क्रिकेट के बड़े मंच पर यानि कि भारत का क्रिकेटर कहलाने का मौका जब से धोनी को मिला, एक बार भी ऐसा नहीं हुआ जब किसी को यह कहने का मौका मिला हो कि धोनी अपने लिए खेले – टीम इंडिया के लिए नहीं। धोनी ने अपने किसी रिकॉर्ड की चिंता नहीं की, उनके खेल का हर रंग टीम इंडिया यानि कि देश की कामयाबी के लिए रहा है। इसीलिए ही तो एशिया से बाहर, हजारों मील दूर न्यूजीलैंड में भी उनके ऐसे दीवाने हैं कि खेल के बीच में, उनके पैर छूने ग्राउंड में घुस आए। खेल के नजरिए से, खेल के दौरान किसी भी दर्शक का ग्राउंड में घुसना गलत है पर इससे यह पता लगता है कि धोनी दिलों पर राज करते हैं, दूरी से कोई फर्क नहीं पड़ता।
हैमिल्टन में तीसरे ट्वंटी 20 के दौरान, एक दीवाना दर्शक भारत का झंडा हाथ में लिए विकेटकीपिंग कर रहे धोनी तक पहुंच गया। धोनी के पैरों को हाथ लगाने की हड़बड़ाहट में भारत का झंडा उस क्रिकेट प्रेमी के हाथ से छूट गया। तब धोनी की चिंता ये नहीं थी कि खुद को उस क्रिकेट प्रेमी से बचाएं – चिंता ये थी कि झंडा नीचे जमीन पर न गिरे और उसे गिरने नहीं दिया। भारत यह मैच हार गया पर देश के झंडे के प्रति धोनी का सम्मान जीत गया। इस नजारे की वीडियो पूरी क्रिकेट की दुनिया में वायरल हो गई।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब धोनी ने इस तरह की देश भक्ति या देश को सबसे आगे रखने की भावना दिखाई। ऐसी 7 मिसाल देखिए:
1. बेटी के जन्म से ज्यादा जरूरी टीम की ड्यूटी: आज कल जबकि क्रिकेटरों का टीम ड्यूटी छोड़कर, बच्चे के जन्म के लिए घर लौटना एक फैशन बन गया है (जैसा कि पिछले दिनों रोहित शर्मा ने किया और सिडनी टेस्ट नहीं खेले) – धोनी ने अपनी बेटी जीवा के जन्म पर टीम ड्यूटी को नहीं छोड़ा। जीवा का जन्म 6 फरवरी 2015 को दिल्ली के करीब गुरूग्राम में हुआ – उस समय धोनी विश्व कप में मुकाबले की तैयारी कर रहे थे। धोनी के पास मोबाइल नहीं था। साक्षी ने बेटी जीवा के जन्म की खबर सुरेश रैना को दी और रैना ने धोनी को। लगभग दो महीने बाद वे अपनी बेटी को पहली बार रांची एयरपोर्ट पर मिले।
2. हेलमेट पर तिरंगा नहीं लगाते: इसकी वजह ये है कि विकेट कीपिंग करते हुए कई बार हेलमेट को जमीन पर रख देते हैं। धोनी नहीं चाहते कि तिरंगा जमीन पर रहे। एक बार किसी ने इसे मुद्दा बनाकर उछाल दिया था पर धोनी को कोई फर्क नहीं पड़ा।
3. बड़ा सम्मान लेते हुए सूट नहीं, आर्मी की यूनिफार्म पहनी: जब गौरव दिलाने वाला बड़ा सम्मान मिल रहा हो और पूरा देश टेलीविजन पर देख रहा हो तो कौन बढ़िया ड्रैस नहीं पहनेगा? 2018 में धोनी ने पद्म भूषण का सम्मान आर्मी की यूनिफार्म पहनकर लिया राष्ट्रपति से। वे इस यूनिफार्म का सम्मान करते हैं।
4. भारतीय सेना ने ले. कर्नल की रैंक दी: कई मशहूर क्रिकेटरों को छोड़कर सेना ने धोनी को ले. कर्नल का सम्मान दिया 1 नवंबर 2011 को। धोनी की मुराद पूरी हुई – आर्मी में जाना उनका सपना था।
5. आर्मी यूनिफार्म का सम्मान: इस मामले में उनकी बराबरी पर कोई नहीं और हर सरकारी समारोह में यूनिफार्म पहनना नहीं भूलते। सैनिकों की बहादुरी के कायल हैं। इसीलिए उनका हौसला बढ़ाने बॉर्डर पर भी जाते रहते हैं।
6. सबसे पहले देश, पत्नी और दर्शक नहीं: एक बार पत्नी को कहा था – वे तीसरे नंबर पर है चूंकि नंबर 1 देश और नंबर 2 माता-पिता का है। इसी तरह दर्शकों को खुश करने वाली नहीं, टीम की जरूरत पूरी करने वाली क्रिकेट खेलते हैं।
7. अपनी जड़ों को नहीं भूले: पुराने दोस्त या पुराना स्कूल नहीं भूले। रांची में हों तो अक्सर ही पुराने स्कूल में जाते हैं और टीचर के सम्मान को याद रखते हैं।
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