आईपीएल आते ही, आईपीएल के जो पहलू सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं उनमें से एक है आईपीएल मैचों के दौरान कम, आकर्षक और रंग बिरंगे कपड़ों में नाचने वाली चीयरलीडर्स। यूरोपीय देशों में कई बास्केटबॉल, वोलीबॉल और बेसबॉल जैसे खेलों के टूर्नामेंट में दर्शकों के मनोरंजन के लिए चीयरलीडर्स के नाचने का सिलसिला सालों से चला आ रहा है। ललित मोदी ने आईपीएल की क्रिकेट को मनोरंजन और बिकने वाला प्रोडक्ट बनाने के लिए कई तमाशे जोड़े आईपीएल के साथ और चीयरलीडर्स का नाचना उनमें से एक है।
बल्लेबाज ने 4 या 6 का शॉट लगाया या गेंदबाज ने विकेट लिया तो कुछ निगाह गेंद की तरफ लगी रहती है, कुछ क्रिकेट प्रेमी बड़ी स्क्रीन पर रिप्ले देखते हैं तो ढेरों सीधे चीयरलीडर्स की तरफ देखते हैं – ये भी आईपीएल मैच का एक खास हिस्सा हैं। क्या आपने ध्यान दिया कि एक मैच के दौरान चीयरलीडर्स का इंतजाम कौन करता है? दोनों टीम मैनेजमेंट चीयरलीडर्स लाते हैं और इनके डांस मूवमेंट का भी मुकाबला चलता रहता है। आईपीएल शुरू होने से पहले जैसे टीम बनाने के लिए खिलाड़ी खरीदने का सिलसिला शुरू हो जाता है, वैसे ही चीयरलीडर्स जुटाने का काम शुरू हो जाता है।
इन चीयरलीडर्स में से ज्यादातर लड़कियां यूक्रेन, रशिया, लताविया, बेल्जियम और फ्रांस जैसे देशों से हैं और ये पेशेवर हैं – जरूरी नहीं कि इन्हें खेल की समझ हो। ट्रेनिंग देकर इन्हें हटा दिया जाता है कि कब-कब इन्हें नाचना है चौका लगा तो एकदम इनके नाचने का रिमोट बटन दब जाता है। कभी किसी फ्रेंचाइजी ने अधिकृत तौर पर ये नहीं बताया कि चीयरलीडर्स पर कितना पैसा खर्च किया या उन्हें भेजने वाली एजेंसी को कितनी फीस दी पर कई चीयरलीडर्स के इंटरव्यू से यह पता लगता है कि इन्हें पूरे खर्चे के अतिरिक्त प्रति मैच सिर्फ 15-20 हजार रूपये ही मिलते हैं।
चीयरलीडर्स ने आईपीएल में अगर मनोरंजन और मसाले का तड़का लगाया तो विवाद भी इनके हिस्से में आए। आईपीएल के पहले सीजन से यह विवाद चला आ रहा है कि यूं कम कपड़ों में लड़कियों का नाचना भारतीय समाज की सभ्यता और परंपराओं में फिट नहीं बैठता। जब इस मामले ने तूल पकड़ा और इन लड़कियों की तुलना मुंबई में डांस बार में नाचने वाली लड़कियों से की जाने लगी तो इन लड़कियों के कपड़े बढ़े और इनके डांस मूवमेंट ऐसे किए गए जो उत्तेजक न हों।
ये बात भी खूब चर्चा में रही कि सिर्फ विदेशी लड़कियां ही क्यों बुलाई जाती हैं चीयरलीडर्स बनाकर? शायद इसलिए कि उनके लिए ऐसा डांस महज काम है। शाहरूख खान ने एक बार कोशिश की थी भारतीय लड़कियां चुनने की और टेलीविजन पर डांस रियल्टी शो कर डाला जिसमें डांस गुरू शौमक डावर और सौरव गांगुली जज थे। ये शो फ्लॉप रहा। जब सहारा ग्रुप की पुणे टीम थी आईपीएल में तो उन्होंने भारतीय लड़कियां चीयरलीडर्स बनाईं पर ये पारंपरिक ड्रैस में भरतनाट्यम और इसी तरह के अन्य डांस करती दिखाई दीं।
ज्यादा गड़बड़ तब हुई जब फ्रेंचाइजी ने इन विदेशी लड़कियों को देर रात तक चलने वाली आईपीएल पार्टियों में बुलाना शुरू कर दिया। तब शराब और शबाब का माहौल बन गया। जब आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और मैच फिक्सिंग का मामला उछला तो इन चीयरलीडर्स लड़कियों को आईपीएल पार्टियों में बुलाने पर प्रतिबंध लगा। आईपीएल के पहले सीजन में ही शाहिद अफरीदी ने कह दिया था कि लड़कियों के नाचने से ध्यान क्रिकेट से हटता है और क्रिकेट को इनकी कोई जरूरत नहीं। यह सिलसिला बहरहाल चला आ रहा है और दक्षिण अफ्रीका क्रिकेटर जैक्स कैलिस की बहन जेनिस भी आईपीएल में आ चुकी हैं चेन्नई टीम के लिए।