पहले श्रीलंका, फिर पाकिस्तान और फिर न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों में खौंफ पैदा करने के बाद ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों ने भारत का रुख किया. क्रिकेट पंडितों की यही सोच थी कि पैट कमिंस, मिशेल स्टार्क और जोस हेजलवुड भारतीय बल्लेबाजों पर हावी रहेंगे. पहले ODI में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने अच्छी शुरुआत की और भारतीय टीम को छोटे स्कोर पर रोक दिया. जिनको लगता था कि ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज बेस्ट हैं, उनकी उम्मीदें और बढ़ गईं. पर अगले मैच में पासा पलट गया. पहले भारतीय बल्लेबाजों ने ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों की जमकर पिटाई की और उसके बाद भारतीय तेज गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के खिलाफ ‘यॉर्कर’ गेंदों की झड़ी लगा दी. सीरीज खत्म होते-होते ये साबित हो गया कि भारतीय तेज गेंदबाज अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष से बेहतर हैं.

‘यॉर्कर’ पर आउट होते ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को देखने वाला था. उनको जरा भी अंदाजा नहीं था कि भारतीय तेज गेंदबाज इस तरह वापसी करेंगे. पहले ODI के मात्र पांच दिन के भीतर भारत ने तख्तापलट करते हुए सीरीज पर 2-1 से कब्जा जमा लिया. जहां बाद के दोनों ODI में ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों को जमकर मार पड़ी, वहीं भारतीय तेज गेंदबाजों ने किफायती गेंदबाजी करते हुए अपने नए हथियार ‘यॉर्कर’ पर विकेट निकाले.

ये बात बिल्कुल डंके की चोट पर कही जा सकती है कि इतनी सटीक और पैनी ‘यॉर्कर’ गेंद बहुत कम सीरीज में ही देखने को मिलती हैं. मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह और नवदीप सैनी में सबसे ज्यादा सटीक यॉर्कर गेंद शमी ने डाली. वैसे भी बुमराह चोट के बाद वापसी कर रहे थे इसलिए गेंदबाजी की कमान एक तरह से मोहम्मद शमी के हाथ में ही थी. उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. मोहम्मद शमी ने इस सीरीज में भारत की तरफ से 7 विकेट लिए. इसमें से 4 विकेट उन्होंने ‘यॉर्कर’ गेंदों पर ही लिए. नवदीप सैनी ने तीन विकेट लिए, वहीं सीरीज में एक विकेट लेने वाले बुमराह ने बहुत कंजूसी से रन खर्चे.

सीरीज में शमी के 7 विकेट के मुकाबले स्टार्क ने तीन और कमिंस ने दो विकेट ही निकाले. तीन मैच की सीरीज में सबसे किफायती गेंदबाज जसप्रीत बुमराह रहे, उन्होंने 4.59 की इकॉनमी से रन खर्चे. वहीं स्टार्क ने 6.90 और कमिंस ने 5.96 की इकॉनमी से रन खर्चे. सीरीज हारने के बाद विपक्षी कप्तान एरॉन फिंच ने भारतीय गेंदबाजों को बेहतर माना. उन्होंने कहा, “सारा श्रेय भारत को, पिछले मुकाबलों में उनकी डेथ ओवर्स में गेंदबाजी जबरदस्त थी. शमी, सैनी और बुमराह ने पिछले दो मैच में बिलकुल सटीक यॉर्कर मारीं. दोनों मैच में वो जबरदस्त थे. उनकी डेथ गेंदबाजी कमाल थी.”

भारतीय तेज गेंदबाजों ने मिलकर कभी भी ‘यॉर्कर’ का ऐसा इस्तेमाल नहीं किया था. जसप्रीत बुमराह करियर के शुरुआत से ही ‘यॉर्कर’ का इस्तेमाल करते आ रहे हैं. मोहम्मद शमी ने 2019 वर्ल्ड कप में ‘यॉर्कर’ का अच्छा इस्तेमाल किया था. वहीं नवदीप सैनी ने अपने छोटे से करियर में ‘यॉर्कर’ पर विकेट चटकाएं हैं. पर ऐसा पहली बार था कि ये तीनों गेंदबाज एक साथ आकर किसी मजबूत टीम के सामने गेंदबाजी कर रहे हों. और ऐसा जब हुआ तो देखने वाला नजारा था. इन तीन तेज गेंदबाजों की ‘यॉर्कर’ डालने की काबिलियत भारतीय तेज गेंदबाजी को सीमित ओवर क्रिकेट में सबसे घातक तेज गेंदबाज टिकती बनाती है.

ऑस्ट्रेलिया के बाद इसका उदाहरण न्यूजीलैंड में भी देखने को मिलेगा. इसके बाद टी20 वर्ल्ड कप में भी इसी तेज गेंदबाजी तिकड़ी के खेलने के आसार अधिक लगने लगे हैं. अगर तीनों गेंदबाज ऐसे ही प्रदर्शन करते रहे तो टीम इंडिया के लिए ये साल बहुत शानदार रहने वाला है. हाल के प्रदर्शन को देखकर तो यही लगता है कि टी20 वर्ल्ड कप में तेज गेंदबाजी ही भारतीय टीम का एक्स-फैक्टर साबित होगी.

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