैंड्स जैसी टीम से था। एक दिन वह भी संभव हो जाएगा बशर्ते इस मुकाम पर उनके क्रिकेटरों को लगातार बेहतर दर्जे की क्रिकेट खेलने का मौका मिले। यहां उन्हें बीसीसीआई से मदद की उम्मीद है- रणजी ट्रॉफी/दलीप ट्रॉफी में खेलने का मौका इसमें टॉनिक की तरह मदद कर सकता है। सही बुनियादी ढांचे के लिए, भारत में उन्हें क्रिकेट प्रेक्टिस की सुविधा मिले (जैसे अफ़ग़ानिस्तान के लिए किया) और शुरुआत के तौर पर राज्य में खेली जा रही टी20 लीग में खेलने का रास्ता खुले। बीसीसीआई को एक ‘गाइड’ के तौर पर वैसे ही मदद करनी होगी जैसे अन्य बड़े क्रिकेट देशों ने शुरू के सालों में भारत में क्रिकेट को मिली।