विश्व कप अब ज्यादा दूर नहीं है और टूरिंग इंतजाम का सिलसिला शुरू हो गया है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड और सीओए ने टूरिंग टीम के साथ डब्लूएजी यानि कि पत्नी और गर्ल फ्रेंड के साथ रहने के मामले में हाल ही में जो दरियादिली दिखाई है उसका नतीजा ये है कि मुंबई में बैठा भारतीय क्रिकेट बोर्ड का स्टाफ दो टूरिंग टीम के इंतजाम का सिरदर्द झेलता है। एक टूरिंग टीम तो वो, जिसमें खिलाड़ी और कोच सहित पूरा सपोर्ट स्टाफ आते हैं।

मजेदार मामला है दूसरी टूरिंग टीम का। औपचारिक तौर पर तो इसमें पत्नी और गर्ल फ्रेंड को गिना जाता है पर धीरे-धीरे इस टीम में बच्चे, अगर बच्चा छोटा है तो उसकी नैनी और यहां तक कि क्रिकेटर और पत्नी का अपना व्यक्तिगत सपोर्ट स्टाफ भी शामिल हो गए। भले ही इस अतिरिक्त स्टाफ का एयर टिकट बोर्ड के एकाउंट से नहीं आता पर इनके खिलाड़ी के साथ उसी होटल में ठहरने, मैच के दिन होटल से स्टेडियम आने जाने, खाने-पीने और सबसे बड़ी बात मैच के टिकट का इंतजाम – ये सब बोर्ड के हिस्से में आता है। टीम के ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड टूर में 3 खिलाड़ियों ने छोटे बच्चे के साथ उसकी नैनी को भी बुला लिया और 4 खिलाड़ियों तथा 2 पत्नी का सपोर्ट स्टाफ आता-जाता रहा। ये एक नया सिरदर्द है बोर्ड के लिए और बोर्ड के ऑफिस से यह खबर बाहर आ चुकी है कि बोर्ड स्टाफ इस सारे इंतजाम में बड़ी मुश्किल का सामना कर रहा है।

सीरीज भारत में हो तो मैच की टिकट का इंतजाम परेशान नहीं करता – ऐसी मिसाल मौजूद है कि जब मुफ्त पास नहीं मिले तो बोर्ड ने पैसा खर्च कर टिकट खरीद लिए, लेकिन भारत से बाहर जहां कई महीने पहले ऑन लाइन बुकिंग हो जाती है – वहां तो खरीदने के लिए टिकट भी नहीं मिलता। विश्व कप के मैचों के दौरान टिकट का इंतजाम सबसे बड़ा सिरदर्द रहेगा – कौन सा खिलाड़ी यह सहन करेगा कि इंग्लैंड जाने के बावजूद मैच नहीं देख पाई उसकी पत्नी या गर्ल फ्रेंड, बच्चे और उनकी नैनी भी। हाल फिलहाल कोई रास्ता नहीं मिला है बोर्ड को क्योंकि खिलाड़ियों की तरफ से दबाव ये बनाया जा रहा है कि टूर शुरू होने के 10 दिन बाद क्यों, शुरू से ही ‘परिवार’ को साथ रहने की छूट दो।

लंबे टूर में परिवार के साथ रहने की परंपरा को छोड़ना अब किसी के बस में नहीं क्योंकि मनोवैज्ञानिक तौर पर भी यह साबित हो गया है कि परिवार साथ हो तो खिलाड़ी खुश रहता है और ध्यान क्रिकेट पर लगा पाता है। इस मामले में ऑस्ट्रेलिया का जिक्र जरूरी है। ऑस्ट्रेलिया ने पिछले दिनों श्रीलंका के विरूद्ध दो टेस्ट के लिए टीम में युवा क्रिकेटर बिल पुकोवस्की को टीम में लिया पर न ब्रिसबेन में खिलाया और न केनबरा में। पुकोवस्की वह क्रिकेटर है जो कम उम्र में ही डिप्रेशन की वजह से शेफील्ड शील्ड टीम से भी बाहर हुए। उन्हें जैसे ही पता लगा कि वे केनबरा में भी नहीं खेल रहे डिप्रेशन में आ गए और मजबूरी में बोर्ड को उन्हें घर वापस भेजना पड़ा। अगर घर से कोई साथ होता तो ऐसा न होता।

आने वाले दिनों में ऑस्ट्रेलिया को लंबे इंग्लैंड टूर पर जाना है। जो खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ विश्व कप और उसके बाद 5 टेस्ट की एशेज सीरीज में शामिल होंगे – उनके लिए तो यह 4 महीने से भी लंबा टूर रहेगा। नियम यह है कि टूर में सिर्फ ढाई हफ्ते डब्लूएजी साथ रह सकते हैं। टूर की लंबाई की वजह से बोर्ड इस नियम में रियायत के बारे में सोच रहा है।

हर किसी का अलग-अलग किस्सा है और इंतजाम का अलग-अलग तरह का सिरदर्द। अपने हालात के हिसाब से पालिसी बनानी होगी। भारतीय बोर्ड का स्टाफ अभी से बड़े काफिले की होटल बुकिंग और टूरिंग इंतजाम में लग गया है।

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