ravichandran ashwin
5 वजह आर अश्विन को उप कप्तान बनाने की 

भारत-ऑस्ट्रेलिया दिल्ली टेस्ट ख़त्म होने के कुछ ही घंटे के अंदर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2023 (Border Gavaskar trophy 2023) के तीसरे और चौथे टेस्ट के लिए टीम की घोषणा हो गई। सबसे ख़ास बात, सबसे चर्चित नाम के साथ जुड़ी है- केएल राहुल, जो अपने टेस्ट करियर में खराब दौर से गुजर रहे हैं, अभी भी टीम इंडिया (Team India) में हैं पर अब उप कप्तान नहीं। साथ में किसी और को उप कप्तान बनाया नहीं। इसी के साथ ये चर्चा फिर से शुरू हो गई कि अब एक ऑलराउंडर की तरह से खेल रहे आर अश्विन (Ravichandran Ashwin) को टेस्ट टीम में उप-कप्तान क्यों नहीं बनाते? क्यों बनाएं आर अश्विन को उप कप्तान? इसकी 5 ख़ास वजह है:

केएल राहुल हटा दिए गए: राहुल की नाकामी को टीम थिंक टैंक ने मान लिया और उन्हें टीम इंडिया के उप-कप्तान पद से बर्खास्त कर दिया। राहुल की जिन-जिन मुद्दों पर आलोचना हो रही है, सीधे उन्हीं को आर अश्विन पर लागू कर दें तो ये समझ में आ जाएगा कि पहले ही आर अश्विन इस जिम्मेदारी के हकदार थे और टीम को इस से फायदा ही होता। इस बीच और दूसरे नाम भी आजमाए गए (मसलन चेतेश्वर पुजारा बांग्लादेश में) पर सेलेक्टर्स का उनमें विश्वास न बना।

खिलाड़ी के तौर पर रिकॉर्ड: ये बहुत बड़ी गलतफहमी है कि बल्लेबाज ही ‘कैप्टेंसी मेटीरियल’ होते हैं- अगर ऐसी सोच है भी, तो भी आर अश्विन बहुत अच्छे बल्लेबाज हैं और टीम के लिए संकट में रन बनाने वाले बल्लेबाज। अभी कुछ ही दिन पहले मीरपुर टेस्ट में जीत वाले रन बनाए और 74-7 से, मैन ऑफ द मैच ट्रॉफी के साथ-साथ भारत को एक और टेस्ट सीरीज जीत दिलाई।

भारत के उन दो क्रिकेटर में से एक जिनके नाम टेस्ट में 3,000+ रन और 400+ विकेट (पहले : कपिल देव) और इस रिकॉर्ड में उनके प्रदर्शन का अंदाजा बड़ी आसानी से हो जाता है। वे टीम में गेंदबाज नहीं- ऐसे ऑलराउंडर हैं जो मैच विनर है। रवींद्र जडेजा से तुलना होती है तो नोट करें- उनसे ज्यादा 100 और विकेट भी। अश्विन ने संकट में रन बनाए- एससीजी, चेपॉक और मीरपुर तो ख़ास हैं। मीरपुर की जीत ने ही, भारत की विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल क्वालीफिकेशन की उम्मीद को बनाए रखा।

टेस्ट टीम में जगह पक्की: डॉन ब्रैडमैन की सेलेक्शन पॉलिसी थी कि पहले तो मैच के लिए 11 सबसे बेहतर खिलाड़ी चुनो और उसमें से कप्तान-उप कप्तान बनाओ यानि कि ये भी टीम में जगह के हकदार हों। इस पॉलिसी पर भी अश्विन टीम के लिए वैसे ही हैं जैसे विराट कोहली, जसप्रीत बुमराह, रोहित शर्मा, ऋषभ पंत या जडेजा। ठीक है- भारत से बाहर 11 में हर बार नहीं रहे पर उसकी वजह उनकी खराब फार्म नहीं, टीम की 4 तेज गेंदबाजों के साथ खेलने की चाह है। इसलिए टीम शीट पर उनका नाम शुरू से ही लिखा जाता है।

गलती को सुधारने का मौका: अब आर अश्विन को उप कप्तान बना कर गलती सुधारने का मौका मिल रहा है। सेलेक्टर्स का ध्यान भविष्य का नियमित टेस्ट कप्तान तैयार करने पर कतई नहीं है। ये बदलाव का दौर है और इसीलिए रोहित को कप्तान (फिटनेस से जूझने के बावजूद) और बुमराह को उप-कप्तान (इंजरी के बावजूद) बनाया और पंत एवं चेतेश्वर पुजारा तक होते हुए राहुल तक जा पहुंचे।

गजब का क्रिकेट ब्रेन: गड़बड़ ये हुई कि गजब का जो क्रिकेट ब्रेन आर अश्विन का प्लस पॉइंट था, उसी को उनकी कमी बताने की पब्लिसिटी हो गई। आर अश्विन न सिर्फ क्रिकेट लॉ जानते हैं- उनका सही इस्तेमाल भी जानते हैं। क्रिकेट को लॉ के दायरे में, पूरे मुकाबले के साथ खेलते हैं। स्पोर्ट्समैनशिप के नाम पर ऐसी कोई रियायत देने को तैयार नहीं जिससे दूसरी टीम को ‘गलत’ फायदा मिल जाए और सबसे ख़ास बात ये कि अपना नजरिया साफ़-साफ बताने से डरते नहीं। इन्हीं को उछाल कर उप-कप्तानी भी उनसे दूर रही है।

जब रोहित शर्मा को कप्तान बनाया, तब ही अश्विन टीम के सही उप-कप्तान रहते पर सेलेक्टर उनके ‘स्ट्रांग’ होने का गलत मतलब निकालते रहे। इतिहास बताता है कि सबसे सफल कप्तान को साथ में बेहतरीन उप कप्तान मिले और उनकी बेहतर सोच भी- इमरान खान के पास मुदस्सर नजर, क्लाइव लॉयड के पास एंडी रॉबर्ट्स और विव रिचर्ड्स, इयान चैपल के पास रॉड मार्श और नवाब पटौदी के पास चंदू बोर्डे थे। उप-कप्तान अश्विन, कप्तान को चलते खेल में बेहतर सोच और स्ट्रेटजी के मामले में बहुत मदद कर सकते थे। यहां तक कि जरूरत में भारत के पास एक कप्तान होगा जो इस भूमिका के लिए नया नहीं और पंत जैसे किसी युवा तक पहुंचने का रास्ता भी तैयार होगा।

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