अभी-अभी तो ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध ऑस्ट्रेलिया में एक लंबी सीरीज खेले थे जिसमें टेस्ट , वन डे और टी 20 तीनों थे- फिर भी इतनी जल्दी ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत आ रही है। वे इस बार सिर्फ सफेद गेंद वाली क्रिकेट खेलेंगे– टी-ट्वंटी 20 तथा 5 वन डे इंटरनेशनल। इसी से विश्व क्रिकेट के बदलते समीकरण का अंदाजा हो जाता है। ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच क्रिकेट मैच किसी एशेज सीरीज जैसे ही रोमांचक गिने जाते हैं – इसीलिए ये दोनों आपस में पहले की तुलना में ज्यादा खेल रहे हैं। इसके अतिरिक्त मैचों के रोमांच को देखते हुए टेस्ट को सफेद गेंद वाली क्रिकेट से अलग किया ताकि खिलाड़ी अपना पूरा ध्यान एक ही तरह की क्रिकेट पर लगा सकें।

हालांकि ऑस्ट्रेलिया ने 1971 में वन डे इंटरनेशनल खेलना शुरू कर दिया था पर भारत में भारत के विरूद्ध ऐसी क्रिकेट पहली बार 1984-85 के टूर में किम ह्यूज की कप्तानी में खेले। वहीं से इस तरह के टूर और टूर्नामेंट का खबरों में रहने का सिलसिला शुरू हो गया था। टीम को रवाना होने से पहले सिडनी में पीबीएल मार्केटिंग के एक प्रोग्राम में हिस्सा लेना पड़ा। सिर्फ चार घंटे सोकर खिलाड़ी थके एयरपोर्ट पहुंचे, वहां फ्लाइट एक घंटा लेट थी, रास्ते में सिंगापुर रूके – एयरपोर्ट पर चार घंटे रूकना था पर 8 घंटे रूकना पड़ा तथा और मजेदार नजारा ये कि पहला मैच दिल्ली में था पर टीम उतरी मुंबई में। वहां 9 घंटे रूके और दिल्ली रवाना हो गए – एक छोटे जहाज की इकॉनमी सीटों की बदौलत। कुछ घंटे बाद ही मैच था। तब भी ऑस्ट्रेलिया ने दिल्ली में एशियाई खेलों के लिए बने जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में भारत को हरा दिया।

इस सीरीज का तीसरा मैच जमशेदपुर में था। आपने मैच देरी से शुरू होने की कई वजह सुनी होंगी पर जो यहां हुआ वह अनोखा था। असल में दोनों टीम छोटे-छोटे जहाज की फ्लाइट से कोलकाता से जमशेदपुर आ गईं और सामान आ रहा था ट्रक से। ट्रक वाला रास्ता भटक गया। क्रिकेटरों की किट ट्रक में और क्रिकेटर ग्राउंड में तो मैच कैसे शुरू हो? उन दिनों मोबाइल नहीं होते थे। तीन घंटे की देरी से मैच शुरू हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने 5 वन डे की सीरीज को 3-0 से जीता।

1986-87 में चारमीनार चैलेंज कप के नाम से खेली सीरीज में 6 मैच थे और इनमें से 5 में पारी में ओवर 50 से घटाने पड़े – कहीं धुंध तो कहीं कुछ और। इस सीरीज का एक मैच श्रीनगर में भी था और उसे ऑस्ट्रेलिया ने जीता। 1987 विश्व कप में दोनों टीम के आपसी 2 मैच में स्कोर 1-1 रहा। 1989-90 के नेहरू कप में इन दोनों टीम के आपसी मैच को भारत ने 3 विकेट से जीता। 1996-97 के टाइटन कप में ऑस्ट्रेलिया के 6 में से 5 मैच में स्पष्ट नतीजा निकला और वे सभी हारे। भारत ने उनसे दोनों मैच जीते। बंगलुरू में जीत के 216 रन के लक्ष्य के सामने भारत 164-8 पर था तो वहां से कुंबले और जवागल श्रीनाथ ने 9वें विकेट के लिए 52 रन जोड़कर जीत दिलाई।

भारत की स्वतंत्रता के 50 साल के मौके पर 1997-98 में कई आयोजन हुए। पेप्सी ट्राईएंगुलर में दो टीम भारत एवं ऑस्ट्रेलिया थीं ओर आपसी तीनों मैच में – ऑस्ट्रेलिया ने भारत को फाइनल में हराया हालांकि ग्रुप मैच में हारे थे।

2000-01 की 5 ओडीआई की सीरीज को ऑस्ट्रेलिया ने 3-2 से जीता। 2003-04 के टीवीएस कप में ऑस्ट्रेलिया 4 मैच में 3-1 से आगे रहा। इस ट्राई सीरीज में तीसरी टीम न्यूजीलैंड थी। ऑस्ट्रेलिया की किस्मत 2006-07 की आईसीसी चैंपियंस ट्राफी में भी तेज रही और मोहाली में भारत को हराया। यही प्रभुत्व 2007-08 तथा 2009-10 की सीरीज में था जहां क्रमशः 7 और 6 मैच की सीरीज ऑस्ट्रेलिया 4-2 से जीता।

उसके बाद से पासा एकदम पलटा। 2010-11 में भारत 2-0 से जीता – इनमें से एक मैच विश्वकप का था। 2013-14 की 6 मैच की सीरीज को 3-2 तथा 2017-18 की 5 मैच की सीरीज को 4-1 से जीता भारत ने। इस तरह हाल के सालों में ऑस्ट्रेलिया के लिए सफेद गेंद की वन डे क्रिकेट भारत में वैसी कामयाबी नहीं लाई जिसके लिए वे मशहूर हैं। अब तक भारत में इन दोनों टीम के बीच 56 ओडीआई में से भारत ने 25 मैच जीते, 26 मैच हारे और 5 मैच में कोई स्पष्ट नतीजा नहीं निकला। देखें नया समीकरण क्या बनता है?

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